‘स्वामित्व’ योजना (SWAMITVA Scheme) - समसामयिकी लेख

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ‘श्री नरेंद्र मोदी’ ने ‘स्वामित्व’ (SVAMITVA) योजना के तहत संपत्ति कार्ड (Property Cards) वितरित करने की शुरुआत की है।

परिचय

  • भारत एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला देश है और यहाँ की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है(लगभग 60%) ।
  • देश को आजाद हुए 73 वर्ष हो गए हैं किन्तु आज भी भारत के अधिकांश ग्रामीणों के पास अपनी आवासीय संपत्ति के आधिकारिक प्रमाण-पत्र नहीं हैं।
  • अंग्रेजों के शासनकाल से ही भारत के सभी भागों में भूमि का बंदोबस्त होता रहा है परंतु अधिकांश राज्यों में गावों के आबादी क्षेत्रों का मापन संपत्ति के सत्यापन के दृष्टिकोण से नहीं हुआ है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की संपत्ति के प्रमाणिक आँकड़ों के अभाव में पंचायतों के पास कर निर्धारण और कर वसूल करने के लिये कोई आधार नहीं होता है।
  • भारत के लाखों लोगों को सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत में बदलाव के लिए बड़े सुधार के क्रम में भू-संपत्ति मालिकों को ‘स्वामित्व’ योजना के अंतर्गत संपत्ति कार्ड(Property Cards) वितरित करने की योजना का शुभारंभ किया गया है।

‘स्वामित्व’ योजना के अंतर्गत संपत्ति कार्ड (Property Cards)

  • इस योजना के अंतर्गत लगभग एक लाख भू-संपत्ति मालिक अपने मोबाइल फोन पर एसएमएस के द्वारा प्राप्त होने वाले लिंक से संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे। इसके बाद संबंधित राज्य सरकारें संपत्ति कार्ड का फिजिकल वितरण करेंगी। इसके अंतर्गत 6 राज्यों राज्यों (उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र) के 763 गांवों के लोग लाभान्वित होंगे।
  • अलग-अलग राज्यों में संपत्ति कार्ड को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हरियाणा में ‘टाइटल डीड’, कर्नाटक में ‘रूरल प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड’ (आरपीओआर), मध्यप्रदेश में ‘अधिकार अभिलेख’, महाराष्ट्र में ‘सनद’, उत्तराखंड में ‘स्वामित्व अभिलेख और उत्तर प्रदेश में ‘घरौनी’ नाम दिया गया है।

‘स्वामित्व’ (SVAMITVA) योजना

  • 24 अप्रैल, 2020 को पंचायती राज दिवस (Panchayati Raj Diwas) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वामित्व योजना' (Swamitva Scheme) को शुरू किया था। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है।
  • 'स्वामित्व योजना' (Swamitva Scheme) , पंचायती राज मंत्रालय (Ministry of Panchayati Raj), राज्यों के पंचायती राज विभाग (Panchayati Raj Department), राज्य राजस्व विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) के सहयोग से चलाई जाएगी।
  • इस योजना से देश के गांवों में लोगों को उनकी आवासीय जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। किसानों समेत गांव वालों को उनकी जमीन का हक दिलाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। गांवों में जमीन की पैमाइश के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी। इस योजना का मकसद संपत्ति का रिकॉर्ड (Property Rights) बनाना और उसका मालिकाना हक तय करना है। देश के सभी गांवों में ड्रोन की मदद से हर संपत्ति की मैपिंग की जाएगी।
  • दरअसल 'स्वामित्व योजना' के द्वारा ड्रोन (Drone) और अन्य नवीनतम तकनीकों की सहायता से रिहाइशी भूमि का सीमांकन कर ग्रामीण क्षेत्रों में एकीकृत संपत्ति सत्यापन (Integrated Property Validation) की एक व्यवस्था स्थापित की जाएगी।
  • इसके बाद गांव के लोगों को उस संपत्ति का मालिकाना हक के कागज दिए जाएंगे। इसके अलावा , 'स्वामित्व योजना' के अंतर्गत गाँव की सीमा के भीतर आने वाली प्रत्येक संपत्ति का डिजिटल रूप नक्शा बनाया जाएगा और प्रत्येक राजस्व खंड की सीमा का निर्धारण किया जाएगा। 'स्वामित्व’ योजना कैसे क्रियान्वित की जाएगी ?
  • सर्वप्रथम 'स्वामित्व योजना' के अंतर्गत वन्य क्षेत्र व कृषि भूमि से आबादी क्षेत्र (जहां ग्रामीण निवास करते हैं) को अलग करते हुए आबादी वाले क्षेत्र को नक्शे/मानचित्र पर चिह्नित किया जाएगा।
  • आबादी वाले क्षेत्र को नक्शे/मानचित्र पर चिह्नित करने के इस आबादी क्षेत्र के अंदर सभी संपत्तियों को उनके मालिकों की पहचान के साथ चिह्नित किया जाएगा।
  • आबादी वाले क्षेत्र को मानचित्रित करने और इसके अंदर सभी संपत्तियों को उनके मालिकों की पहचान निर्धारित करने की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न स्थानीय विवादों का निपटारा विभागीय अधिकारियों द्वारा आधिकारिक विवाद निस्तारण प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। इसके अलावा, कर विभाग के अधिकारियों के सहयोग से तकनीकी चुनौतियों (ड्रोन से सही तस्वीर न आना आदि) या पुराने विवादों जैसे मुद्दों का समाधान भी किया जाएगा।
  • उपर्युक्त प्रक्रिया के बाद अन्त में तैयार किये गए मालिकाना प्रमाण पत्र (टाइटिल डीड) अर्थात संपत्ति कार्ड (Property Cards) को संपत्ति मालिकों को दिया जाएगा।

