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Blog / 19 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) मुंबई के लिए बाढ़ चेतावनी प्रणाली (IFLOWS MUMBAI : Flood Warning System for Mumbai)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) मुंबई के लिए बाढ़ चेतावनी प्रणाली (IFLOWS MUMBAI : Flood Warning System for Mumbai)



देश में बाढ़ से हर साल तबाही होती है और इस बाढ़ से जानमाल का नुकसान होता है…कई सालों से हम देख रहे है की ज्यादा बारिश की वजह से शहरों में बाढ की स्थिति हो जाती है....बादल फटने , अधिक बारिश से लेकर चरवात तक इलाकों में बाढ़ आती है...

इन्ही बात को समझकर हाल ही में मुंबई के लिए अत्याधिक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली IFLOWS-MUMBAI लांच किया गया ....

आज DNS में IFLOWS-MUMBAI के बारे में ...ये सिस्टम कैसे काम करेगा...

जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और मानसून में बदलाव द्वारा भारत में अत्यधिक बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं...तो चलिए समझते है IFLOWS-MUMBAI ( INTEGRATED FLOOD WARNING SYSTEM ) के बारे में बात करते है.. बीते 12 जून 2020 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे और केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने अत्याधिक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली IFLOWS-MUMBAI लांच किया...

ये प्रणाली विशेष रूप से भारी बारिश और चक्रवात के दौरान बाढ़ के लिए प्रारंभिक चेतावनी देने में मदद करेगा....महानगर बढ़ का सामना कर सके उसके लिए तैयार करेगा......

ऐसा माना जा रहा है की इससे 3 दिन पहले बाढ़ का अनुमान लगाना मुमकिन होगा...इसके साथ ही 3 घंटे – 6 घंटे के तत्काल मौसम अपडेट मिल पायेगा..लोगों को निचले इलाकों से खाली करने के लिए भी यह बेहद ही मददगार साबित होगा क्यूंकि यह 12 घंटे पहले ही अनुमान लगाने के कारगर साबित होगा की किस स्थान में बाढ़ आ सकता है....यह सिस्टम हर क्षेत्र-विशेष में बारिश का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है....

आपको बतादें पृथ्वी मंत्रालय ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम (BMC) के साथ मिलकर अपनी इन हाउस विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर इस सिस्टम को तैयार किया है....

IFLOW-MUMBAI को एक मॉडयूलर संरचना पर बनाया गया है...और इसमें सात मॉडयूल है...आपको बतादें डेटा संग्रह मॉडयूल आईएमडी मौसम पूर्वानुमान और मुंबई शहर में नदियों और झीलों के पानी की गहराई सहित कई डेटा एकत्र करता है…. सिस्टम में NCMRWF, IMD से मौसम मॉडल, IITM, MCGM और IMD द्वारा स्‍थापित वर्षा गेज नेटवर्क स्टेशनों से क्षेत्र डाटा, भूमि उपयोग पर थीमेटिक लेयर्, MCGM द्वारा बुनियादी ढांचे आदि प्रदान किए गए हैं...मौसम मॉडल के इनपुट के आधार पर, बरसात को बहते पानी में बदलने और नदी प्रणालियों में प्रवाह इनपुट प्रदान के लिए हाइड्रोलॉजिकल मॉडल का उपयोग किया जाता है...इस प्रणाली में शहर के भीतर शहरी जल निकासी ज्ञात करने और बाढ़ वाले क्षेत्रों के पूर्वानुमान के प्रावधान हैं, जिनको फाइनल सिस्‍टम में शामिल किया जाएगा। NCCR National Centre for Coastal Research द्वारा एमसीजीएम और आईएमडी (India Meteorological Department), मुंबई के सहयोग से मिथी, दहिसर, ओशिवारा, पोइसर, उल्हास, झीलों और क्रीक सभी नदियों से रिवर बैथीमीटरी डाटा लिया गया था। भूमि स्थलाकृति, भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचा, जनसंख्या आदि, MCGM (Municipal Corporation of Greater Mumbai )द्वारा उपलब्‍ध कराये गए थे और GIS में थीमैटिक लेयर्स का उपयोग करके वार्ड स्तर पर बाढ़ के स्तर का सटीक अनुमान लगाने के लिए इसे डिसीजन सपोर्ट सिस्‍टम में जोड़ा गया था। बाढ़ के संपर्क में आने वाले तत्वों की भेद्यता और जोखिम की गणना करने के लिए एक वेब GIS आधारित डिसीजन सपोर्ट सिस्‍टम निर्मित किया गया है....

मुंबई में आखिर इस सिस्टम की क्या ज़रूरत

महाराष्ट्र राज्य की राजधानी, और भारत की वित्तीय राजधानी, मुंबई महानगर लम्बीर अवधि वाली बाढ़ों की त्रास्दीत झेलता रहा है और 29 अगस्त 2017 को बाढ़ से जूझना पड़ा, जिसकी वजह से अपनी जल निकासी प्रणालियों के बावजूद शहर ठहर सा गया....26 जुलाई 2005 को आई बाढ़ की यादें शायद हर किसीको याद होगी..जब शहर में 24 घंटे में 100 साल में सबसे ज्यादा 94 चौरानवे सेमी बारिश हुई, जिसके चलते शहर पूरी तरह से रुक गया था...ऐसे में बाढ़ के लिए तैयारी के रूप में, लोगों को चेताया जाना चाहिए ताकि वे बाढ़ आने से पहले हालात से निबटने के लिए तैयार हो सकें.....