कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस  परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


संदर्भ

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का उपयोग कई स्तरों पर कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ हो सकता है और हो भी रहा है। जांच, इलाज और रोकथाम में यह अपनी भूमिका निभा रहा है। वैज्ञानिक, शोधकर्ता और दवा बनाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग एक्सपर्ट के साथ मिल कर इस चुनौती को कम से कम समय में पूरी करने की कोशिश में लगे हैं।

परिचय

  • चिकित्सा के क्षेत्र में मशीनों के प्रयोग से बहुत सारे रोगों का इलाज आसान हुआ है। मशीनों के बाद अब 'मशीनी बुद्धि' यानी आ'टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी प्रयोग धीरे-धीरे चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ रहा है। हाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के प्रयोग से कैंसर और अल्जाइमर जैसे रोगों की शुरुआत में ही पहचान करना आसान हो गया है।
  • विदेशों में मेडिकल केयर के क्षेत्र में इस तकनीक का इस्तेमाल आजकल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। लेकिन भारत में डॉक्टर इस तकनीक के प्रयोग से घबराते हैं। जानकारों का मानना है कि इस तकनीक के आने से चिकित्सकों की जरूरत नहीं खत्म होगी। ये तकनीक डॉक्टरों की मदद करेगी, जो डॉक्टरों को निर्णय लेने (इलाज के संबंध में) में मदद करेगी।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है ?

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। इसके जरिए ऐसा कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जो उन्हीं तर्कों के आधार पर चलने का प्रयास करता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क चलते हैं।
  • सामान्य शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वो है जो इंसानों के निर्देश को समझे, चेहरे पहचाने, खुद से गाडि़यां चलाए, या फिर किसी गेम में जीतने के लिए खेले। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी कई तरह से मदद करती है। जैसे ऐपल का सीरी या माइक्रोसॉफ्रट का कोर्टाना, ये दोनों हमारे निर्देश पर कई तरह के काम करते हैं। बहुत से होटलों में रोबोट, मेहमानों की मेजबानी करते हैं।
  • आज ऑटोमैटिक कारें बनाई जा रही हैं, इसी तरह बहुत से कंप्यूटर प्रोग्राम हैं, जो कई फैसले करने में हमारी मदद करते हैं, जैसे गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी डीपमाइंड, ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सर्विस के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त मशीनें इंसान की सर्जरी तक कर रही हैं। वो इंसान के शरीर में तमाम बीमारियों का पता भी लगाती हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोविड 19 के ख़िलाफ़ कारगर कैसे ?

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेे पहले के दौर में कोई नई वैक्सीन या दवा बनने में सालों का वत्तफ़ लगता था, किन्तु बदलते वत्तफ़ के साथ एआई से कोरोना वाइरस की दवा की खोज पर काम हो रहा है। उन दवाओं में संभावना तलाशी जा रही है जो अभी दूसरी बीमारियों में उपयोग होती हैं। इसके अलावा वैज्ञानिक कोरोना वायरस की बायो-कैमिस्ट्री को एआई से समझ रहे हैं। संक्रमित लोगों के सीटी-स्कैन में फेफड़ों में नए नए पैटर्न पढ़े जा रहे हैं, ताकि ज्यादा सटीकता से रोग का पता लगे।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रेडियोलॉजी के क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी। इस तकनीक के द्वारा किसी व्यक्ति में बीमारी की शुरुआत से पहले ही इसका पता लगा लिया जाएगा, जिससे व्यक्ति में उस रोग की संभावना को ही खत्म किया जा सके। स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में ये तकनीक बहुत जरूरी है।
  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एए प्लस कोविड-19 टेस्टिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित है। ये टेस्टिंग पांच मिनट के भीतर बता सकता है कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों की टेस्टिंग में सरकारी अस्पतालों में इस अलग और सस्ते रेपिड डिटेक्शन टेस्टिंग सोल्यूशन की सफलता की दर करीब 98 फीसदी है। जिन मामलों में व्यक्ति को फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं है उनमें इस तरीके से कोविड-19 संक्रमण टेस्टिंग की सफलता दर करीब 87 फीसदी है।
  • कोरोना महामारी के संदर्भ में, एआई को तीन क्षेत्रें में विभक्त किया जा सकता हैः वायरस अनुसंधान और दवाओं एवं टीकों के विकास में; स्वास्थ्य सेवा केंद्रों पर सेवाओं और संसाधनों के प्रबंधन में; और डेटा के विश्लेषण में। गौरतलब है कि हेल्थकेयर सुविधाएं कोरोना के प्रकोप से जूझ रही हैं। इसलिए एआई प्रौद्योगिकियां हेल्थकेयर के संचालन की दक्षता और सटीकता में सुधार करती हैं।
  • एआई तकनीक मनुष्य के विपरीत, एक ही समय में बड़ी मात्र में काम पूरा कर सकता है। उन्हें हमारी तरह विराम लेने की जरूरत नहीं है साथ ही एआई द्वारा मानवीय गलतियाँ करने का खतरा नहीं है।
  • कई अस्पतालों ने संक्रमण से बचने के लिए एआई युत्तफ़ रोबोट का प्रयोग करने पर विचार किया है ताकि स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा की जा सके।
  • एआई तकनीक का उपयोग वायरस के बारे में संरचना और अन्य जानकारी खोजने के लिए किया जा रहा है ताकि जल्द ही एक वैक्सीन मिल सके।
  • जानवरों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू करने से पहले रसायनों के अलग-अलग कॉम्बिनेशन बनाने और उनके मॉलिक्यूलर डिजाइन बनाने में ही सालों का वत्तफ़ लग जाता था, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से इस काम को सालों की बजाय अब कुछ दिनों में ही पूरा कर लिया जाता है।

