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Blog / 19 Jan 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) ब्रू शरणार्थी समझौता (Bru Refugees Accord)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) ब्रू शरणार्थी समझौता (Bru Refugees Accord)


16 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और ब्रू शरणार्थियों के प्रतिनिधियों ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा की मौजूदगी में मिजोरम से ब्रू शरणार्थियों के संकट को समाप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि त्रिपुरा में लगभग 30,000 ब्रू शरणार्थियों को बसाने के लिए 600 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया है. गृहमनत्री शाह ने कहा कि ब्रू शरणार्थियों को वहां पर 40 बाई 30 फीट का एक आवासीय प्लॉट मुहैय्या कराया जाएगा और समझौतों के मुताबिक़ उनके परिवार के नाम पर धनराशि फिक्स्ड डिपॉजिट की जाएगी.इसके साथ ही इन शरणार्थियों को 5000 रुपये प्रति माह धनराशि की नकद सहायता दी जाएगी.

गृह मंत्री ने कहा कि अगले 2 सालों तक ब्रू शरणार्थियों को पूरा राशन भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा और मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये की रकम भी बतौर सहायता दी जाएगी .

‘‘ब्रू’’ पूर्वोत्तर में बसने वाला एक जनजाति समूह है। मिजोरम के अधिकांश ‘ब्रू’ जनजाति के लोग मामित और कोलासिब जिलों में रहते है। पूर्व में ‘‘ब्रू’’ जनजाति का त्रिपुरा में विस्थापन हुआ था। सामान्यतः इस जनजाति को रियांग भी कहा जाता है। ये जनजाति ‘‘ब्रू’’ भाषा बोलती है, इस भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। ‘‘ब्रू’’ जनजाति के अन्तर्गत अनेक उपजातियां आती हैं। ‘‘ब्रू’’ पहले झूम कृषि करते थे, जिसमें ये जंगल के एक हिस्से को साफ करके वहाँ कृषि करते थे कुछ वर्षो बाद ये उस भूमि को छोड़कर जंगल के दूसरे भाग में कृषि करने चले जाते थे। अतः इसे एक बंजारा जनजाति भी माना जाता है।

आइये अब जानते हैं की ‘‘ब्रू’’ जनजाति मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा की ओर क्यों रुख कर रही है ?

दरअसल ‘‘ब्रू’’ जनजाति के मिजोरम से त्रिपुरा प्रवास का कारण मिजो जनजाति का ब्रू’’ जनजाति को बाहरी जनजाति समझना और उनके साथ हिंसा करना, माना जाता है।

सामान्यतः पूर्वोत्तर में लोग अपनी जातीय पहचान जैसे- खान-पान, पहनावा और भाषा को लेकर बहुत भावुक होते हैं। जातीय पहचान को मुद्दा बनाकर वहाँ लोग अलग राष्ट्र की मांग करते आये हैं। मिजों उग्रवादी समूहों द्वारा भी इस प्रकार की मांग की गई परन्तु जब ऐसा होने की संभावना दूर नजर आने लगी तो मिजो उग्रवादी समूहों ने उन जनजातियों को अपना निशाना बनाया, जिन्हें वो बाहरी समझते थे।
वर्ष 1995 में ‘‘ब्रू’’ और ‘‘मिजो’’ जनजातियों के मध्य टकराव बढ़ने के बाद यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ‘‘ब्रू’’ जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया। इसके पश्चात् ‘‘ब्रू’’ जनजाति मिजो जनजाति के निशाने पर आ गई।

वर्ष 1997 में ब्रू उग्रवादियों के द्वारा एक मिजो अधिकारी की हत्या कर दी गई। इसके बाद से ही क्षेत्र में ‘‘ब्रू’’ लोगों के खिलाफ अत्याधिक हिंसा हुई, जिसके पश्चात् ‘‘ब्रू’’ जनजाति को मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा प्रस्थान करना पड़ा।

ब्रू जनजाति के मूल स्थान प्रत्यावर्तन के समक्ष आने वाली चुनौतियां :

  • ‘ब्रू’ लोगों के समक्ष सबसे बड़ी मांग सुरक्षा की है। सरकार के द्वारा उन्हें सुरक्षा के लिए आश्वासन दिया जा रहा है परन्तु ‘‘ब्रू’’ लोग आश्वस्त नहीं है।
  • ब्रू लोगों की एक ही स्थान पर बसने की मांग है वे अपने मंदिर, खेतों के लिए जमीन की मांग कर रहे है जिसे मिजोरम सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया।
  • ‘‘ब्रू’’ लोगों द्वारा मिजोरम में विधानसभा तथा नौकरियों में आरक्षण की मांग की गई है। जिसे मिजोरम सरकार द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है।
  • ‘‘ब्रू’’ जनजाति को स्थाई जीवन देना भी सरकार के लिए एक प्रमुख चुनौती है। ‘‘ब्रू’’ जनजाति घुमक्कड़ जनजाति है अतः इसे किसी एक स्थाई निवास के लिए सहमत करना भी प्रमुख समस्या है।
  • ब्रू जनजाति को मूलस्थान प्रत्यावर्तन के लिए आधारभूत वस्तुओं (भोजन, निवास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) की आवश्यकता है जिसे उन तक पहुँचाना एक प्रमुख चुनौती है।

‘‘ब्रू’’ जनजाति के लिए सरकार द्वारा किए गये प्रयास:

‘‘ब्रू’’ जनजाति की वापसी के लिए केंद्र, मिजोरम और त्रिपुरा सरकार के मध्य कई दौर की बातचीत हुई है। वर्ष 2010 में पहली बार लगभग 1600 परिवारों के साढ़े आठ हजार ब्रू लोगों को वापस मिजोरम बसाया गया लेकिन मिजो समूहों के विरोद्ध के पश्चात इस पर आगे कार्य नहीं हो सका।

वर्ष 2018 में केन्द्र सरकार द्वारा एक समझौते का ऐलान किया गया जिसमें केन्द्र सरकार, मिजोरम सरकार और मिजोरम ‘‘ब्रू’’ डिस्प्लेस्ड पीपल्स फोरम (MBDPF) सम्मिलित थे। इसमें 5,407 ब्रू परिवारों के 32, 876 लोगों के लिए 435 करोड़ का राहत पैकेज देने की घोषणा की गई थी।

इसके साथ ही हर ‘‘बू’’ परिवार को 4 लाख रूपये की एफ डी, 1-5 लाख रूपये घर बसाने के लिए, 2 साल के लिए निशुल्क राशन और हर महीने 5 हजार रूपये का प्रावधान किया गया था। इसके अतिरिक्त त्रिपुरा से मिजोरम जाने के लिए निशुल्क ट्रांसपोर्ट, पढ़ाई के लिए एकलव्य स्कूल तथा वोट देने का अधिकार भी देने की बात की गई थी।

निष्कर्ष:

पूर्वोत्तर की अन्य जनजातियों के समान ब्रू भी एक महत्वपूर्ण जनजाति है। जो कुछ वर्षो से अत्याधिक समस्याओं तथा असुरक्षा का सामना कर रही है सरकार द्वारा इस जनजाति के पुनः प्रत्यावर्तन के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे है परन्तु सरकार के लिए इनका अभी भी सुरक्षित प्रत्यावर्तन कराना एक मुख्य चुनौती बना हुआ है।