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Daily-mcqs 26 Nov 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 26 November 2020 26 Nov 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 26 November 2020


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 26 November 2020



चीन सीमा के पास बना रहा है आवासीय कॉलोनी

  • डोकलाम एक पठारी क्षेत्र है, जो सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह भूटान के हा घाटी, भारत के पूर्वी सिक्किम जिला और चीन के यदोंग काउंटी के बीच है। इस तरह यह एक ट्राई-जंक्शन (तिराहा) है जहां भारत, चीन एवं भूटान की सीमा लगती है।
  • यह नाथू ला पास (दर्रा) से मात्र 15 किमी की दूरी पर हैं, जिसे भारत भूटान का हिस्सा मानता है जबकि चीन इसे अपने क्षेत्र के रूप में बताता है।
  • वर्ष 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम में शांति बनाये रखने की दिशा में काम करेंगे लेकिन चीन द्वारा कई बार इस समझौते का उल्लंघन किया गया है।
  • चीन जब भी भूटान के किसी क्षेत्र का अतिक्रमण करता है तो भारत को भूटान का समर्थन करना होता है, जो भारत और भूटान दोनों के लिए सही है। दरअसल दोनों देशों के मध्य वर्ष 1949 में एक संधि हुई थी कि भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन भारत करेगा। इस संधि में भूटान की जिम्मेदारी भारत पर बताई गई है।
  • दोनों देशों के मध्य वर्ष 2007 में भी एक संधि हुई थी जिसमें यह कहा गया था कि दोनों देश अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे का सहयोग करेंगे।

डोकलाम एवं समीपवर्ती क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं?

  1. नाथु ला दर्रा और सिक्किम से समीपता
  2. सिलीगुडी कॉरिडोर पर कब्जा करने की चीन संभावना
  3. क्षेत्र के सैन्यकरण से विकास प्रक्रिया प्रभावित
  4. भारत-भूटान संबंध एवं क्षेत्रीय असुरक्षा की भावना
  • वर्ष 2017 में जून माह में चीन ने डोकलाम स्थिति भूूटान आर्मी शिविर की ओर एक सड़क निर्माण प्रारंभ किया था, जिससे चीनी सैनिक बहुत तेजी से डोकलाम तक पहुँच जाते लेकिन यह सड़क भूटान के डोकलाम क्षेत्र में बनायी जा रही थी जो भूटान के क्षेत्र का चीनी अतिक्रमण था।
  • भूटान की आर्मी अकेले इस अतिक्रमण को रोकने में सक्षम नहीं थी फलस्वरूप भारतीय सैनिकों ने चीन के इस प्रयास को विफल कर दिया, जिसके आद भारत और चीन के संबंध कई माह तक तनावपूर्ण बने रहे।

अब क्या हुआ है?

  • चीन की मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि चीन के भूटान के पास के चीनी क्षेत्र में एक गांव बसाया हैं विवाद यह है कि चीन जिस क्षेत्र को अपना बता रहा है वह विवादित क्षेत्र है ओर यह चीनी गांव भी विवादित क्षेत्र में ही है।
  • चीन के अनुसार यह गांव के तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र याडोंग काउंटी का हिस्सा है। नव-निर्मित गांव का नाम पांग्डा (Pangda) है। चीन की मीडिया के अनुसार सितंबर 2020 में 124 लोग स्वैच्छिक रूप से शांगहुई (Shangdui) गांव से पांग्डा गांव में बसने के लिए भी जा चुके है।
  • यह पांग्डा गांव डोकलाम ट्राइजंक्शन के पूर्व में स्थित है जहां वर्ष 2017 में 72 दिनों तक तनाव रहा था।
  • भारत का मानना है कि चीन को इस क्षेत्र में शांति बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए लेकिन चीन एक तरफा कब्जा कर इस क्षेत्र में अशांति उत्पन्न कर रहा है। भारत का मानना है कि चीन यहां पर वहीं विस्तारवाद की नीति अपना रहा है जो वह दक्षिण चीन सागर के विवादित द्विपों और भूटान के प्रासीगंग (Trashigang) जिले में कर चुका है। चीन किसी विवादित क्षेत्र पर अपने लोगों को बसाता है और फिर उसे अपना हिस्सा बताने का दावा मजबूत करता है।
  • भूटान के अधिकारों ने अपने किसी भी क्षेत्र में चीनी गांव की उपस्थिति से इंकार किया है। इसी आधार पर चीन भारत को चीन-भूटान संबंध को अस्थिर करने के लिए उत्तरदायी ठहराता है। चीन का कहना है कि भारत यह भ्रम उत्पन्न करता है कि चीन, भूटानी का अतिक्रमण कर रहा है।

