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Blog / 27 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चीन और जापान में द्वीप विवाद क्यों? (Dispute Over Islands between China and Japan)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चीन और जापान में द्वीप विवाद क्यों? (Dispute Over Islands between China and Japan)



पूर्वी लद्धाख में भारत सीमा पर तानव अभी खत्म भी नही हुआ था की चीन अब जापान के साथ द्वीपों को लेकर उलझता नजर आ रहा है...विशेषज्ञों के मुताबिक चीन अब पूर्वी चीन सागर में भी जापान के साथ द्वीपों को लेकर उलझ सकता है...जापान ने एक द्वीप श्रृंखला के पूर्ण एकीकरण की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है..जिसपर चीन की लम्बे समय से नज़र रही है ...ऐसे में अगर जापान से चीन ने बैर मोल लेने की कोशिश की तो अमेरिका जरूर शामिल होगा.....

आज DNS कार्यक्रम में हम बात करेंगे चीन सागर विवाद- इसमें शामिल क्षेत्र, देशों के दावे और सेनकाकू द्वीप के बारे में और इससे जुडी बातों को....

दक्षिणी जापान में इशिगाकी शहर की एक स्थानीय परिषद, द्वारा एक क्षेत्र का नाम बदलने की घोषणा की गयी है। इस क्षेत्र में चीन और ताइवान के साथ विवादित द्वीप भी सम्मिलित हैं। चीन ने इस निर्णय को अवैध तथा भड़काने वाला बताया है।

जापान ने, टोक्यो द्वारा नियंत्रित सेनकाकू द्वीप के पास स्थित एक द्वीप ‘टोनोशीरो’ का नाम परिवर्तित कर टोनोशीरो सेनकाकू कर दिया गया है। इस द्वीप को ताइवान और चीन में डियाओयूस के नाम से जाना जाता है।

यह निर्जन द्वीप टोक्यो और बीजिंग के बीच पनप रहे विवाद के केंद्र में हैं। चीन, डियाओयू द्वीप अपनी सीमा में स्थित मानता है।

इसके अलावा, ताइवान का कहना है कि डियाओयू द्वीपीय क्षेत्र उसके क्षेत्र का हिस्सा है और वह जापान के इस कदम का विरोध करता है।

सेनकाकू द्वीप समूह के बारे में

सेनकाकू द्वीप (Senkaku Islands) जापान, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और चीन गणराज्य (ताइवान) के मध्य पूर्वी चीन सागर में स्थित हैं। इस द्वीपसमूह में 800 वर्ग मीटर से लेकर 4.32 वर्ग किमी क्षेत्रफल के पांच निर्जन द्वीप तथा तीन बंजर चट्टानें हैं....

सेनकाकू द्वीपसमूह पर जापानी क्षेत्रीय संप्रभुता का आधार

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1951 में हुई सैन फ्रांसिस्को शांति संधि के अंतर्गत वैधानिक रूप से जापान के अधिकार क्षेत्र को पारिभाषित किया गया था। इस संधि के अनुच्छेद 2 के अंतर्गत जापान द्वारा छोड़े गए क्षेत्रों में सेनकाकू द्वीप समूह सम्मिलित नहीं था...

संधि के अनुच्छेद 3 के तहत, सेनकाकू द्वीप समूह को संयुक्त राज्य के प्रशासन के अधीन नानसेई शोटो द्वीप (Nansei Shoto Islands) के हिस्से के रूप में रखा गया था...वर्ष 1972 बहतर में जापान और अमेरिका के मध्य हुए समझौते के द्वारा सेनकाकू द्वीप समूह के प्रशासनिक नियंत्रण का अधिकार जापान को दे दिया गया था...

सैन फ्रांसिस्को संधि के तहत जापान की रक्षा की जेम्मेदारी अमेरिका की है...इस संधि में ये भी बात लिखी गयी है की जापान पर हमला अमेरिका पर हमला माना जायेगा...इस कारण अगर चीन कभी भी जापान से हमला करता है तो अमेरिका को इसके बीच आना पड़ेगा...

इस विवादित क्षेत्र का आर्थिक महत्त्व है यहाँ संभावित तेल एवं प्राकृतिक गैस के भंडार हैं, यह प्रमुख शिपिंग मार्गों के पास स्थित है, और समृद्ध मत्स्यन क्षेत्र में स्थित है....इसीलिए इसको लेकर विवाद के पीछे की वजह इसके आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण भी है...

चीन का दावा

चीन का कहना है कि यह द्वीप प्राचीन काल से ही, ताइवान प्रांत द्वारा प्रशासित मत्स्यन क्षेत्र के रूप में उसके देश का हिस्सा रहे हैं।

चीन-जापान युद्ध के पश्चात, वर्ष 1895 पंचानवे में हुई शिमोनोसेकी की संधि (Treaty of Shimonoseki) के तहत ताइवान को जापान के लिए सौंप दिया गया था।

सैन फ्रांसिस्को की संधि द्वारा जापान से ताइवान को मुक्त करा दिया गया था। चीन का कहना है, ताइवान के वापस किये जाने के साथ इन द्वीपों को भी वापस कर दिया जाना चाहिए था।

सेनकाकू / डियाओयू विवाद, पूर्वी चीन सागर, दक्षिण चीन सागर तथा भारतीय क्षेत्र में चीन के अपने क्षेत्रीय दावों को लेकर अड़ियल रवैये पर प्रकाश डालता है।

चीन के अन्य सीमा विवाद

चीन के दक्षिण चीन सागर और इसके संलग्न क्षेत्रों में ताइवान, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और वियतनाम के साथ द्वीप और समुद्री सीमा विवाद जारी हैं।

इन विवादों में दक्षिण चीन सागर में स्थित स्प्राटली द्वीप समूह (वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, ताइवान), पेरासेल द्वीप समूह (वियतनाम), स्कारबोरो शोअल (फिलीपींस), और टोंकिन (वियतनाम) सम्मिलित हैं.

अप्रैल के बाद से चीनी जहाजों को जापानी तट रक्षक द्वारा सेनकाकुस के करीब पानी में देखा गया था। चीनी जहाजों की संख्या पिछले कुछ हफ्तों में बढ़ी है, जिनमें से चार जहाज तो उस दिन भी देखे गए थे, जब क्षेत्र में नगर परिषद द्वारा बिल पारित किया गया था। जापान के कैबिनेट सचिव ने पिछले हफ्ते दोहराया कि सेनकाकुस टोक्यो के नियंत्रण में है और यह क्षेत्र निर्विवाद रूप से ऐतिहासिक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत जापान का है...