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Blog / 21 Aug 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) लद्दाख आदि महोत्सव 2019 (Ladakh Aadi Mahotsav 2019)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) लद्दाख आदि महोत्सव 2019 (Ladakh Aadi Mahotsav 2019)


मुख्य बिंदु:

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में नौ दिवसीय आदि महोत्‍सव का आयोजन हो रहा है। 17 अगस्त से शुरू हो रहा ये महोत्सव आने वाले 25 अगस्त तक चलेगा। इस आयोजन का मक़सद लद्दाख क्षेत्र में रहने वाले लगभग 70 फीसदी से ज्यादा आदिवासियों द्वारा बनाए जाने वाले हैंडीक्रफ्ट को देश और दुनिया के बाजारों में पहुँचाना है। साथ ही इस महोत्सव के ज़रिए यहां आने वाले अन्य हिस्सों के प्रशिक्षित कारीगरों से लद्दाख के आदिवासियों का परिचय होगा और वो उद्यमी बनने का गुर भी सीखेंगें।

आपको बता दें कि आदि महोत्‍सव में देश भर के क़रीब 20 से ज्यादा राज्यों शिरकत कर रहे हैं। साथ ही महोत्‍सव में भाग ले रहे कुल राज्यों के लगभग 160 जनजातीय कारीगर महोत्सव में शमिल होंगे और अपनी बेहतरीन कारीगरी का प्रदर्शन भी करेंगे।

DNS में हम आपको आदि महोत्‍सव 2019 के बारे में बताएंगे। साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ और भी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में...

लेह -लद्दाख में आदि महोत्‍सव का आगाज़ हो चुका है। राजस्थान, महाराष्ट्र, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से आए रंगबिरंगे जनजातीय वस्त्र महोत्सव के मिज़ाज़ को बड़ा ही ख़ूबसूरत और ख़ुशनुमा बनाए हुए हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों से आए जनजातीय आभूषण भी इस महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा रहे हैं। साथ ही भारत के कोने - कोने से आईं जनजातीय चित्रकलाएं, धातु शिल्प और उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और कर्नाटक से आए ऑर्गेनिक उत्पाद भी इस महोत्सव में जान डाल रहे है।

लद्दाख के पोलो ग्राउंड में आयोजित हो रहा ये महोत्सव एक राष्‍ट्रीय जनजातीय उत्‍सव है। आदि महोत्सव को जनजातीय संस्‍कृति, शिल्‍प, व्‍यंजन और वाणिज्‍य की भावना के साथ ख़ुशी और उल्लास के रूप में आयोजित किया जाता है। आदि महोत्सव 2019 का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ ट्राइफेड की ओर से आयोजित किया जा रहा है। आदि महोत्सव 2019 का विषय ‘जनजातीय कला, संस्कृति और वाणिज्य की भावना का उत्सव’है।

आदि महोत्सव के ही दौरान लद्दाख में मौजूद विपणन योग्य खाद्य और वन उत्पादों के दामों में इजाफा भी किया जायेगा। साथ ही उन्हें ट्राइब्स इंडिया के आपूर्तिकर्ताओं के रूप में शामिल कर उनकी पहचान कारीगर और शिल्पकार के रूप में सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा इन उत्पादों को देश भर में ट्राइब्स इंडिया द्वारा संचालित 104 खुदरा दुकानों और ट्राइब्स इंडिया और एमेजॉन के बीच हुए क़रार के ज़रिए इसे दुनिया भर के 190 देशों में भी बेचा भी जायेगा।

आदि महोत्सव में पहली बार भारतीय स्टेट बैंक भी आदिवासियों के बीच इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल लेन - देन की प्रक्रिया का प्रदर्शन करने के लिए जा रहा है । भारतीय स्टेट बैंक आदिवासी कारीगर प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों के ज़रिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से कैशलेस लेनदेन के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल लेन - देन की प्रक्रिया से लोगों को रूबरू कराएंगे।

इस आयोजन के दौरान दो प्रतिष्ठ स्थानीय सांस्कृतिक समूह लद्दाखी लोक नृत्य प्रस्तुत भी करेंगे। ये समूह जाबरो और स्पाओ नृत्य प्रस्तुत करेंगे। जाबरो नृत्य के बारे में बताएं तो ये लद्दाख के चांगथेंग क्षेत्र की ऊंची पहाड़ियों में रहने वाले तिब्बती मूल के खानाबदोश लोगों का एक सामुदायिक नृत्य है। जाबरो नृत्य लद्दाख में मनाए जाने वाले लगभग सभी उत्सवों का हिस्सा है जिसमें पुरुष और महिलाएं नृत्य करती हैं। साथ ही ये नृत्य तिब्बती नव वर्ष समारोह लोसार का भी एक अभिन्न अंग है जो बुराई पर अच्छाई के संघर्ष के विषय पर आधारित है। इसके अलावा स्पाओ नृत्य वीरों और योद्धाओं की महान गाथाओं को प्रदर्शित करता है।

इस महोत्सव में भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास ‘ट्राइफेड’ ‘सेवा प्रदाता’ और ‘मार्केट डेवलपर’ की भूमिका निभाएंगा। ट्राइफेड के बारे में बताएं तो इसे बहुराज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 1984 के तहत साल 1987 में भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास ‘ट्राइफेड’ की स्थापना की गई थी। हालाँकि बहुराज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2007 के अधिनियमित होने के बाद ट्राइफेड को इस अधिनियम में पंजीकृत कर इसे राष्ट्रीय सहकारी समिति के रूप में अधिनियम की दूसरी अनुसूची में अधिसूचित किया गया।

ट्राइफेड का एक पंजीकृत और प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में मौजूद है साथ ही इसके देश में अलग - अलग जगहों पर 15 क्षेत्रीय कार्यालय भी मौजूद हैं। मौजूदा वक़्त में ये संगठन देश के हर कोने में ट्राइब इंडिया ब्रांड के ज़रिए आदिवासी उत्पादों को पहुंचाने में मदद कर रहा है जोकि आदिवासी समाज के सामाजिक और आर्थिक बेहतरी के लिए बेहद ही ज़रूरी है।