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Blog / 04 Jul 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्यों आ रहे है बार-बार भूकंप? (Reason behind Frequent Earthquakes)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी)  क्यों आ रहे है बार-बार भूकंप? (Reason behind Frequent Earthquakes)



एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी को झेल रही है, तो वहीं दूसरी तरह प्रकृति भी नाराज है...दुनिया के विभिन्न हिस्से से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. वहीं, भारत में भी अलग-अलग राज्यों से भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं.....हाल ही में हरियाणा के रोहतक में बीते दो-तीन दिनों में दूसरी बार भूकंप का झटका महसूस किया गया....

आज DNS कार्यक्रम में बात करते है आखिर बार-बार भूकंप आने का कारण क्या है.....और इस बात को लेकर भू-वैज्ञानिकों ने क्या कहा है.....साथ ही बहुत से महत्वपूर्ण बातें भी...

रोहतक की धरती हाल ही के दिनों में छठी बार भूकंप के झटकों से कांपी है...जमीन से महज पांच किमी की गहराई पर भूकंप का केंद्र होने के कारण तेज आवाज भी हुई..जिससे लोग खोफ्जदा है....

भू-विज्ञानियों ने रोहतक में लगातार भूकंप आने का कारण इंडो-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट के टकराने और फॉल्ट लाइन के सक्रिय होना है.....इससे दिल्‍ली-एनसीआर क्षेत्र में खतरा है....इस संबंध में शोध में भू विज्ञानी अभी जुटे हुए हैं....शोध किए जा रहे हैं...वरिष्ठ विज्ञानियों ने दावा किया है कि दिल्ली और हरियाणा के आसपास पांच फॉल्ट-रिज लाइन हैं....फिलहाल महेंद्रगढ़-देहरादून सक्रिय है...पिछले दो-तीन महीने से मथुरा फॉल्ट लाइन में भी सक्रियता के कारण ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद तक भूकंप के झटके आ चुके हैं..

भू-वैज्ञानिकों के रिसर्च में सामने आया है कि धरती के अंदर सात टेक्टोनिक्ट प्लेटें हैं...भारत इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट पर टिका है...यह प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट से टकरा रहीं हैं। इनके टकराने से हिमालय क्षेत्र, हिंदूकुश क्षेत्र प्रभावित होने के साथ ही फॉल्ट लाइन(भ्रंश रेखा) तक प्रभावित होने से इनमें सक्रियता बढ़ गई है...

वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. जेएल गौतम का दावा है कि दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और हरियाणा के निकट पांच फॉल्ट लाइन या फिर रिज यानी धरती के अंदर उभरा हुआ क्षेत्र है....जब दो प्लेटों के जोड़ में कोई हलचल होती है तो रिज क्षेत्र में अंतर बढ़ता है...इससे भूकंप का असर होने के आसार बन जाते हैं..दूसरी ओर, फॉल्ट लाइन लिक्विड पर तैरती रहती हैं..फॉल्ट लाइन में दरारें भी होती हैं। जब भी प्लेट टकराती हैं तो लिक्विड पर तैरने वाली फॉल्ट लाइन में कुछ हलचल होती है...कुछ महीने बाद यह हलचल शांत हो जाती है....

पृथ्वी के नीचे टैक्टोनिक प्लेटों में दरार होती है। जब इन दरारों में हलचल होती है, तब उसके आसपास भूकंप आते हैं.... दरअसल ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं...करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं। लेकिन यूरोप में कुछ स्थानों पर ये अपेक्षाकृत कम गहराई पर हैं...आजकल जोन-4 में भूकंप आ रहे हैं। भूकंप कब आएगा और कितना बड़ा आएगा, मौसम की भविष्यवाणी की तरह इसकी जानकारी पहले नहीं दी जा सकती। पूरी दुनिया में भूकंप आने के बाद ही उसकी स्टडी होती है।

इन क्षेत्रों में पड़ता है असर

महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन से हरियाणा के चार जोन प्रभावित होते हैं...दिल्ली-हरिद्वार रिज फॉल्ट लाइन और दिल्ली-सरगोदा फॉल्ट लाइन से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रभाव पड़ता है। मथुरा फॉल्ट लाइन से ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद व इस फॉल्ट लाइन में दिल्ली का क्षेत्र प्रभावित होता है। सोना फॉल्ट लाइन से गुरुग्राम क्षेत्र प्रभावित होता है। महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन रोहतक शहर के ठीक नीचे से गुजर रही है। इसलिए जमीन के अंदर की मामूली हलचल भूकंप के रूप में होती है....

