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Blog / 29 Jun 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) डीएनए (DNA) रेगुलेशन विधेयक (DNA Regulation Bill)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) डीएनए (DNA) रेगुलेशन विधेयक (DNA Regulation Bill)


मुख्य बिंदु:

भारत में डीएनए रेगुलेशन बिल को लागू कराने के सरकार के तीसरे प्रयास को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। हालांकि यह बिल पहली बार जनवरी 2019 में लोकसभा द्वारा पास किया गया था, लेकिन उस वक़्त इस बिल को राज्यसभा की मंजूरी नहीं मिल पाई थी।

डीएनए एक पैत्रिक जेनेटिक कोड है जो मनुष्य की सभी विशेषताओं को निर्धारित करता है और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है। दो लोगों के DNA तब तक एक जैसे नहीं होंगे जब तक वे जुड़वाँ ना हो। डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल 2003 से प्रक्रिया में था। इसे 2015 में अंतिम रूप दिया गया और जनवरी 2019 में संसद में पेश किया गया। विधेयक का मुख्य उद्देश्य मानव डीएनए के नमूने को प्राप्त करने, पुनर्स्थापित करने और परीक्षण के लिए एक नियामक ढांचा तैयार करना है। जो पुनः किसी भी अपराधिक जाँच में व्यक्ति की पहचान स्थापित करेगा। ये परीक्षण किसी भी अपराधिक जांच, पेरेंटेज और लापता व्यक्ति को खोजने के उद्देश्य से शुरू हो चुका है। लेकिन इस परीक्षण में कभी भी उचित देख-रेख नहीं थी। इसलिए अब सरकार ने इस बिल के माध्यम से DNA से मिलने वाली सूचना के दुरुपयोग से बचने के लिए एक सुपरवाइजरी स्ट्रक्चर की अपील की है।

प्रस्तावित बिल में दो संस्थाए होंगी, पहली डीएनए नियामक बोर्ड और दूसरी डीएनए डेटा बैंक। इन संस्थाओं के स्तर राष्ट्रीय, राज्य और क्षेत्रीय होंगे।डीएनए के संचयन और परीक्षण के नियम डीएनए नियामक बोर्ड तैयार करेगा। वहीँ दूसरी ओर, डेटा बैंक DNA नमूनों का भंडारघर होगा ।डीएनए नमूने कुछ नियमों के अंतर्गत एकत्रित किये जाएंगे। ये नियम कुछ इस प्रकार हैं:

1. अपराध की जांच के लिए पुलिस आरोपी का डीएनए नमूना मांग सकती है।
2. ये अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का होना चाहिए जिसका परिणाम या तो मौत की सजा हो या सात साल के लिए कारावास हो।
3. एकत्र किए गए डीएनए में आरोपी की लिखित सहमति होनी चाहिए।
4. ये नमूने किसी अधिकृत मजिस्ट्रेट की अनुमति से भी एकत्र किये जा सकते हैं, अगर वे परीक्षण को जाँच के लिए आवश्यक समझे ।
5. सभी डीएनए नमूनों का परीक्षण केवल प्रयोगशालाओं में ही किया जाएगा।
6. इस बिल में DNA नमूनों को किन परिस्थितियों में, किस उद्देश्य से और कौन नमूने की ज़िम्मेदारी लेगा इसका उल्लेख है।

अपराध स्थल पर मिली वस्तुओं को और आरोपियों के शरीर से डीएनए नमूनों को एकत्रित किया जाएगा। ये नमूने अधिकृत टेक्नीशियन या चिकित्सा व्यवसायी द्वारा एकत्र किए जाएंगे। एकत्र किए गए नमूनों को आगे जाँच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। जाँच से उत्पन्न जानकारी को करीबी डीएनए बैंक को भेजा जाएगा, जो आगे की जानकारी राष्ट्रीय डेटा बैंक के साथ साझा करेगा। डीएनए तकनीक एकत्र किए गए डीएनए की जाँच के लिए बेहद उपयोगी है क्योंकि यह व्यक्ति की पहचान का पता लगता है और व्यक्तियों के बीच जैविक संबंधों को भी दर्शाता है। एकत्र किए गए बाल या खून के धब्बों को संदिग्ध के साथ मिलाया जाएगा ताकि यह जांचा जा सके कि यह संदिग्ध व्यक्ति से सम्बंधित है या नहीं। डीएनए तकनीक मुख्य रूप से अपराध जांच, अज्ञात निकायों की पहचान, पेरेंटेज के लिए है।

डीएनए से मिली जानकारी न केवल व्यक्ति की रूपरेखा बताती है बल्कि उसको होने वाली एलर्जी, बीमारियों के बारे में भी बताती है। हालाँकि एकत्र किए गए डीएनए से किसी भी व्यक्ति के बारे में बहुत अधिक जानकारी मिल जाएगी , लेकिन डेटा बैंकों को केवल उस जानकारी को रखना चाहिए जो व्यक्ति की पहचान बताने के लिए ज़रूरी है। इसके अलावा, जानकारी का गलत इस्तेमाल ना हो इसलिए उसे निजी ही रखा जाएगा।

इस नियम के पांच सूचकांक हैं।

1. क्राइम सीन इंडेक्स
2. संदेहास्पद या अंडर ट्रायल इंडेक्स
3. अपराधी का सूचकांक
4. लापता व्यक्ति सूचकांक
5. अज्ञात मृतक व्यक्ति का सूचकांक

प्राप्त डीएनए नमूनों का इन सूचकांकों के ज़रिये संचयन किया जा सकता है और निर्धारित प्रक्रियाओं के ज़रिये इन्हें हटाया भी जा सकता है। क्राइम सीन इंडेक्स और लापता व्यक्ति सूचकांक से डीएनए लिखित अनुमति से हटाया जा सकता है। संदिग्ध सूचकांक में पुलिस रिपोर्ट या अदालत के आदेश की आवश्यकता होती है। अंडरट्रायल सूचकांक के लिए न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होती है। और अज्ञात मृत व्यक्ति के सूचकांक के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

डीएनए डेटा बैंक पूरी दुनिया में हैं। पहला राष्ट्रीय डेटा बैंक अप्रैल 1995 में यूनाइटेड किंगडम में स्थापित किया गया था। और उसके बाद, न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दुबई, जर्मनी आदि में डाटा बैंक स्थापित किये गए।