Home > DNS

Blog / 29 May 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन (DNS हिंदी) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) - सवाल और जवाब (Electronic Voting Machine (EVM) - Questions and Answers)

image


(डेली न्यूज़ स्कैन (DNS हिंदी) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) - सवाल और जवाब (Electronic Voting Machine (EVM) - Questions and Answers)


मुख्य बिंदु:

17 वीं लोकसभा के चुनाव में EVM का मुद्दा ज़ोर शोर से चर्चा में था। चुनावों के बाद एक बार फिर 22 विपक्षी दलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन EVM को लेकर चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया। विपक्षी दल संदिग्ध रूप से EVM की आवाजाही की ख़बरों के आधार पर चुनाव आयोग पहुंचे थे। जबकि चुनाव आयोग ने ईवीएम को बदलने के आरोपों को निराधार बताते हुए ख़ारिज कर दिया है ।

DNS में आज हम आपको EVM के बारे में बताएंगे। साथ ही समझेंगे की चुनावों के दौरान कैसे EVM मशीने स्ट्रांग रूम से निकलकर पोलिंग बूथ पहुँचती हैं और फिर मतदान के ख़त्म होते ही कैसे दोबारा से इन्हें स्ट्रांग रूम में वापस सील बंद कर दिया जाता है।

चुनाव आयोग और EVM पर लम्बे समय से सवाल उठ रहे थे। चुनाव आयोग ने EVM के हैक और उसमें धांधली होने के तमाम आरोपों को ख़ारिज करते हुए EVM के काम करने के सभी चरणों के बारे में जानकारी साझा की है।

EVM मशीनों की सुरक्षा से जुड़े पहलुओं के लिए चुनाव् आयोग ने इसे पांच चरणों में बांटा है। इन पांच चरणों में फर्स्ट लेवल चेक FLC, रेंडमाइजेशन, मतदान के बाद की प्रक्रिया, मतदान में शामिल ईवीएम का रखरखाव और मतगणना के बाद EVM मशीनों का रखरखाव कैसे किया जाता है जैसे चरण शामिल हैं।

दरअसल चरण फर्स्ट लेवल चेक FLC के तहत EVM मशीन और उसके काम की जांच की जाती है। अगर EVM में कोई ख़राबी मिलती है तो इसे मतदान केंद्रों पर नहीं भेजा जाता है। इसके अलावा मतदान केंद्रों पर भेजे जाने वाली सभी EVM मशीनों का मॉक पोल पार्टियों के प्रतिनिधि के ही सामने किया जाता है। इस मॉक पोल में EVM के कंट्रोल यूनिट के नतीज़ों का वीवीपैट स्लिप से मिलान किया जाता है। साथ ही फर्स्ट लेवल चेक के बाद कंट्रोल यूनिट को सील करना, सील पर इंजीनियर और प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर करवाना भी EVM के पहले चरण का ही हिस्सा है। इसके अलावा EVM मशीन को 24 घंटे की निगरानी वाले स्ट्रांग रूम में रखा जाता है और इस पहले चरण की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाती है।

EVM के दूसरे चरण रेंडमाइजेशन में EVM मशीनों को रैंडम तरीके से चुना जाता है। इसमें फर्स्ट लेवल चेक FLC के बाद EVM मशीनें जिले से रैंडम तरीके से निर्वाचन क्षेत्रों में भेजी जाती हैं। जब ये मशीनें अलग - अलग निर्वाचन क्षेत्रों में भेजी जाती हैं तो इस दौरान इन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने वाले प्रतिनिधि भी मौजूद होते हैं। इसके बाद निर्वाचन क्षेत्रों में भेजी गई EVM मशीनों को दोबारा रैंडम तरीके से चुना जाता है और फिर उन्हें पोलिंग बूथ पर भेजा जाता है।

तीसरे चरण यानी मतदान के बाद EVM मशीनों को कंट्रोल यूनिट में क्लोज का बटन दबाकर शटडाउन किया जाता है। इस चरण में EVM को ले जाने वाले ब्रीफकेस पर चुनाव प्रतिनिधियों के दस्तख़त कराए जाते हैं और फिर EVM मशीनों को शील बंद करके कड़ी सुरक्षा में स्ट्रांग रूम तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान चाहे तो कोई भी प्रतिनिधि चुनाव बूथ से स्ट्रांग रूम तक EVM मशीनों को ले जाने वाले सुरक्षा बलों की गाड़ी के साथ स्ट्रांग रूम तक उसके पीछे चल सकता है।

EVM के सफ़र का चौथा चरण मतदान में इस्तेमाल हुए ईवीएम के रखरखाव का होता है। इस चरण में पोलिंग बूथ से स्ट्रांग रूम में पहुंचे EVM मशीनों को प्रतिनिधियों और चुनाव अधिकारीयों के मौजूदगी में स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। इसके अलावा इस चरण में प्रतिनिधियों को EVM मशीनों पर अपनी सील और लॉक लगाने की आज़ादी होती है। साथ ही केवल दलों के प्रतिनिधियों के सामने ही स्ट्रांग रूम को खोला या बंद किया जा सकता है। स्ट्रांग रूम में चौबीसों घंटे सीसीटीवी की सहायता से ईवीएम की निगरानी भी की जाती है।

EVM मशीन का पांचवा चरण में मतगणना के दिन से जुड़ा हुआ है। मतगणना वाले दिन स्ट्रांग रूम रिटर्निंग ऑफीसर, उम्मीदवार और पर्यवेक्षक के सामने खोला जाता है। इसके बाद मतों की गणना करने वाले कंट्रोल यूनिट को घुमावदार मेजों पर लाया जाता है। इस दौरान कंट्रोल यूनिट का नंबर और चुनावों के बाद EVM मशीनों पर की गई सील और दस्तख़त की जाँच की जाती है और इसे पोलिंग एजेंट को भी दिखाया जाता है। मतगणना पूरी होने के बाद ईवीएम और वीवीपैट को उम्मीदवार के सामने ही स्ट्रांग रूम में वापस रखा जाता है। पांचवें चरण के तहत होने वाली इन सभी कामों की लगातार सीसीटीवी से निगरानी भी की जा जाती है।

देश में जब चुनाव नहीं चल रहे होते हैं तो सभी ईवीएम मशीनें ज़िला निर्वाचन अधिकारी के अधीन रहती हैं। इस दौरान भी ईवीएम मशीनों पर डबल लॉक, सीसीटीवी निगरानी और 24 घंटे पुलिस या सुरक्षा गार्ड का पहरा रहता है। बग़ैर चुनाव के भी EVM मशीनों को ले जाने पर पाबंदी है। सिर्फ चुनाव आयोग के अधिकारियों के निर्देश पर ही EVM मशीनों को बाहर ले जाया जा सकता है। चुनाव होने पर एक बार फिर EVM मशीनों की जाँच इंजीनियरों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के सामने फर्स्ट लेवल चेक FLC के तहत कराई जाती है।