Home > DNS

Blog / 03 Oct 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) फ़ेंक न्यूज़ (Fake News)

image


(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) फ़ेंक न्यूज़ (Fake News)


मुख्य बिंदु:

सुर्खियों में क्यों?

  • हाल ही में फेक न्यूज़ को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में एक समझौते संपन्न हुआ
  • इन समझौते पर भारत, फ्रांस और ब्रिटेन सहित 20 देशों ने हस्ताक्षर किए
  • इस पहल की शुरुआत रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था के द्वारा की गई
  • हाल में ही भारत के उच्चतम न्यायालय ने सरकार एवं सोशल मीडिया को फेक न्यूज़ से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु निर्देश दिए है

फेक न्यूज क्या है?

  • फेक न्यूज़ में काल्पनिक लेख/ समाचार/ सूचनाएं इत्यादि को शामिल किया जाता है जिसे पाठकों को गुमराह करने के उद्देश्य जानबूझकर प्रसारित किया जाता है।
  • फेक न्यूज को एलो जर्नलिज्म कहा जाता है। भारतीय प्रसंग में शीर्ष फेक न्यूज के उदाहरण:
  1. भारतीय राष्ट्रगान को यूनेस्को के द्वारा सर्वश्रेष्ठ घोषित किया जाना
  2. नोटबंदी के उपरांत प्रचलन में आए 2000 के नोटों में इलेक्ट्रॉनिक चिप का होना
  3. अफवाह फैलाने के कारण बेंगलुरु से पूर्वोत्तर भारतीय लोगों का पलायन
  • फेक न्यूज़ की घटनाएं लगातार बढती जा रही है जिसके निम्न कारण है
  1. समुचित विनियमन का अभाव।
  2. ऑनलाइन समाचार/ सूचना पोर्टल के खोलने के लिए आवश्यक बाध्यकारी नियमों की कमी
  3. सांप्रदायिक एवं वैचारिक स्तर पर ध्रुवीकरण के कारण फेक न्यूज़ का प्रसार आसान हो गया है
  4. राजनीतिक दलों के द्वारा मतदाताओं के ध्रुवीकरण हेतु इन का सहारा लिया जाना
  5. ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म विस्तार से फेक न्यूज़ में और तेजी आई है
  6. क्लिक के द्वारा प्रत्येक ऑनलाइन व्यू (view) से लाभ कमाने के मकसद से यह पैसा कमाने का एक माध्यम बन गया है
  7. कई बार टीआरपी बढ़ाने के लिए विशुद्ध रूप से फेक न्यूज़ गढ़े जाते हैं जिसके कारण यह विज्ञापन और राजस्व का एक माध्यम बन गए हैं

क्या है चुनौतियां?

  • सोशल मीडिया कंपनियां अपनी मध्यस्थ भूमिका को बताते हुए इससे किनारा कर लेती हैं
  • दरअसल सोशल मीडिया पर प्रचलित कंटेंट/ सूचनाओं का एक बड़ा हिस्सा यूजर्स जेनरेटेड कंटेंट है
  • इसमें कंपनियां यह तर्क रखती हैं कि वह मात्र एक मध्यस्थ के रूप में काम करती हैं
  • यदि सरकार द्वारा इस पर नियंत्रण लगाने की कोशिश की जाती है तो मीडिया के द्वारा इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताती हैं
  • यदि सरकार सोशल मीडिया पर अंकुश लगाती हैं तो लोग इसे नागरिकों की जासूसी बताती हैं
  • मैसेजिंग सेवा में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन एक और गोपनीयता तो सुनिश्चित करती हैं लेकिन वहीं इसके दुरुपयोग की संभावना को भी बढ़ा देती है
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फेक न्यूज़ में शामिल क्या होता है, इसको परिभाषित करने की जरुरत है

कौन से कानून है?

  • इसको हम दोनों भागों में विभाजित कर सकते हैं-अंतरराष्ट्रीय देशों द्वारा किए गए प्रयास और भारत द्वारा उठाए गए कदम
  • अंतरराष्ट्रीय देशों द्वारा उठाए गए कदम
  1. सिंगापुर में फेक न्यूज़ के संदर्भ में पिछले वर्ष नए कानून बनाए गए
  2. रूस ने समाचार पत्रों में फेक न्यूज़ की संभावना के लिए एक फेक न्यूज़ स्टांप बनाया है
  3. फिलिपींस ने संवेदनशील समाचार स्रोतों को फेक न्यूज आउटलेट के रूप में घोषित किया गया है
  4. 2018 की शुरुआत में फ्रांस में भी फेक न्यूज़ से संबंधित कानून पारित किया गया।
  5. यूरोपीय संघ ने भी फेक न्यूज़ को एक बड़ी समस्या मानते हुए मीडिया साक्षरता अभियान और ऑनलाइन न्यूज में पारदर्शिता बढ़ाने पर बल दिया।
  • भारत सरकार के द्वारा उठाए गए कदम
  1. सरकार ने फेक न्यूज़ के संदर्भ में विनियमन हेतु सोशल मीडिया को निम्नलिखित निर्देश दिया गया है
  • भारत में कंपनी की एक कारपोरेट इकाई को स्थापित करना
  • फेक न्यूज को रोकने हेतु टूल्स को विकसित करना
  • डेटा लोकलाइजेशन नियमों का अनुपालन करना
  • भारतीयों के वित्तीय लेनदेन को भारतीय सर्वरों पर संग्रहीत किया जाना

2. भारतीय दंड संहिता की धारा 153 विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई, क्षेत्रीय समूह के बीच घृणा या वैमनस्य को बढ़ावा देने की गतिविधियों को अपराध मानती है अतः इनसे संबंधित फेक न्यूज़ स्वतः इस धारा के अंतर्गत आ जाते है।

कैसे निपटा जाए?

  • सबसे पहले फेक न्यूज़ को परिभाषित करने की जरूरत है
  • मुख्यधारा के मीडिया के द्वारा प्रस्तुत सूचनाओं/ न्यूज़ की जिम्मेदारी संपादकीय नियंत्रण मंडल या संपादक पर डाली जाये
  • इस संबंध में विनियमन और नीतिगत अपंगता को दूर किया जाये एवं इसका विस्तार समग्र मीडिया तक हों
  • फेक न्यूज़ की पहचान के लिए उन्नत वेब टूल्स को विकसित करना चाहिए जिससे सूचनाओं की निगरानी और विश्लेषण किया जा सके
  • फेक न्यूज़ के संदर्भ में एक मानकों का सेट प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिसके उल्लंघन पर संबंधित पक्ष को दंडित किया जा सके
  • समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया की नैतिक जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए जिससे वे फेक न्यूज़ प्रदान नहीं करें
  • सोशल मीडिया साक्षरता को बढ़ावा दिया जाए
  • फेक न्यूज़ के संदर्भ में विधि आयोग की 267 वीं रिपोर्ट में आईपीसी में दो अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं उन्हें लागू किया जाए

हाल ही में फेक न्यूज़ को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में एक समझौते संपन्न हुआ।इन समझौते पर भारत, फ्रांस और ब्रिटेन सहित 20 देशों ने हस्ताक्षर किए। इस पहल की शुरुआत रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था के द्वारा की गई। हाल में ही भारत के उच्चतम न्यायालय ने सरकार एवं सोशल मीडिया को फेक न्यूज़ से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु निर्देश दिए है।