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Blog / 15 Jul 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) खुफिया एजेंसियों की आंख और कान नैटग्रिड (NATGRID : The Eye and Ear of Investigative Agencies)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) खुफिया एजेंसियों की आंख और कान नैटग्रिड (NATGRID : The Eye and Ear of Investigative Agencies)



हाल ही में, ‘नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड’ यानी NATGRID और ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ यानी NCRB के बीच एक समझौते पर दस्तखत किया गया. यह समझौता ‘प्रथम सूचना रिपोर्ट’ यानी FIR और चोरी किए गए गाड़ियों पर केंद्रीकृत ऑनलाइन डेटाबेस तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये किया गया है।

डीएनएस में आज हम आपको NATGRID और NCRB के बारे में बताएंगे और साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण पक्षों को …...

NATGRID सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों से डेटाबेस सूचनाओं को इकट्ठा कर उन्हें इस तरह से व्यवस्थित करता है ताकि जरूरत पड़ने पर अन्य महत्वपूर्ण सरकारी संस्थाएं उन सूचनाओं तक पहुंच सके. साथ ही, NATGRID संदिग्धों के बैंकिंग और टेलीफोन विवरण से जुड़ी जानकारियों को एक सुरक्षित प्लेटफार्म पर व्यवस्थित करता है ताकि वन स्टॉप डेस्टिनेशन के जरिए उन सूचनाओं तक पहुंच सुनिश्चित हो सके.

NATGRID को आतंकवादी गतिविधियों पर रोकथाम लगाने के लिए बनाया गया था. भारत में 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान सूचनाओं के एकत्रित न होने और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एक बार में उन सूचनाओं तक पहुंच ना हो पाने की बात सामने आई थी। दरअसल इस हमले का मास्टरमाइंड डेविड हेडली साल 2006 से 2009 के बीच हमले की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कई बार भारत आया था. लेकिन भारत सरकार के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि हेडली के आने-जाने की किसी भी जानकारी का विश्लेषण किया जा सके।

इस घटना के बाद से सरकार को यह महसूस हुआ कि हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें लोगों के आने-जाने की जानकारी और उसके विश्लेषण की सुविधा उपलब्ध हो. इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर NATGRID की स्थापना की गई। यह संस्था संदिग्ध आतंकवादियों को ट्रैक करने और आतंकवादी हमलों को रोकने में तमाम खुफिया और प्रवर्तन एजेंसियों की मदद करता है। NATGRID द्वारा बिग डेटा और एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए डेटा का बड़ी मात्रा में अध्ययन और विश्लेषण किया जाता है। यह तमाम चरणों में डेटा प्रदान करने वाले संगठनों और इस्तेमाल करने वालों के समन्वय के साथ ही एक कानूनी संरचना विकसित करता है. NATGRID द्वारा प्राप्त सूचनाओं के जरिए कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ संदिग्ध गतिविधियों की जाँच करती हैं।

NCRB की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत साल 1986 में की गई थी. इसका मकसद भारतीय पुलिस में कानून व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये पुलिस तंत्र को सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ा समाधान और आपराधिक गुप्त सूचनाएँ उपलब्ध कराके उन्हें और सक्षम बनाया जा सके।

इस समझौते के जरिए NATGRID को ‘अपराध एवं आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम’ यानी CCTNS के डेटाबेस/सूचना तक पहुँच मिल जाएगी. बता दें कि CCTNS एक ऐसा मंच है जो लगभग 14,000 पुलिस स्टेशनों को आपस में जोड़ता है और उनसे जुड़े डेटाबेस अपने पास रखता है। सभी राज्य पुलिस स्टेशनों के लिए जरूरी होता है कि वे CCTNS में FIR का विवरण दर्ज कराएं। समझौते के जरिए NATGRID द्वारा संदिग्ध के विवरण के बारे में जानकारी मसलन पिता का नाम, टेलीफोन नंबर और अन्य विवरण को हासिल किया जा सकेगा। इसका मतलब NATGRID खुफिया और जांच एजेंसियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करेगा। इस परियोजना को 31 दिसंबर, 2020 तक कार्यान्वित करने की योजना है।

मौजूदा वक्त में, किसी भी संदिग्ध सूचना के बारे में पता लगाने के लिए सुरक्षा एजेंसियाँ सीधे एयरलाइन या टेलीफोन कंपनियों से संपर्क करती हैं लेकिन अब इस समझौते के लागू हो जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को नेट ग्रिड के जरिए से बड़ी आसानी से जानकारी उपलब्ध हो पाएगी. वर्तमान व्यवस्था में डेटा को अंतर्राष्ट्रीय सर्वरों मसलन गूगल आदि के जरिए साझा किया जाता है। इसलिए NATGRID कोशिश करता है कि सूचनाओं को एक सुरक्षित मंच के जरिए से साझा किया जाए ताकि डाटा की गोपनीयता बनी रहे।