भारत के लिए भूटान का महत्त्व क्या हैं?

  1. भारत-भूटान संबंध सामरिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं इसीलिए भारत ने आजादी के दो वर्ष के भीतर ही वर्ष 1949 में भूटान के साथ महत्वपूर्ण समझौता किया।
  2. दोनों देश अनेक जलविद्युत परियोजनाओं पर कार्य कर रहे है। भारत यहां से बड़ी मात्र में अधिशेष बिजली भी खरीदता है।
  3. भारत-भूटान के विकास के लिए निरंतर सहयोग करता आया है। भारत ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष 2018-23) के लिए भी 4500 करोड़ रूपये दिये हैं भूटान भी यह प्रयास करता है कि वह अपनी भूमि का प्रयोग किसी रूप में भारत के खिलाफ न होने दे।
  4. पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और सुचारू आवागमन के लिए भी भूटान महत्त्व है।
  5. भूटान और भारत कई मंचों पर एक साथ है जैसे- SAARC, BBIN एवं BIMSTEC
  • SAARC - दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन
  • BBIN - बांग्लादेश-भूटान-भारत और नेपाल पहल
  • BIMSTEC - Bay of Bengal Initiative for Multi Sectoral Technical and Economic Cooperation

अफगानिस्तान के लिए ट्रम्प का यह निर्णय क्यों घातक है?

