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Blog / 21 Jun 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण (Rising Plastic Pollution)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण (Rising Plastic Pollution)


मुख्य बिंदु:

प्लास्टिक हमारे रोज़मर्रा जीवन का एक हिस्सा बन गया है। हम कोई भी खरीद करे उसमे किसी न किसी रूप में प्लास्टिक इस्तेमाल होता ही है। इनमें से काफी प्लास्टिक ऐसी होती है जो सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल होती हैं जैसे स्ट्रॉ, प्लास्टिक के ढक्कन, पानी की प्लास्टिक बोतल आदि। एक बार इस्तमाल के बाद ये कूड़ा बन जाते हैं और डंपिंग या लैंडफीलिंग के ज़रिये इन्हे समुद्र तट पर फेक दिया जाता है। जिसके कारण सुमद्र में प्लास्टिक कचरे की मात्रा बढ़ती जा रही हैं।

इसी विषय पर चर्चा करने के लिए जापान सरकार ने G20 समिट के पर्यावरण और ऊर्जा मंत्रियों को Karuizawa में एक बैठक के लिए बुलाया जिसमें समुद्री प्लास्टिक कचरे को निपटाने का मुद्दा रखा गया और एक नए अमल ढांचे को अपनाने की सहमति व्यक्त की।

G20 समिट विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रिओं और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर्स का एक संगठन हैं जिसमें 19 देशों के साथ यूरोपीय संघ शामिल हैं। ये 19 देश- Australia , Canada , Saudi Arabia , United States , India , Russia , South Africa , Turkey ,Argentina , Brazil , Mexico , France , Germany , Italy , United Kingdom , China , Indonesia , Japan , South Korea हैं।

जापान के प्रधान मंत्री Shinzo Abe ने इन दो दिनों की बैठक में मरीन प्लास्टिक Waste को कम करने के लिए सभी देशों से एक प्रोग्रेस रिपोर्ट की मांग की है जिसमे वे सभी समुद्र को साफ़ करने हेतु अपनी पहल को व्यक्त करेंगे और उस पहल को कितनी सफलता मिली ये भी उसमे स्पष्ट करेंगे , यदि ये उपाय लाभदायक हुए तो और देश भी इसे अपनाएंगे ।

तो आईये आज के DNS के माध्यम से चर्चा में चल रहे प्लास्टिक के मुद्दे को समझेंगे और प्लास्टिक हमारे लिए खतरा क्यों है इसको भी जानेंगे।

प्लास्टिक भार में हल्का , मज़बूत और टिकाऊ होता है जो मेटल की अपेक्षा सस्ता होता है। ये प्लास्टिक अधिकतर चीज़ों में इस्तेमाल होता है जैसे पॉलिथीन बैग्स , प्लास्टिक बॉटल्स आदि। प्लास्टिक नॉन-बायोडिग्रेडेबल होता है, ये अपघटित होने में कई साल लेता है इसलिए इसे इको- फ्रेंडली नहीं माना जाता और पर्यावरण में मिलकर उसे प्रदूषित करता है।

Municipal Solid Waste के रूप में ये प्लास्टिक समुद्रों में जा कर मिल जाता है । सूर्ये का प्रकाश इन तक पहुँच नहीं पाता और डीग्रेड होने में इन्हे अधिक समय लग जाता है और ये लम्बे समय तक समुद्र की सतह पर जमे रहते हैं, और समुद्री जीव जैसे कछुआ , मछली इनमे फास जाते हैं। कभी कभी ऐसा भी होता है के ये समुद्री जीव इन प्लास्टिक को खा भी लेते हैं जो उनकी मौत का कारण बन जाता है।

जापान में हुई बैठक का सबसे चिंता जनक विषय यही है। ये तस्वीरें जिनमे समुद्री जीवों के पेट से प्लास्टिक मिलती है विश्व भर में समुद्रों की छवि को बदल रहा है।

सिर्फ समुद्री जीव ही नहीं बल्कि इसका असर मनुष्यों पर भी पड़ता है, लैंडफिल में डाले गए खतरनाक केमिकल के कारण ये Plastic ग्राउंड Water Pollution के कारण बन जाता है।

