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Blog / 11 Jul 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) ओपन स्काई एग्रीमेंट (Open Sky Agreement)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) ओपन स्काई एग्रीमेंट (Open Sky Agreement)



हाल ही में, खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात ने भारत के साथ एक ‘खुला आकाश समझौता’ यानी ‘ओपन स्काई एग्रीमेंट’ करने की इच्छा जाहिर की है। यह बात भारत में मौजूद यूएई के राजदूत ए. आर. अल्बाना ने कही.

डीएनएस में आज हम आपको 'ओपन स्काई एग्रीमेंट' के बारे में बताएंगे और साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ दूसरे महत्वपूर्ण पक्षों को भी…..

'ओपन स्काई एग्रीमेंट' दो देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से जुड़ा एक द्विपक्षीय समझौता होता है. इसके अंतर्गत दो देश एक दूसरे को अंतर्राष्ट्रीय यात्री और कार्गो सेवा प्रदान करने के लिए अपनी-अपनी एयरलाइंस के लिये अधिकार देने के लिये आपस में वार्ता करते हैं। इस तरह के समझौतों से अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों और कार्गो उड़ानों के विस्तार को बढ़ावा मिलता है।

इसी से मिलता-जुलता एक वायु सेवा समझौता यानी एयर सर्विस एग्रीमेंट (Air Service Agreement): भी होता है लेकिन ओपन स्काई एग्रीमेंट और एयर सर्विस एग्रीमेंट के बीच कुछ अंतर होता है. एयर सर्विस एग्रीमेंट में उड़ानों, सीटों, लैंडिंग बिंदुओं एवं कोड-शेयर की संख्या से जुड़े तमाम पहलू शामिल किये जाते हैं. लेकिन इस समझौते के तहत 2 देशों के बीच केवल सीमित उड़ान ही भरे जा सकते हैं. यानी यह समझौता असीमित संख्या में उड़ानों की अनुमति नहीं देता है। जबकि'ओपन स्काई एग्रीमेंट' उड़ानों की संख्या असीमित रखी जा सकती है. भारत ने अब तक कुल 109 देशों के साथ वायु सेवा समझौता (Air Service Agreement) किया हुआ है, इसमें संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल है। अगर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच 'ओपन स्काई एग्रीमेंट' होता है तो ये दोनों देश एक दूसरे के चयनित शहरों के बीच असीमित संख्या में उड़ान भर सकेंगे।

भारत सरकार ने साल 2016 में अपनी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति यानी नेशनल सिविल एवियशन पॉलिसी जारी की थी. इसके तहत भारत, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन यानी सार्क देशों के साथ-साथ नई दिल्ली से 5,000 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी देशों के साथ आपसी आधार पर ओपन स्काई हवाई सेवा समझौता कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि नई दिल्ली से 5000 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी देश भारत के साथ ऐसा द्विपक्षीय समझौता कर सकते हैं जिसके तहत ये दोनों आपस में उन उड़ानों की संख्या तय कर सकते हैं जो उनकी एयरलाइंस दोनों देशों के बीच संचालित करती हैं। बता दें कि भारत ने पहले से ही ग्रीस, जमैका, गुयाना, फिनलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान आदि के साथ 'ओपन स्काई समझौते' (Open Sky Agreement) कर रखे हैं।

संयुक्त अरब अमीरात ने एक और बात कही कि भारतीय एयरलाइंस के हितों को दूसरे एयर कैरियर से कोई खतरा ना हो, इसके लिए वह पाँचवीं और छठवीं ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ को लागू करने के इच्छुक नहीं है।

‘फ्रीडम ऑफ एयर’ की अवधारणा साल 1944 के ‘कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल सिविल एविएशन’ (Convention on International Civil Aviation) में निकल कर आई थी. इस कन्वेंशन को शिकागो कन्वेंशन (Chicago Convention) भी कहा जाता है जो कि साल 1947 से प्रभावी हुआ था. इसमें विमानन उदारीकरण की सीमा पर असहमति के परिणामस्वरूप ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ का कांसेप्ट गढ़ा गया। ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ वाणिज्यिक विमानन अधिकारों का एक ऐसा समूह है जिसके तहत किसी देश की एयरलाइनों को किसी अन्य देश के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने और उतरने का विशेषाधिकार मिल जाता है। ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ 9 प्रकार का होता है. पाँचवीं ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ में दो देशों के बीच ऐसा उड़ान भरने का अधिकार शामिल है जो अपने ही देश से शुरू या समाप्त होने वाली उड़ान का संचालन करते हैं, लेकिन ये उड़ाने बीच में किसी अन्य देश में स्टॉपेज ले सकते हैं. छठवीं ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ में गैर-तकनीकी कारणों से अपने देश में रुकने के अलावा एक विदेशी देश से किसी दूसरे देश में भी उड़ान भरने का अधिकार शामिल है।

मौजूदा वक़्त में, द्विपक्षीय वायु सेवा समझौते (Air Service Agreement) के अंतर्गत भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक हफ्ते में तकरीबन 1068 उड़ानें संचालित की जाती हैं। ऐसे में, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात को एक ‘ओपन स्काई नीति’ बनाने की जरूरत है जो भविष्य में भारत को एक वाणिज्यिक केंद्र बनने में मददगार साबित हो सकती है।