  • 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अलकायदा के आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री विमानों का अपहरण कर लिया और उसमें से दो विमानों को जानबूझकर वर्ल्ड ट्रेड सैक्टर तथा न्यूयॉर्क के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया। तीसरे वीमान को पेंटागन में टकराया गया तथा चौथा विमान पेंसिल्वेनिया में एक खेत से जा टकराया। इन हमलों में लगभग 3000 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 19 उपहरणकर्ता मारे गये।
  • अमेरिका ने इसकी प्रतिक्रिया में आतंक के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया तथा अलकायदा और वा तालिबान का सफाया करने के लिए अफगानिस्तान पर हमला कर दिया।
  • वर्ष 2003 में इराक पर अमेरिका ने हमला कर दिया। यह हमला सद्दाम हुसैन को हटाने तथा तथा कथित महाविनाश वाले हथियार को नष्ट करने के लिए किया गया था। इस हमले से इराक लगभग बर्बाद हो गया लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा कोई हथियार इराक में था ही नहीं।
  • युद्ध से बर्बाद हो चुके इराक में अमेरिकी सेना वर्ष 2011 तक यहां की सेना को प्रशिक्षित करने तथा सलाह देने की भूमिका निभाती रही।
  • वर्ष 2014-15 में इस्लामिक स्टेट की पकड़ इराक पर मजबूत होने लगी तब पुनः इराक की सरकार ने अमेरिकी सैनिक मदद की मांग की, जिसके बाद अमेरिका ने इराक में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी। वर्ष 2017 में इराक से इस्लामिक स्टेट का लगभग सफाया हो गया लेकिन 5000 अमेरिकी सैनिक यहां रूके रहे जिससे किसी तात्कालिक चुनौती में इराक की मदद की जा सके।
  • अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो सहयोगी देशों ने अलकायदा और तालिबान के खात्मे के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे है लेकिन पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिल पाई।
  • आज भी अफगानिस्तान के दो तिहाई तालिबान का नियंत्रण हैं इस संघर्ष में 3500 अंतर्राष्ट्रीय सैनिक और 110,000 अफगान नागरिकों की मृत्यु हो चुकी है।
  • अमेरिका धीरे-धीरे अपने सैनिकों को यहां से निकालना चाहता है। इसीलिए फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच एक शांति समझौता हुआ। जिसमें तालिबान ने हिंसा रोकने की बात कही है। इस समझौते के अनुसार मई 2021 तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी होनी है।
  • अमेरिका ने घोषणा की है कि वह 15 जनवरी से पहले अफगानिस्तान और इराक से अमेरिकी सेना के बड़े हिस्से हो हटा लिया जायेगा। इस समय अफगानिस्तान में 4500 सैनिक हैं, जिसमें से 2000 सैनिक 15 जनवरी से पहले वापस बुला लिये जायेंगे। इराक में तैनात 3000 सैनिकों में से 500 को वापस बुलाने का आदेश डोनाल्ड ट्रंप ने दिया है।
  • अधिकांश लोगों का मानना है कि इससे अफ़गनिस्तान में तालिबान फिर से मजबूत होगा और अफगानिस्तान में की गई अभी तक की मेहनत बर्बाद हो जायेगी।
  • अमेरिकी फौजों के साथ यहां नेटो (NATO) भी तालिबान के खात्मे के लिए लड़ रहा है। ट्रंप के इस निर्णय पर नेटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनवर्ग ने कहा है कि- जल्दबाजी में और बिना ठीक तरह सोचे-विचारे लिया गया कोई भी फैसला काफी महंगा साबित हो सकता है।---- अफगानिस्तान फिर से आतंकियों के लिए सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन रहा है।---- हम अफगानिस्तान में साथ गये थे ओर सही समय आने पर वहां से हटने का फैसला भी हमें मिलकर करना होगा।
  • संयुक्त राष्ट्र की हालिया एक रिपोर्ट से पता चला है कि अमेरिका से तालिबान के आश्वासन के बावजूद अलकायदा अभी यहां मौजूद है तथा सक्रिय भी, जिसे तालिबान ने शरण दिया हुआ है।
  • भारत ने भी समय पूर्व अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी पर चिंता व्यक्त की है। भारत का मानना है कि इससे यहां आतंकी नेटवर्क मजबूत हो सकता है। जो भारत-अफगानिस्तान-वैश्विक शांति के लिए खतरा है।
  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बुलाई गई एक बैठक में भारत ने अफगानिस्तान में तत्काल व्यापक युद्ध विराम तथा शांति लाने वाले प्रयासों को बढ़ाने का आह्वान किया।
  • भारत का मानना है कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच 2670 किमी- लंबी सीमा रेखा पर जब तक शांति नहीं आ जाती, अफगानिस्तान में स्थायी नागरिक सरकार की स्थपना नहीं हो जाती तब तक सभी देशों को हर संभव शांति लाने का प्रयास करना होगा।

भारत यहां शांति के लिए चार बिंदुओं पर फोक्स करने का विचार रखता है-

  1. शांति प्रक्रिया अफगानी सरकार के नेतृत्व में तथा उसकी सहमति और भागीदारी से होना चाहिए।
  2. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए।
  3. महिला अधिकारों, अल्पसंख्यकों को संरक्षण एंव आधारभूत संरचनाओं के निर्माण को गति देना चाहिए।
  4. अन्य देशों को अफगानिस्तान का प्रयोग अपने फायदे के लिए नहीं करना चाहिए।
  • भारत विश्व के उन देशों में शामिल है, जिसने अफगानिस्तान में सर्वाधिक निर्माण कार्य किया है तथा शांति को बढ़ावा दिया है।
  • चीन का मानना है कि विदेशी सैनिकों की वापसी एक व्यावस्थित तथा जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए, जिससे आतंकवाद यहां मजबूत न हो सके। अफगानिस्तान का अस्थिर क्षेत्र चीन के झिजियांग प्रांत के साथ सीमा साझा करता है, जहां उइगर आतंकवाद बढ़ सकता है। यहां आतंकवाद के मजबूत होने से चीन-पाक आर्थिक कोरिडोर प्रभावित हो सकता है।

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