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Blog / 14 Sep 2019

(इनफोकस - InFocus) आरसीईपी (क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी) मंत्रिस्तरीय बैठक (6th RCEP Ministerial Meeting)

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(इनफोकस - InFocus) आरसीईपी (क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी) मंत्रिस्तरीय बैठक (6th RCEP Ministerial Meeting)


आरसीईपी (क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी)

  • सुर्ख़ियों में क्यों?
  • आरसीईपी क्या है?
  • आरसीईपी से लाभ?
  • आरसीईपी से हानि?
  • आगे की राह?

सुर्ख़ियों में क्यों?

  • थाइलैंड में सातवीं आरसीईपी (क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी) मंत्रिस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया।
  • इस बैठक में सभी देश मुक्त व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत को इस वर्ष में पूरा करने पर सहमत हुए।
  • दरअसल पिछले कई वर्षों से इन देशों के मध्य मुक्त व्यापार को लागू करने के लिए लगातार वार्ता चल रही है।
  • आरसीईपी वार्ता औपचारिक रूप से नवंबर 2012 में कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन में शुरू की गई थी।

आरसीईपी क्या है?

  • आरसीईपी एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कुल16 देशों के बीच प्रस्तावित एक मेगा मुक्त व्यापार समझौता है।
  • इस मेगा मुक्त व्यापार समझौता में वस्तु, सेवाओं, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग, प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे।
  • इसमें आसियान के 10 देशों समेत चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देश शामिल है।
  • आसियान देशों में (ब्रुनेई,कंबोडिया,इंडोनेशिय,लाओस,मलेशिया,म्यांमार,फिलीपींस,सिंगापुर,थाईलैंड और वियतनाम शामिल है)
  • आरसीईपी दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक समूह है एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगभग आधा हिस्सा रखता है।
  • 2050 तक आरसीईपी के सदस्य देशों का सकल घरेलू उत्‍पाद लगभग 250 ट्रिलियन अमरीकी डालर होने की संभावना है।

आरसीईपी से लाभ?

  • आरसीईपी भागीदार देशों की संख्या और दायरे दोनों ही पैमाने पर बेहद महत्त्वाकांक्षी योजना है।
  • इससे भारत के वस्तु व्यापार में वृद्धि होगी।
  • भारत को आसियान देशों का बाजार मिलेगा।
  • समझौता होने के बाद चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भारत में आने वाला निवेश भी बढ़ेगा।
  • सेवा क्षेत्र में भारत के निर्यात में वृद्धि होगी।
  • रणनीति लाभ (पूर्वोत्तर भारत के जरिए व्यापार में वृद्धि से पूर्वोत्तर के राज्यों के आर्थिक विकास में भी मदद)

आरसीईपी से हानि?

  • भारत जिन 17 एफटीए का हिस्सा है वे भारतीय उद्योग के लिए उतने लाभदायक नहीं साबित हुए हैं।
  • दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ भी भारत का व्यापार घाटा बढ़ने की आशंका।
  • इसमें बौद्धिक संपदा के कड़े नियम शामिल है भारत का जेनेरिक दवा उद्योग प्रभावित होगा।
  • वस्तुओं की तुलना में सेवाओं के व्यापार में ज्यादा छूट नहीं जिससे भारत को ज्यादा लाभ नहीं होगा।
  • आयात शुल्क खत्म करने से भारत के कृषि आधारित उद्योगों, वाहन, दवा और स्टील के प्रभावित होने की आशंका।
  • कई सालों से लगातार कई दौर की वार्ता के बावजूद यह समझौता आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

आगे की राह?

  • आरसीईपी के 16 वार्ताकारों में से केवल भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय आरटीए नहीं है।
  • चीन के साथ आरटीए नहीं होने पर भी व्यापार घाटा अत्यधिक है अतः व्यापार घाटे की जड़ आरटीए नहीं।
  • भारतीय उद्योगों को संरक्षण देने से ना केवल आयात और निर्यात में नुकसान होता है बल्कि हम वैश्विक बाजार में कम प्रतिस्पर्धी और कम गतिशील बन जाते हैं।
  • भारतीय उद्योग का हर जगह स्वागत और प्रतीक्षा की जा रही है ऐसे में आरसीईपी से बाहर होना हमारे उद्योगों को नुकसान पहुंचाएगा।
  • लंबे समय से हमारी नीति दूसरे देश को अपनी बाजार से दूर रखने की है जबकि वर्तमान में हमें अपने नीति को दूसरे बाजारों तक पहुंच पर केंद्रित करने की आवश्यकता है।
  • हमें केवल कुछ उद्योगों की चिंता छोड़ समग्र उद्योगों पर ध्यान देना चाहिए तभी हमारे उत्पादों को बाजारों तक पहुंच मिलेगी।
  • इन देशों में लोगों के मध्य People to people contact, आईसीटी इत्यादि के द्वारा संपर्क को बढ़ाना चाहिए जिससे इन देशों में भारतीय वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग बढ़ सके।
  • ऐसे में जब विश्व व्यापार जैसी संगठन अपने पतन की ओर अग्रसर है तब उद्योग संबंधी विवादों के निवारण के लिए आरसीपी एक बेहतर मंच होगा।
  • भारत को आरसीपी वार्ता में सक्रिय रूप से भाग लेकर अपनी चिंताओं को ध्यान में रखकर नीति निर्माण एवं समझौते की रूपरेखा को प्रभावित करने की कोशिश करना चाहिए।