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Daily-current-affairs / 25 Nov 2019

(इनफोकस - InFocus) डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोरी (Dedicated Rail Freight Corridor - DRFC)

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(इनफोकस - InFocus) डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोरी (Dedicated Rail Freight Corridor - DRFC)



वैसे तो समर्पित माल ढुलाई गलियारे का कार्य कई वर्षों पूर्व प्रारम्भ हुआ था परन्तु कई कारणों से इसमें हुई देरी के कारण हर बार इसकी समयसीमा बढ़ाई गयी है।

हाल ही में रेल मंत्रालय ने इसके पूरे होने की नई तारीख की घोषणा की है जिसके बाद से यह विषय चर्चा में है।

क्या है Dedicated Rail Freight corridor या (DRFC)

  • दरअसल DRFC यानि Dedicated Rail Freight corridor रेल मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसके तहत भारत में रेल के द्वारा मालवाहन को अधिक सुगम बनाया जाना लक्ष्य है।
  • इस परियोजना में नई रेल लाइनों के विकास का लक्ष्य है। जिसके ऊपर सिर्फ मालगाडि़याँ ही चलेंगी यानि मालवाहक रेल लाइनों व यात्री रेल लाइनों दोनों को एक दूसरे से अलग करने की योजना है।
  • इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी Dedicated Freight Corridor Coporation of India Limited यानि (DFCCIL) की है जो कि रेल मंत्रालय के तहत कार्य करता है।

योजनाएँ:

  • दरअसल DRFC को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू किया गया था जिसमें दो नये मालढुलाई गलियारों की बात कही गई थी।
  • प्रथम गलियारे का नाम पूर्वी माल ढुलाई गलियारा यानि Eastern dedicated freight corridor और दूसरे गलियारे का नाम western dedicated freight corridor यानि पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा है।
  • जहाँ पूर्वी गलियारा पंजाब के लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दानकुनी से जोड़ता है वहीं पश्चिमी गलियारा उत्तर प्रदेश के दादरी को महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित जवाहर लाल नेहरू पोर्ट से जोड़ता है।
  • पूर्वी गलियारा लगभग 1856 किलो मी- लम्बा तथा पश्चिमी गलियारा लगभग 1504 किलो मी- लम्बा है।
  • इसके साथ ही भारत में DRFC को एक स्वर्णिम चतर्भुज की तरह भी जोड़ने की बात कही गई है। जिसमें भारत के चार बड़ें शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को भी जोड़ने की बात कही गई है।
  • इन परियोजनाओं में East-West DRFC के तहत कोलकाता को चेन्नई से तथा North-South DRFC के तहत दिल्ली को चेन्नई से जोड़ने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है।
  • इसके साथ ही तटीय क्षेत्रें को आपस में जोड़ने के लिये South-West DRFC के तहत चेन्नई को गोवा से व खड़गपुर को विजयवाड़ा से जोड़ने का प्रस्ताव भी 2018 में पारित कर दिया गया है।

आवश्यकताः

  • दरअसल भारत में जनसंख्या बोझ व खराब आधारभूत संरचना के कारण, रेलगाडि़यों का समय से न चल पाना आम बात हो गई है।
  • मंत्रालय द्वारा हर साल नई रेलगाडि़यों को चलाये जाने व अपर्याप्त रेल लाइनों की वजह से Rail Traffic की समस्या गम्भीर होती जा रही है।
  • इसी कारण से मालगाडि़यों व यात्रीगाडि़यों को दूसरे के लिये रूककर पास देना पड़ता है जिससे गाडि़याँ अपने तय समय पर गंतव्य तक नहीं पहुँच पाती है।
  • इन्ही कारकों की वजह से भारत में मालगाडि़यों की औसत गति मात्र 25 किमी- प्रति घण्टा व यात्रीगाडि़यों की औसत गति मात्र 50 किमी- प्रति घण्टे की है।

प्रभावः

  • इन नये गलियारों के बनने की वजह से जहाँ एक और रेल लाइनों पर दबाव कम होगा वहीं दूसरी और यातायात में लगने वाला समय भी कम होगा।
  • आकड़ो के मुताबिक इन गलियारों की वजह से मालगाडि़यों की औसत गति बढ़कर 80 से 85 किमी- प्रति घण्टे की हो जायेगी।
  • मालगाडि़यों में चलती देरी की वजह से उनमें रखा सामान खराब हो जाता था जिससे फल, सब्जियाँ, दूध व अन्य खा़द्य सामग्रियों को रेल परिवहन के द्वारा नही ले जाया जा सकता था। इन गलियारों के बनने से ऐसी समस्यायें दूर हो जायेगी।
  • भारत में बढ़ते e-commerce market के लिये ये गलियारे वरदान साबित होंगे।
  • Amazon, Flipcart, Myntra, Snapdeal जैसी तमाम बड़ी कंपनियाँ अब सामान की Delivery के लिये Railways का उपयोग कर पायेंगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
  • साथ ही बड़े बंदरगाहों के आपस में जुड़ने की वजह से यातायात व माल परिवहन में सुगमता होगी।
  • गौरतलब है कि अपने 68000 किमी- से भी ज्यादा लम्बे रेल ट्रैक के कारण भारत एशिया का दूसरा व दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क वाला देश है।

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