समुद्री कचरा विश्वभर की समस्या है, और यही समस्या भारत देश में भी है, इसलिए भारत में 2015 से कई संस्थाए इस कचरे को साफ़ करने में जुटी हैं। और अब तक लगभग 12000 टन कचरा साफ़ किया जा चुका है।

मरीन प्लास्टिक Waste को ख़तम करने के लिए पिछले 25 सालों में Ocean Conservancy नामक संस्था ने प्रशंसनीय काम किया है।ये संस्था Washington में स्थित एक संगठन है जिसका एक ही प्रण है - "Start a Sea Change "। ये संस्था दुनियाभर के जल निकायों को साफ़ और स्वस्थ रखने के लिए काम करती है। इस संस्था में लोग एक जुट हो कर समुद्र को साफ़ करते हैं। ऐसा करने के लिए ना तो इन्हे कोई धन राशि दी जाती है ना ही किसी को नियुक्त किया जाता है। स्वैच्छा लोग इसमें अपना योगदान देते हैं।

भारत में Ocean Conservancy ने International Coastal Cleanup स्थापित किया जो महासागर के स्वस्थ के लिए सबसे बड़ा स्वंसेवक प्रयास साबित हुआ।

उद्धारहण के तौर पर देखा जाए तो मुंबई के वर्सोवा बीच पर 2015 तक प्लास्टिक कचरा अधिक से भी बहुत अधिक मात्रा में था।

अफ़रोज़ शाह ने , जो पेशे से लॉयर हैं, अपने साथ लोगो को एकजुट कर खुद इस कचरे को उठाना शुरू किया, लोगो को जो भी कचरा दिखता वे उसे बाल्टी में, ट्रक में, या जो भी उनके पास साधन होता उससे उठा लेते। इस मुहीम में कुछ फ़िल्मी सितारे भी आगे बढ़ के आये जैसे अमिताभ बच्चन, रवीना टंडन, अनुष्का शर्मा आदि। और देखते ही देखते 2017 तक लोगों ने 12000 टन कचरा वर्सोवा से साफ़ करदिया।

कुछ इसी तरह विश्व की अन्य संस्थाए जैसे Surfrider Foundation , Oceana , The Blue Take 3 आदि, काम कर रही हैं।

भारत के प्लास्टिक मैनेजमेंट रूल्स में, 2016 में प्लास्टिक बैग को प्रतिबन्ध किया गया जिनकी मोटाई 50 micron से कम थी। साथ ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक All Single Use Plastic को हटाने का संकल्प भी लिया है।

इसी के साथ CPCB यानि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सॉलिड Waste management rules के अनुसार 2016 में सूखे कूड़े जैसे प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक बोतल और गीले कूड़े जैसे किचन और बगीचे के कूड़े को उनके स्रोत पर ही अलग करना होगा, इसके लिए सरकार ने हरे रंग के डस्टबिन गीले कूड़े के लिए और नीले रंग के डस्टबिन सूखे कूड़े के लिए रखे हैं।

अंतराष्ट्रिये स्तर पर देखा जाए तो 2018 Environment Day की थीम भी "Beat Plastic Pollution" थी जिसका उद्द्देश्ये Non Biodegradable Disposal के Waste से पैदा स्वस्थ सम्बन्धी जागरूकता फैलाना थी, इस थीम की मेज़बानी भारत ने ही की थी।

हर साल लगभग ३ लाख 50 हज़ार लोग हफ्ते के एक दिन बीच पर आ कर इस कचरे को साफ़ करते हैं। दुनियाभर में अब तक करीब 70 हज़ार टन कचरा साफ़ कर लिया गया है लेकिन इसके बावजूद भी 8 टन कचरा आज भी समुद्र में चला जाता है।

लोगो की इस मुहीम को और सफल बनाने के लिए जापान के प्रधान मंत्री ने विश्व को नेतृत्व देने की इच्छा व्यक्त की है। हमारे महासागर तब तक स्वच्छ नहीं हो पाएंगे जब तक लोगो की मानसिकता नहीं बदलेगी। इसलिए कम से कम जो हो सकता है वो यही है जो लोग अभी महासागर की संरक्षणा के लिए कर रहे हैं।