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Blog / 15 Jul 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) भारत में 5जी तकनीक (5G Technique in India)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) भारत में 5जी तकनीक (5G Technique in India)


मुख्य बिंदु:

हाल ही में मिली ख़बरों के अनुसार भारतीय सरकार इस वर्ष सितम्बर माह तक 5G तकनीक को लेकर परीक्षण शुरू करेगी । केंद्रीय संचार मंत्री ने कहा है कि सरकार इस साल स्पेक्ट्रम और 5 जी सेवाओं के लिए नीलामी आयोजित करने की योजना बना रही है । मोबाइल कम्युनिकेशन का विकास 1G से शुरू हुआ था और अब यह 5G तक पहुंचने वाला है और फिलहाल यह 4G तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।

आज के DNS में बात करेंगे 5G तकनीक की और जानेंगे इस से जुड़े कुछ अहम् पहलुओं को

5G मोबाइल इंटरनेट की पांचवी पीढ़ी है । यह डाटा ट्रांसफर करने का अब तक का सबसे कुशल तेज़ और सुरक्षित तरीका होगा।

फिलहाल भारत में 4G मोबाइल कम्युनिकेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है । 4G 45mbps की अधिकतम स्पीड देता है । वहीं 5G इस से 20 गुना तेज़ यानि लगभग 1Gbps की स्पीड देगा । तेज़ रफ़्तार डाटा ट्रांसफर और कम लेटेंसी होने के कारण 5G अपनी पिछली पीढ़ियों से काफी बेहतर होगा । डाटा के समूह को सेन्डर से रिसीवर तक पहुंचने वाले समय को नेटवर्क लेटेंसी कहते है । यहाँ सेन्डर यानी डाटा भेजने वाला व्यक्ति या डिवाइस है अथवा रिसीवर डाटा को प्राप्त करने वाला व्यक्ति या डिवाइस होता है ।4G में नेटवर्क लेटेंसी 40 - 50 मिली सेकंड है वही 5G में यह घटकर 1 मिली सेकंड तक हो जाएगी। लेटेंसी जितनी कम होगी डाटा ट्रांसफर की गति उतनी ही तेज़ होगी । 5G तकनीक में मिली मीटर wave spectrum अहम् भूमिका निभा सकता है ।30 - 300 giga hertz frequencies को मिली मीटर वेव्स कहा जाता है । इन्हें मिली मीटर वेव्स इसलिए कहा जाता है क्युकी यह आकार में 1 -10 मिली मीटर की होती है । मौजूदा 4G तकनीक में 6 giga hertz से नीचे की वेव frequency का इस्तेमाल किया जाता है । 5G नेटवर्क 3400, 3500 ,अथवा 3600 mega hertz band width पर चल सकते है जिसमें से की 3500 mega hertz band की एयर waves 5G के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है।

वायरलेस नेटवर्क 1G की शुरुआत 1980 में हुई थी और यह एनालॉग संचार पर आधारित था। 2 जी को 1991 में फिनलैंड में लॉन्च किया गया था। sms और mms जैसी डेटा सेवाओं की शुरुआत के साथ 2G digital network की शुरुआत थी । 2.5G 2G और 3G के बीच का मध्य मार्ग है जो GPRS (general packet radio service ) तकनीक का उपयोग करता है। GPRS वायरलेस कम्युनिकेशन नेटवर्क का एक रूप है जिसमें डाटा को एक जगह से दूसरी जगह तक भेजा जा सकता है । इसमें डाटा ट्रांसफर की दर 56kbps से 114kbps (kilo bytes per second ) तक होती है । 3G ने डेटा ट्रांसमिशन को 2Mbps (mega bytes per second ) की speed तक बढ़ा दिया और वायरलेस वॉइस टेलीफोन, वीडियो कॉल और मोबाइल टीवी जैसी डिजिटल services की शुरुआत की । 60mbps तक की स्पीड के साथ 4G 3G का बेहतर version है । यह डाटा ट्रांसफर तेज़ गति, बेहतर क्षमता और कम लागत में करता है।

5G तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप पर ब्राउज़िंग तक सीमित नहीं रहेगा यह स्वास्थ्य , कृषि और उद्योग से जुड़े क्षेत्रों में नए तकनीकी विकास करने में भी सक्षम होगी । तेज़ इंटरनेट स्पीड और कम लेटेंसी के होने के कारण यह सर्वर रहित ऍप्लिकेशन्स , रिमोट कण्ट्रोल सर्जरी , कनेक्टेड स्मार्ट सिटीज में भी उपयोगी सावित होगा। 5G से जुड़ने वाली devices की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी । इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT) के ज़रिये लोगों की रोजमर्रा के काम आसान हो जाएंगे । तेज़ रफ़्तार डाटा ट्रांसफर के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर वीडियोस स्ट्रीम करना और आसान हो जाएगा जिस से ऑनलाइन लर्निंग जैसे प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा मिलेगा । स्मार्ट सिटीज के विकास में 5G अहम् भूमिका निभा सकता है । ऑटोमेटेड व्हीकल और ऑटोमेशन इंडस्ट्री में 5G काफी मददगार साबित होगा।

5G भारत सरकार की डिजिटल इंडिया योजना का एक हिस्सा है। 460 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल इंटरनेट बाजार है। वर्ष 2025 तक भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार बन सकता है जिसमें लगभग 10 करोड़ registered मोबाइल users होंगे जिसमें से लगभग 8 करोड़ मोबाइल 5G तकनीक का इस्तेमाल करेंगे।

दुनिया के लगभग सभी विकास शील देश 5G तकनीक को विकसित करने की होड़ में लगे हुए है। दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस और जापान जैसे देश जल्द ही 5 जी सेवाओं को शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया विश्व में सबसे पहले 5G तकनीक को आम जनता एक पहुंचने वाले देशों की दौड़ में सबसे आगे है और साल 2019 के अंत तक 5G तकनीक को जनता तक पहुंचाने का अनुमान जाता रहा है । भारत भी 5G तकनीक को जल्द से जल्द आम जनता तक पहुंचना चाहता है । हालांकि इसके लिए भारत को कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होगा । 5G तकनीक के लिए जिस आधार भूत ढाँचे की ज़रुरत है उसको बनाने में भारत को अभी समय लगेगा । 5G का इस्तेमाल मौजूदा उपकरणों में नहीं किया जा सकेगा इसके लिए नए उपकरणों की आवस्यकता होगी।

भारत में digital marketing और digital economy के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है की आने वाले 10 वर्षों में 5G भारत की अर्थव्यवस्था में 1 trillion डॉलर का योगदान करेगा। साथ ही digital india के तहत डिजिटल economy को बढ़ावा देकर 5G तकनीक भारत के 2024 तक 5 trillion dollar की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में भी अहम् भूमिका निभा सकता है।