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Blog / 24 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) परमाणु शक्ति में कौन ज्यादा ताकतवर भारत या चीन (Who is More Nuclearly Powerful : India or China)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) परमाणु शक्ति में कौन ज्यादा ताकतवर भारत या चीन (Who is More Nuclearly Powerful : India or China)



चीन और पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार हैं....यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है...

मौजूदा समय में भारत के अपने पडोसी देशों नेपाल और चीन के साथ संबंध कुछ ठीक नहीं है, दोनों देशों की भारत के साथ तनातनी जैसे हालात है....जहाँ सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ हुई हिंसक झड़प एक गंभीर विषय है...

ऐसे में ये जानना भी थोडा महत्वपूर्ण हो जाता है की कोनसा देश कितना ताकतवार है...और किसके पास कितने परमाणु हथियार है.....

तो चलिए आज DNS कार्यक्रम में हम बात करते है सिपरी रिपोर्ट 2020 की..?? और जानते है इस रिपोर्ट में क्या बताया गया है....साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बातें भी...

पडोसी देशों नेपाल और चाइना की भारत के साथ तनातनी जैसे हालात पैदा है....इसी बीच स्वीडन के थिंक टैंक ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सिपरी रिपोर्ट 2020 जारी की और रिपोर्ट में ये बताया कि सभी देशों के पास कितने परमाणु हथियार यानी न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं....

किस देश के पास कितने परमाणु हथियार है

सिपरी रिपोर्ट 2020 द्वारा सामने आई जानकारी के अनुसार, इसमें उन देशों का उल्लेंख है, जिनके पास आधिकारिक तौर पर परमाणु हथियार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वक्त में चीन और पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार होने का दावा किया गया है और ये भी बताया कि भारत-चीन-पाकिस्तान के पास कितने-कितने परमाणु हथियार हैं, सबसे पहले जानते है की भारत की....भारत के पास परमाणु हतियारों की संख्या 150 बताई गयी है....वहीँ बात करें चीन की तो इस रिपोर्ट में यह बताया गया है की चाइना के पास परमाणु हथियारों की संख्या 320 है....वहीँ पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की संख्या 160 बताई गई है....इन दोनों ही देशो के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार मौजूद....वहीँ परमाणु हथियारों का 90% हिस्सा रूस-अमेरिका के पास है.....

सिपरी रिपोर्ट के मुताबिक, कुल मिलाकर इस वक्त इन देशों के पास 13 हजार 400 परमाणु हथियार Nuclear Weapon मौजूद हैं.... देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, चीन, उत्तर कोरिया और इजरायल शामिल हैं ..

आपको दें एटमी ताकत के मामले में रूस सबसे आगे है जिसके पास 6 हजार 375 पचहतर एटमी हथियार हैं..इसके बाद अमेरिका के 5 हजार 800 एटमी हथियारों के साथ दुसरे पायदान पर है...जहाँ चाइना के पास 320 वहीँ इसके बाद फ़्रांस जिसके पास 290 एटमी हथियार हैं...ब्रिटेन के पास 215, पकिस्तान के पास 160, भारत के पास 150, इजराइल के पास 90 एटमी हथियार हैं, फिर सबसे निचले पायदान पर उत्तर कोरिया इसके पास 30 से 40 एटमी हथियार हैं...

2010 से 2019 के बीच हथियारों की खरीद-फरोख्त

जारी की गई सिपरी की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि, वर्ष 2010 से 2019 के बीच हथियारों की खरीद-फरोख्त 5.5 फीसदी बढ़ी। 2018 में सैन्य सुविधाओं पर करीब 1917 बिलियन डॉलर (145 लाख करोड़ रु.) खर्च हुए थे। यह 10 साल में सबसे ज्यादा खर्च है। उत्तर अफ्रीकी देशों ने 2019 के मुकाबले इस साल अपनी सैन्य सुविधाओं पर 67 सडसठ फीसदी रकम ज्यादा खर्च की...

SIPRI के अनुसार, दुनिया के नौ प्रमुख परमाणु सशस्त्र युक्त देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, चीन, उत्तर कोरिया और इजरायल शामिल हैं...2020 की शुरुआत में इन देशों के पास 13,400 परमाणु हथियार थे। इनमें से 3,720 परमाणु हथियारों को वर्तमान में तैनात किया गया है और 1,800 को उच्च परिचालन चेतावनी में रखा गया है....

2019 की तुलना में परमाणु हथियारों की संख्या में कमी मुख्य रूप से रूस और अमेरिका द्वारा सेवानिवृत्त परमाणु हथियारों के विघटन के कारण हुई है। अकेले अमेरिका और रूस के पास दुनिया के 90% परमाणु हथियार हैं.

परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी का मुख्य कारण रूस और अमेरिका द्वारा पुराने परमाणु हथियारों को नष्ट करना था। रूस और अमेरिका के पास कुल वैश्विक परमाणु हथियारों के 90% से अधिक का भण्डार है...संयुक्त राज्य अमेरिका तथा रूस के अतिरिक्त अन्य परमाणु-सशस्त्र देशों के परमाणु शस्त्रागार काफी छोटे है, लेकिन इन सभी देशों द्वारा नयी हथियार प्रणालियों को विकसित किया जा रहा है..

समय की आवश्यकता

अमेरिका और रूस द्वारा ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (Strategic Arms Reduction Treaty-START), 2010 के तहत अपने परमाणु शस्त्रागार को कम किया गया है। इस संधि की समाप्ति फरवरी 2021 में हो रही है, जिसे दोनों देशों द्वारा विस्तारित किये जाने की आवश्यकता है....

START संधि पर गतिरोध तथा सोवियत-यू.एस. के मध्य वर्ष 1987 में घोषित ‘मध्यम दूरी तथा कम दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल उन्मूलन संधि (INF संधि) का 2019 में समापन हो गया। इस महत्वपूर्ण संधि का अंत, रूस और अमेरिका के मध्य द्विपक्षीय परमाणु हथियार नियंत्रण समझौतों के युग की समाप्ति का संकेत है..

नई मिसाइलें तैयार कर रहा चीन

रिपोर्ट आने के बाद ये खुलासा भी हुआ कि, ''चीन एटमी ताकत बढ़ाने में जुटा है और इसके लिए जमीन, हवा और समंदर से हमला करने वाली नई मिसाइलें तैयार कर रहा है। इतना ही नहीं, वो कुछ ऐसे फाइटर जेट्स भी तैयार कर रहा है जो एटमी हमला कर सकें। चीन पहले एटमी ताकत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं देता था, लेकिन कुछ साल से उसने परमाणु हथियारों और भविष्य की योजनाओं की कुछ जानकारी दुनिया को दी है।''

क्या है SIPRI?

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) 1966 में स्थापित एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जो युद्ध तथा संघर्ष, युद्धक सामग्रियों, हथियार नियंत्रण तथा निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में शोध- कार्य करती है...स्टॉकहोम स्थित आय संस्था नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और इच्छुक लोगों को आँकड़ों का विश्लेषण और सुझाव उपलब्ध कराती है।