फॉल्ट लाइन महेंद्रगढ़-देहरादून

विशेषज्ञों के अनुसार गांव चुलियाणा में भूकंप जिस केंद्र पर आया उस फॉल्ट लाइन को महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट कहा जाता है...भूवैज्ञानिकों के मुताबिक महेंद्रगढ़-दूहरादून फॉल्ट जमीन के अंदर है...इसकी सतह से गहराई करीब एक किलोमीटर है...राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के मुताबिक आए भूकंप का केंद्र रोहतक शहर से 15 किलोमीटर दूर चुलियाणा एरिया रहा...ये एरिया उसी फॉल्ट एरिया में आता है...

इन जिलों से गुजरती है फॉल्ट लाइन

महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन हरियाणा के महेंद्रगढ़ से शुरू होकर झज्जर, रोहतक, सोनीपत, पानीपत होती हुई देहरादून में हिमालय के नीचे चली जाती है....हिमालय से जुड़े होने की वजह से फॉल्ट में हलचल बनी रहती है....इस फॉल्ट लाइन पर छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं...

जोन-4 में शामिल

आपदा प्रबंधन अधिकारी सौरभ का कहना है कि आधा रोहतक जिला जोन-4 में आता है..जबकि कुछ जोन तीन में तो महम जोन दो में है...जोन-4 में भूकंप से नुकसान की अधिक संभावना होती है। आपदा से अधिक नुकसान गलत निर्माण कार्यों से होता है। हमें बड़े भूकंपों से बचने के लिए खुद को तैयार रखना होगा। भवन निर्माण में भूकंप रोधी तकनीक का उपयोग होना चाहिए। अधिक नुकसान की संभावना ऊंची इमारतों में होता है...

हरियाणा के 12 जिले संवेदनशील

हरियाणा के 12 जिले भूकंप के चलते संवेदनशील हैं...जोन-चार में आने वाले जिले संवेदनशील माने जाते हैं। जोन-तीन कम प्रभावित क्षेत्र, जबकि जोन-दो में भूकंप आने की बेहद कम संभावनाएं हैं।

पहले जींद में आते थे ऐसे भूकंप

रोहतक में पहले 4.1 तीव्रता का भूकंप भी दर्ज किया गया था...फिर 2.4 और 2.8 तीव्रता का मापा गया है...13-14 साल पहले जींद में भी इसी तरह के भूकंप आते थे....तब दिल्ली-सरगोधा रिज पर हलचल रहती थी....वर्ष 1720 में इस रिज में 6.7 क्षमता का भूकंप आया था और दिल्ली व समीपवर्ती इलाकों में भारी तबाही हुई थी.... अब 300 सालों में यह रिज शांत है...

भारत में भूकंपीय ज़ोन की सूची

भूकंपीय इतिहास के आधार पर, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों अर्थात् ज़ोन-II, ज़ोन-III, ज़ोन-IV और ज़ोन-V में वर्गीकृत किया गया है...

  • ज़ोन-V: पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात के कच्छ के कुछ हिस्से, उत्तर बिहार और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्से शामिल हैं।
  • ज़ोन- IV: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के शेष भाग, केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्से, तथा पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र के छोटे हिस्से शामिल हैं।
  • ज़ोन-III: केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के शेष भाग, पंजाब के कुछ हिस्से, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड के कुछ हिस्से, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।
  • ज़ोन-II: देश के शेष हिस्से शामिल हैं

दिल्ली एनसीआर सहित आधा रोहतक जिला खतरनाक जोन-4 में शामिल है....जहाँ विशेषज्ञों के अनुसार इस क्षेत्र में भूकंप आते रहते हैं....इसलिए रोहतक जिलावासियों को भी भविष्य में भूकंप के झटके सहने को तैयार रहना चाहिए....