‘स्वामित्व’ योजना के चरण

  • ‘स्वामित्व’ योजना का क्रियान्वयन 4 वर्ष में चरणबद्ध ढंग से किया जाएगा। इसे 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है और देश के 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाना है।
  • इसमें से एक लाख गावों को आरंभिक चरण (पायलट फेज) में 2000-21 के दौरान कवर किया जाएगा। इस आरंभिक चरण में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक के गांवों के साथ-साथ से पंजाब तथा राजस्थान के सीमावर्ती कुछ गांव शामिल होंगे। पंजाब और राजस्थान में नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन (सीओआरएस) नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा।
  • इन सभी राज्यों ने सर्वे ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत इस योजना के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाएगा। इन राज्यों ने डिजिटल संपत्ति कार्ड के प्रारूप और जिन गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाना है उसे अंतिम रूप दे दिया है। पंजाब और राजस्थान में सीओआरएस नेटवर्क की स्थापना के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि भविष्य में ड्रोन उड़ाने संबंधी गतिविधियों को संचालित करने में मदद की जा सके।

पंचायती राज मंत्रालय के तहत लागू होगी ‘स्वामित्व’ योजना

  • स्वामित्व योजना केंद्र सरकार की योजना है। इसे लागू करने के लिए नोडल एजेंसी पंचायती राज मंत्रालय है। राज्यों में इसे लागू करने के लिए राजस्व विभाग या लैंड रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट को नोडल विभाग बनाया गया है जो राज्य के पंचायती राज्य विभाग के सहयोग से इस योजना को लागू करेगा। इस योजना को लागू करने में सर्वे ऑफ इंडिया तकनीकी सहयोगी के रूप में कार्य करेगा।

लाभ

  • इस कदम का ग्रामीण भारत पर परिवर्तनकारी प्रभाव दिखेगा और लाखों लोग सशक्त होंगे। इससे ग्रामीणों के अपनी भू-संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करने का रास्ता साफ होगा।
  • स्वामित्व योजना से भू-संपत्ति मालिक अपने संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे। इसका इस्तेमाल लोन आदि के आवेदन समेत अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा, अर्थात इस योजना के अमल में आने से शहरों की तरह गांवों में भी लोग अपनी संपत्ति पर बैंकों से लोन ले सकेंगे।
  • जमीन के कानूनी झगड़े कम करने में मिलेगी मदद: इस योजना के तहत ड्रोन सर्वे तकनीक की सहायता से गांव के आबादी वाले क्षेत्रों का सीमांकन किया जाएगा। इससे गांव में रहने वाले लोगों को अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड्स ऑफ राइट्स हासिल होगा। इन रिकॉर्ड्स के जरिए वे अपनी संपत्ति को फाइनेंसियल एसेट के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे और बैंक से कर्ज या अन्य वित्तीय सुविधाएं लेने में कर सकते हैं। इस योजना से ग्रामीण योजना के लिए जमीन के सटीक आंकड़े मिलेंगे और प्रॉपर्टी टैक्स के आकलन में सरकार को मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे जमीन से जुड़े कानूनी झगड़े कम करने में मदद मिलेगी।
  • गांव की खेती की जमीन का रिकॉर्ड खसरा—खतौनी में तो होता है। लेकिन गांवों की आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक के आधार पर कोई रिकॉर्ड नहीं है। स्वामित्व योजना के जरिए यह हर आवासीय संपत्ति की पैमाइश कर मालिकाना हक सुनिश्चित किया जाएगा।

चुनौतियाँ

  • भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अधिकतर परिवार संयुक्त परिवार के रूप में रहते हैं। संयुक्त परिवार में आवासीय संपत्ति का बंटवारा काफी जटिल रूप में है। इस स्थिति में स्वामित्व योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण को संपत्ति कार्ड(Property Cards) वितरित करना अर्थात लोगों को उनकी संपत्ति के संबंध में आधिकारिक पत्र जारी करना चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
  • वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति से जुड़े प्रमाणिक दस्तावेज़ों का अभाव है। इस स्थिति में स्वामित्व योजना चुनौती आ सकती है, क्योंकि स्वामित्व योजना लागू करने का एक मुख्य ध्येय ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों से जुड़े आंकड़ों में सुधार करना है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास स्वयं की संपत्ति से जुड़े प्रमाणिक दस्तावेज़ नहीं होने से स्वामित्व योजना विवादों से भी घिर सकती है।

आगे की राह

  • ‘भूमि’ राज्य का विषय है, अतः स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन में राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
  • स्वामित्व योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी पक्षों (यथा –केंद्र , राज्य और ) को मिलकर कार्य करना होगा ।

मुख्य परीक्षा प्रश्न :

  • ‘स्वामित्व’ (SVAMITVA) योजना के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन करने के साथ- साथ यह भी बताएं कि यह योजना ग्रामीण भारत में संपत्ति से संबन्धित मुद्दों को किस प्रकार हल कर सकेगी ?