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Daily-mcqs 05 Nov 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 05 November 2020 05 Nov 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 05 November 2020


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 05 November 2020



लूहरी पॉवर प्रॉजेक्ट क्यों चर्चा में है?

  • हिमाचल प्रदेश उत्तर-पश्चिम भारत में स्थिति एक महत्वपूर्ण राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 56019 वर्ग किमी- है। हिमाचल का शाब्दिक अर्थ-बर्फीले पहाड़ों के प्रदेश से है। इसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसकी सीमायें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, चण्डीगढ़ एवं पंजाब से लगती हैं तो उत्तर-पूर्व में चीन के साथ भी यह सीमा साझा करता है।
  • 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन में रहा। सन् 1950 में इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1971 में हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अंतर्गत इसे 25 जनवरी 1971 को भारत का 18 वाँ राज्य बनाया गया।
  • बर्फीले क्षेत्रें से सम्पन्न इसके पहाड़ी भागों से कई नदियों का उद्गम होता है जिनसे बिजली उत्पादन करके यह राज्य अन्य राज्यों जैसे- दिल्ली, पंजाब और राजस्थान को बिजली बेचता है।
  • इस राज्य की अर्थव्यवस्था तीन सेक्टरों-पनबिजली (Hydro Project), पर्यटन और कृषि पर निर्भर है।
  • हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत का मुख्य हिस्सा है।
  • हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत क्षेत्र में बसा है जहां हिमालय की तीनों श्रेणियाँ- वृ“त हिमालय, लघु हिमालय (हिमाचल में इसे धौलाधर नाम से जाना जाता है) एवं शिवालिक स्थित है। लघु हिमालय के कई क्षेत्र यहां के पर्यटन का प्रमुख आधार हैं।
  • हिमाचल की अवस्थिति और उसके भूगोल की वजह से यहां की जलवायु में विविधता देखने को मिलती है। यहां एक तरफ बर्फ गिरती है तो दूसरी तरफ गर्मी पड़ती है। यहां एक तरफ गर्म जल के स्रोत है तो दूसरी तरफ ऐसी भूमि है जहां पानी की जगह बर्फ जमी मिलती है।
  • यहाँ की प्रमुख नदियाँ- चिनाब, रावी, व्यास, सतलुज एवं कालिंदी हैं। इसके अलावा भी यहां अनेक नदियाँ हैं जिसमें से अधिकार बारहमासी हैं। इसका प्रमुख कारण इनका हिमनद से जल प्राप्त करना है।
  • यहां की अधिकांश क्षेत्र उबड-खाबड है लेकिन जो भी समतल भूमि है उस पर कृषि कार्य किया जाता है। यहां की 69 प्रतिशत जनसंख्या इसी से अपनी आजीविका चलाती है।
  • बागवानी का कार्य यहां के जलवायु के अनुसार अनुकूल हैं इस कारण सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खूमानी, नीबू प्रजाति के फल, आम, लीची, अमरूद आदि का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है।
  • शिमला, कुल्लू, मनाली, कुफरी, धर्मशाला, डलहौजी एवं चंबा घाटी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल एवं आय के स्रोत वाले क्षेत्र है।
  • बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने कुल्लू और शिमला की सीमा के पास सतलुज नदी पर बनने वाले लूहरी पावर प्रोजेक्ट के पहले चरण की अनुमति दे दी।
