(Video) राज्य सभा टीवी आयुष्मान भवः Rajya Sabha TV (RSTV) Ayushman Bhava : काला मोतिया या ग्लूकोमा (Glaucoma)


(Video) राज्य सभा टीवी आयुष्मान भवः Rajya Sabha TV (RSTV) Ayushman Bhava : काला मोतिया या ग्लूकोमा (Glaucoma)


विषय (Topic): काला मोतिया या ग्लूकोमा (Glaucoma)

अतिथि (Guest):

  • Dr. Viney Gupta, (Professor of Ophthalmology, Glaucoma, Dr Rajendra Prasad Centre for Ophthalmic Sciences, AIIMS)
  • Dr. Manjusha Rajagopala, (Head of Department, Shalakya, All India Institute of Ayurveda)
  • Dr. Rajnish Chauhan, Professor, (Department of Homeopathic Pharmacy)

विषय विवरण (Topic Description):

काला मोतिया (ग्लूकोमा) और सफेद मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) काफी मिलते-जुलते नाम हैं लेकिन दोनों में काफी अंतर है। जहां ऑपरेशन से सफेद मोतियाबिंद ठीक हो जाता है, वहीं काला मोतिया आंखों से उजाला छीन लेता है। इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसका हर सातवां मरीज एक आंख की रोशनी खोने के बाद ही चिकित्सक के पास पहुंचता है। अच्छी भली नेत्र दृष्टि वाले व्यक्ति को एक दिन अचानक एक आंख से कम दिखाई देने अथवा बिलकुल दिखाई न देने की शिकायत हो सकती है। जी हां, ग्लूकोमा या काला मोतिया किसी भी भले चंगे व्यक्ति की नेत्र दृष्टि एकाएक क्षीण कर सकता है। समस्या यह है कि आमतौर पर इस रोग के लक्षण पहले प्रकट नहीं होते और जब इसका पता चलता है तब तक रोगी की नेत्रदृष्टि जा चुकी होती है। इंसान को खूबसूरत आंखें कुदरत का अनमोल तोहफा है, लेकिन आंखों को लेकर थोड़ी सी लापरवाही किसी के लिए भी मुसीबत बन सकती है। ग्लूकोमा (काला मोतिया) भारत में तेजी से बढ़ रहा है। आंखों की नियमित जांच से ही इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 3 से 5 फीसद लोगों में ग्लूकोमा के लक्षण पाए जाते हैं।

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Courtesy: RSTV