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Blog / 16 Feb 2019

(Daily News Scan - DNS) खिसकता चुंबकीय उत्तरी ध्रुव (Shifting Magnetic North Pole)

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(Daily News Scan - DNS) खिसकता चुंबकीय उत्तरी ध्रुव (Shifting Magnetic North Pole)


मुख्य बिंदु:

पृथ्वी का चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव खिसक रहा है। इस बात को लेकर पिछले कई दिनों चर्चा चल रही है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एन्वॉयरन्मेंटल इन्फॉर्मेंशन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इस बात की सूचना दी थी कि पृथ्वी का नार्थ मैग्नेटिक पोल काफी तेज़ी से खिसक रहा है। ये प्रेस रिलीज़ कोलोराडो यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों के शोध के आधार पर जारी की गई थी।

DNS में आज हम आपको चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव के बारे में बताएंगे साथ ही ये ध्रुव क्यूं खिसक रहा है इसको भी समझने की कोशिश करेंगे।

पिछली 4 सदियों तक शांत रहा चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अब काफी तेज़ी से खिसक रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये ध्रुव हर साल क़रीब 55 किलोमीटर की रफ़्तार से खिसक रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक़ ये ध्रुव कैनेडाई आर्कटिक क्षेत्र से खिसकते हुए साइबेरिया की ओर बढ़ रहा है। मैग्नेटिक नार्थ पोल के शिफ्ट होने से इलेक्ट्रानिक उपकरणों जैसे की मोबाइल कंपस में दिक्कत आ रही है।

दरअसल चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के ज़रिए ही कंपस की दिशा तय की जाती है। समुद्री जहाज़, पैराशूट और हवाई हजाज़ों के रनवे भी कंपास नैविगेशन के ही आधार पर अपनी दिशा सुनिश्चित करते हैं। लेकिन तेज़ी से खिसकते उत्तरी धुर्व के कारण इन सभी क्षेत्रों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक़ चुंबकीय उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तरी ध्रुव की तुलना में क़रीब 4 डिग्री दक्षिण की ओर खिसक गया है। 19वीं शताब्दी में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव कैनेडा के दक्षिण में था। जबकि इस वक़्त ये ध्रुव कैनेडा से रूस के साइबेरिया की ओर तेज़ी से खिसक रहा है।

चुंबकीय उत्तरी ध्रुव को 1831 में वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया था। ये ध्रुव पिछली कई सेन्चुरीज़ तक शांत रहा है। लेकिन बाद में धीरे धीरे इसमें बदलाव दर्ज़ किए जाने लगे। मैग्नेटिक नार्थ पोल पहले 5 और फिर बाद में 10 किलोमीटर की रफ़्तार से हर साल खिसक रहा था। लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी रफ़्तार बढ़ती गई और ये 55 किलोमीटर प्रति वर्ष के हिसाब से खिसकने लगा।

चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के तेज़ी से खिसकने के कारण वैज्ञानिकों को इसकी सूचना जारी करनी पड़ी है। जबकि वैज्ञानिक हर 5 साल में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव से जुडी जानकारी को साझा करते हैं। वैज्ञानिकों ने पिछली बार 2015 में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के बारे में बताया था। जिसके मुताबिक मैग्नेटिक नॉर्थ पोल के बारे में अगली जानकारी 2020 में दी जानी थी।

वैज्ञानिकों ने दावा किया है किए मैग्नेटिक नार्थ पोल का शिफ्ट होना नेचुरल है। इससे पहले भी मैग्नेटिक नॉर्थ पोल खिसकता रहा है और अभी भी खिसक रहा है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के बाहरी कोर में होने वाली हलचल को इसकी वजह बताया है। पृथ्वी के बाहरी कोर से यहां मतलब पृथ्वी के भीतर मौजूद कोरों से हैं। दरअसल पृथ्वी की आंतरिक संरचना को 3 परतों में बांटा गया है। ये परत भू -पटल यानी क्रस्ट, भू प्रवार यानी मैंटल और आख़िरी परत को क्रोड यानी कोर के नाम से जाना जाता है।

पृथ्वी के आखिरी परत कोर के भी 2 प्रकार हैं। इन्हें आंतरिक यानी इनर कोर और बाहरी यानी आउटर कोर के नाम कोर के नाम से जाना जाता है। मैग्नेटिक नार्थ पोल का शिफ्ट होना पृथ्वी के बाहरी कोर से ही जुड़ा हुआ है। पृथ्वी के इस कोर में पाए जाने वाले पदार्थों में आयन और निकिल मुख्य रूप से शामिल हैं। पृथ्वी के बाहरी कोर में पाए जाने वाले ये पदार्थ तरल अवस्था में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक़ पृथ्वी के बाहरी कोर में पाए जाने वाले यही तरल पदार्थ काफी ज़्यादा मात्रा में चुंबकीय क्षेत्र उत्प्पन करते हैं। जिससे मैग्नेटिक नार्थ पोल खिसकता रहता है।

यहां मैग्नेटिक फील्ड के पीछे कारण ये है कि जब ये तरल पदार्थ घूमते हैं तो इनकी गति में समानता नहीं होती। जिससे काफी पृथ्वी के नीचे काफी उथल - पुथल होती है। और यहीं से चुंबकीय क्षेत्र यानी मैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न होती है।

यहां पृथ्वी की आख़िरी परत में शामिल आंतरिक कोर के बारे में आपको बताये तो इसमें पाए जाने वाले आयन और निकिल ठोस अवस्था में पाए जाते हैं। इन पदार्थों का ठोस अवस्था में पाए जाने की पीछे हाईप्रेशर है। जब पूरे पृथ्वी का प्रेशर आंतरिक कोर पड़ता है तो यहां मौजूद सभी पदार्थ सॉलिड स्टेट में आ जाते हैं , जबकि कम प्रेशर वाले बाहरी कूर के पदार्थ लिक्विड स्टेट में ही बने रहते हैं।

हालांकि उत्तरी चुंबकीय ध्रुव का इतनी तेज़ी से खिसकना वैज्ञानिकों के लिए भी रहस्यमयी है। 5 -10 किलोमीटर की रफ़्तार से खिसकने वाले मैग्नेटिक नार्थ पोल में अचानक से इतनी तेज़ी क्यूं आई वैज्ञानिक इसको जानने के लिए अपने शोध कार्यों में जुटे हुए हैं। दिलचस्प बात ये है कि चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के मुकाबले चुम्कीय दक्षिणी ध्रुव में ज़्यादा बदलाव नहीं आ रहा है और ये बहुत राहत वाली बात है।