  • निरथ गांव में बनने वाले इस प्रोजेक्ट पर 1810 करोड़ रूपये का खर्च आयेगा तथा 210 मेगावॉट जल विद्युत का उत्पादन होगा।
  • इसे लगभग पांच साल (62 माह) में पूरा किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस परियोजना से सालाना 758 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
  • इस परियोजना को सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा बनाया जायेगा जो Boom (Build own-operate-maintain) निवेश मॉडल पर बनेगा।
  • हिमाचल प्रदेश को वर्षों तक लगभग 1058 करोड़ रूपये की निःशुल्क बिजली मिलेगी।
  • इस प्रोजेक्ट के लिए MoU पर हस्ताक्षर पिछले साल नवंबर में आयोजित किये गये- Rising Himachal, Global Investor Meet में किया गया था।
  • इस परियोजना से इस राज्य को न सिर्फ आय का एक और स्रोत मिलेगा बल्कि लगभग 2 हजार लोगों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
  • इस प्रोजेक्ट के तहत 80 मीटर ऊँचा, 225 मीटर लंबा तथा 8 मीटर चौड़ा एक कंक्रीट ग्रैविटी बांध बनाया जायेगा। इसके लिए नदी के प्रवाह को 10 मीटर के व्यास एवं 567 मीटर लंबी हार्स-शू आकार की डायवर्जन टनल के माध्यम से मोड़ा जायेगा।
  • प्रोजेक्ट से प्रभावित परिवारों को दस साल तक प्रतिमाह सौ यूनिट बिजली मुफ्रत मिलगी।
  • लुहरी पॉवर प्रोजेक्ट के चरण एक में 210 मेगावॉट की परियोजना के साथ चरण दो में 172 मेगावाट की परियोजना, तथा तीसरे चरण में 382 मेगावाट की परियोजना प्रस्तावित है।
  • यह परियोजना लंबे समय से विवादों में रही हैं। पहले 38 किमी लंबी टनल बननी थी लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध और पर्यावरणीय विरोध के कारण इसे टालना पड़ा। इससे नदी का एक बड़ा हिस्सा सूख सकता था। और कहा गया कि किसी भी टनल का निर्माण नहीं किया जायेगा।
  • पहले यह परियोजना 700 मेगवॉट से ज्यादा की थी और एक ही चीरण में बननी थी। विरोध के कारण इसे तीन चरणीय बनाया गया।
  • इस परियोजना से शिमला, कुल्लू और मंडी जिले की 21 पंचायतें प्रभावित हो सकती है।
  • यहां से होने वाले लागों के विस्थापन का मुद्दा अभी भी बना हुआ है।
  • इस प्रोजेक्ट से प्रारंभ होने से इससे होने वाली आय का 25-5 प्रतिशत हिस्सा राज्य को मिलेगा जो यहां के विकास की गति को बढ़ाने में मददगार होगा। साथ ही प्रोजेक्ट की 13 प्रतिशत निःशुल्क बिजली उद्योगों एवं आवासीय क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।
  • हिमाचल प्रदेश की प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएं-
  1. रौंग-टौंग हाइडल प्रोजेक्ट - 2 मेगावॉट - स्पीति की सहायक रौंग टौंग पर
  2. बिनवा हाइडल प्रोजेक्ट - कांगाडा जिला - 6 मेगावॉट
  3. गज परियोजना - कांगडा जिला - 10-5 मेगावॉट
  4. वनेर परियोजना - धर्मशाला - 12-5 मेगावॉट
  5. थिरोट परियोजना - लाहौल स्पीति - 4-5 मेगावॉट
  6. लारजी हाइडल प्रोजेक्ट - कुल्लू - 126 मेगावॉट
  7. कोल डैम परियोजना - कोल नामक स्थान पर - 800 मेगावॉट
  8. नाथपा - झाकडी परियोजना - 1500 मेगावॉट - राज्य की सबसे बड़ी परियोजना
  • अन्य परियोजनाएं- धानवी परियोजना, वास्पा हाइडल परियोजना, धमवाडी सुंडा परियोजना, पार्वती हाइडल प्रोजेक्ट, रामपुर परियोजना।

