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Blog / 17 Jul 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) यूएई का मंगल अभियान अल-अमल (UAE Mars Mission : Al-Amal)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) यूएई का मंगल अभियान अल-अमल (UAE Mars Mission : Al-Amal)



अरब देशों की दुनिया में संयुक्त अरब अमीरात पहला देश होगा जो मंगल ग्रह के लिए मिशन लॉन्च करेगा…जी हाँ अगले 40 दिनों में यूनाइटेड अरब अमीरात अपना मंगल मिशन लॉन्च कर देगा....

आज DNS कार्यक्रम में जानेंगे संयुक्त अरब अमीरात के इस मंगल मिशन के बारे में...क्या है इस मिशन का उद्देश्य...मिशन में शामिल इस मानवरहित प्रोब के बारे में...और इससे जुड़े और भी महत्वपूर्ण बातों को भी...

मिशन का उद्देश्य है मंगल ग्रह के वातावरण के मौसम के रहस्यों को सुलझाना…यूएई इस मिशन के जरिए बताना चाहता है कि वह भी अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में आगे बढ़ रहा है…यूएई के नौ सैटेलाइट पहले से अंतरिक्ष में हैं और उसकी योजना है कि आने वाले वर्षों में आठ और सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जाएं...लगभग एक बड़ी गाड़ी के आकार के जैसे 1,350 किलोग्राम के इस प्रोब का प्रक्षेपण जापान के तानेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई को होगा, लेकिन मौसम और अन्य कारणों को देखते हुए प्रक्षेपण की अवधि को अगस्त की शुरुआत तक रखा गया है...

इस मानवरहित प्रोब का नाम 'अल-अमल' है...ये अरबी शब्द है, इसका मतलब होता है 'उम्मीद'...'अल-अमल' को पृथ्वी से मंगल तक की 49.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करने में सात महीने लग जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि 'अल-अमल' की रूप-रेखा ही इस उद्देश्य से बनाई गई है कि इससे इलाके के युवा प्रेरित हों और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण खोजों का मार्ग प्रशस्त हो...

कक्षा में पहुंच जाने के बाद, 1,21,000 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत रफ्तार से प्रोब को एक चक्कर लगाने में 55 घंटे लगेंगे। यूएई कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से संपर्क सप्ताह में दो बार छह से आठ घंटों के लिए सीमित रहेगा। प्रोब कक्षा में मंगल ग्रह के पूरे एक साल की अवधि के बराबर तक रहेगा...'अल-अमल' का प्रक्षेपण इस कार्यक्रम का अगला मील का पत्थर है...

प्रोब पर लगे तीन उपकरण मंगल के वातावरण की पूरी तस्वीर देंगे.... पहला एक इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर है वातावरण के निचले भाग को मापने और तापमान की संरचना का विश्लेषण करने के लिए, दूसरा हाई रेजॉल्यूशन इमेजर है जो वहां मौजूद ओजोन के स्तर की जानकारी देगा...तीसरा एक अल्ट्रावॉयलेट स्पेक्ट्रोमीटर है जो सतह से 43,000 किलोमीटर की दूरी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के स्तर को मापेगा...

अधिकारियों का कहना है कि दूसरे ग्रहों के वातावरण को समझने से पृथ्वी के जलवायु को भी बेहतर समझने में मदद मिलेगी...सितंबर में यूएई ने पहली बार अंतरिक्ष में अमीराती एस्ट्रोनॉट भी भेजा....हज्जा अल-मंसौरी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अमीराती बने....कजाखस्तान से भेजे हुए एक सोयुज रॉकेट में अल-मंसौरी दो और साथियों के साथ अंतरिक्ष में पहुंचे और आठ दिनों के मिशन को पूरा कर वापस लौट आए...इस मिशन के दौरान वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले अरब नागरिक बने...

यूएई की महत्वाकांक्षाएं कहीं ज्यादा बड़ी हैं....यूएई का लक्ष्य है 2117 तक मंगल पर एक मानव-बस्ती को बसाने का लक्ष्य है.... उससे पहले यूएई की योजना है दुबई के बाहर स्थित रेगिस्तान में सफेद गुम्बद वाले एक "साइंस सिटी" की रचना करना, जिसमें मंगल ग्रह के जैसे हालात की पूरी नकल की जाएगी और उस ग्रह पर बस्तियां बसाने के लिए आवश्यक तकनीक विकसित की जाएगी...

पिछले साल सार्वजनिक की गई एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष रणनीति के तहत, यूएई पृथ्वी के बाहर खनन परियोजनाओं और अंतरिक्ष पर्यटन की भी योजना बना रहा है....इसके लिए उसने रिचर्ड ब्रैंसन की अंतरिक्ष पर्यटन कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं...

परियोजना का एक उद्देश्य अक्सर कई तरह के उथल-पुथल में फंसे इस इलाके को प्रेरित करना और मध्य युग में इलाके की वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में फिर से याद कराना भी है। मिशन के प्रोजेक्ट मैनेजर ओमरान शरफ ने बताया कि यूएई अरब देशों के युवाओं को एक मजबूत संदेश देना चाहता है कि जमीन के अलावा एक दूसरी दुनिया भी है।