गोवा में लोग रेलवे ट्रैक पर क्यों बैठे हैं?

  • गोवा या गोआ क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे छोटा राज्य है। इसका क्षेत्रफल 3702 वर्ग किमी. है।
  • गोवा पूरी दुनिया में अपने सुंदर समुद्री किनारों एवं प्रसिद्ध स्थापत्य के लिए जाना जाता है। यहां का समुद तट 101 किलोमीटर लंबा है।
  • यहां का प्रमुख उद्योग पर्यटन है। पर्यटन के अलावा गोवा में लौह खनिज भी पर्याप्त मात्र में पाया जाता है जो जापान एवं चीन जैसे देशों को निर्यात किया जाता है।
  • यह पश्चिमी घाट पर्वतीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र का हिस्सा है अर्थात यहां की परिस्थितिकी अधिक मानवीय हस्तक्षेप के अनुकूल नहीं है।
  • इस समय यह राज्य इसी प्रकार की पर्यावरणीय चुनौतियों के कारण चर्चा में बना हुआ है।
  • यहां गोवा से कर्नाटक जाने वाले रेलवे ट्रैक को डबल किया जा रहा है, जिसका विरोध यहां के लोग कर रहे हैं। विरोध करने के लिए लोग रात में रेलवे ट्रक पर बैठ रहे हैं।
  • यह लोग Goyant Kolso Naka (गोवा कायेला नहीं चाहता) के बैनर तले विरोध कर रहे हैं। यह लोग दक्षिणी गोवा जिले में 50 किमी- दूर स्थित चंदोर ट्रेक पर विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वाले लोगों को कांग्रेस, आम आदमी पार्टी तथा गोवा फॉरवर्ड पार्टी का समर्थन भी मिल रहा है।
  • यह रेलवे दोहरीकरण के साथ भगवान महावीर वन्य जीव अभयारण्य तथा राज्य की सीमा पर स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान में पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं। पश्चिमी घाट से गुजरने वाला यह ट्रेक कई तरह की पर्यावरणीय चुनौतियाँ यहां उत्पन्न करेगा।
  • इस रेलवे लाइन दोहरीकरण का उद्देश्य मारमुगांव पोर्ट पर कोयला आयात करना और आयातित कोयले को रेलवे लाइन के माध्यम से कर्नाटक एवं अन्य राज्यों तक पहुंचाना है।
  • कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, एवं अन्य दक्षिणी राज्यों में निजी और सरकारी कई स्टील प्लॉट हैं, जिनके लिए कोयले की आवश्यकता है।
  • रेलवे दोहरीकरण, गोवा को कोयला हब बनाने का संबंध सागरमाला परियोजना से हैं इस परियोजना में तटीय राज्यों के बंदरगाहों को उन्नत करना, उसके लिए कैचमेंट एरिया में परिवहन के साधन एवं आधारभूत संरचना का निर्माण करना शामिल है।
  • इस परियोजना में गोवा को एक कोयला ट्रांसपोर्ट कोरिडोर के रूप में विकसित करने की बात की गई हैं अर्थात यहां से आयातित कोयले को आवश्यकता वाले राज्यों को पहुंचाया जायेगा, यह प्रावधान किया गया था।
  • इसके लिए मोरमुगांव पोर्ट की कैपिसिटी 2035 तक 51 MTPA (Million tonne per annum) करने का लक्ष्य तय किया गया है ताकि सभी स्थानों पर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए इस पोर्ट से कोयले के परिवहन के लिए सड़क, रेलवे, पुल आदि का जाल बिछाने की आवश्यकता होगी। इसी के तहत सेपरेट कोयला रेलवे ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है।
  • लोगों का कहना है इससे राज्य को कोई फायदा नहीं होता है और यहां की पारिस्थितिकी भी प्रभावित होगी।
  • कोयले के कण हवा में 3 से 4 दिन रह सकते हैं। इससे क्षेत्र की भूमि पर कोयले की राख की परत बन सकती हैं इससे यहां जल प्रदूषण हो सकता है।
  • लोगों का मानना है कि इससे सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों का राजस्व बढ़ेगा, जिसके लिए वह आने क्षेत्र की पारिस्थितिकी को प्रभावित नहीं होने देंगे।

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