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

  • केंद्र सरकार के थिंक टैंक के रूप में काम करने वाले नीति आयोग ने दो साल पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के मुद्दे पर राष्ट्रीय नीतिश् डिस्कशन पेपर बनाया था। श्आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर ऑलश् नाम के इस पेपर में पांच क्षेत्रें को महत्वपूर्ण माना गया था-हेल्थकेयर, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट सिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरी यातायात।
  • साल 2015 में स्वास्थ्य सेक्टर में तकनीक के इस्तेमाल का नियमन करने के लिए और इसे सुगम बनाने के लिए राष्ट्रीय ई-हेल्थ अथॉरिटी बनाने का भी प्रस्ताव था।
  • जानकार मानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नेतृत्व लेने के मामले में अभी भारत कोसों दूर है। एक मजबूत राष्ट्रीय नीति और जरूरी कानूनों के अभाव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग तो बढ़ रहे हैं लेकिन वो सुनियोजित तरीके से नहीं बढ़ रहे।
  • नीति अयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत न तो चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है और न ही करेगा। रिपोर्ट कहती है कि ये गैर-चीनी और गैर-पश्चिमी बाजारों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के केंद्र के रूप में खुद को विकसित करेगा। ये पहला और महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इस पर अब तक कोई मजबूत काम नहीं हुआ है।

चुनौतियाँ

  • मशीनों में आंकड़े भरकर उनसे नतीजे निकालने को कहा जाता है। मगर कई बार आंकड़ों का हेर-फेर इन मशीनों को गलत नतीजे निकालने की तरफ धकेल सकता है। ऐसे में हम स्मार्ट मशीनों की गलतियों के शिकार बन सकते हैं। आज की तारीख में मशीनें बीमारियों का पता लगाने से लेकर इंसानों के अपराधी बनने की आदत तक का पता लगा रही हैं। ऐसे में हमें मशीनों से हमेशा सही जवाब की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स के खतरों को लेकर चेतावनी दे चुके जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग्स ने कहा था ष्आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने अब तक हमारे जीवन को आसान बनाया है और हमारी मददगार रही है, लेकिन अगर हम रोबोट को इंसान की तरह की सबकुछ सिखा देंगे तो वो इंसानों से स्मार्ट बन जाएंगे और फिर हम इंसानों के लिए मुश्किल पैदा करेंगे।

आगे की राह

  • अभी तक कोविड-19 से मृत्यु दर (और संक्रमण दर) का विश्वसनीय आकलन मिलना मुश्किल है लेकिन ये धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इसकी मृत्यु दर दूसरी संक्रामक बीमारियों जैसे SARS या MERS या खास तौर पर इबोला के मुकाबले निश्चित रूप से कम है। इसलिए बीमारी पर काबू पाने के उपायों जैसे कि लॉकडाउन के दूसरे उपायों पर ध्यान रखा जाना चाहिए। इस बात में ज्यादा शक नहीं है कि जब तक वैक्सीन नहीं आती या बेहद सख्त कदम नहीं उठाए जाते, आबादी का एक बड़ा हिस्सा आखरिकार संक्रमित हो जाएगा।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वर्तमान में और साथ ही भविष्य में वैश्विक महामारियों के प्रति मदद करने के लिए बहुत बड़ा दायरा है। डेटा के माध्यम से विश्लेषण करना और, रोगों की प्रगति की भविष्यवाणी करना, रोबोटिक्स, डेटा विजुअलाइजेशन, एनएलपी, आदि शोधकर्ताओं को काफी मदद कर सकते हैं। एआई में न केवल इस महामारी का मुकाबला करने में मदद करने की क्षमता है, बल्कि भविष्य के अनुसंधान में सहायता करने की भी क्षमता है।
  • जानकार मानते हैं कि अब जब दुनिया के 180 से अधिक देशों के सामने कोरोना महामारी से जंग करने की चुनौती है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग इसमें अहम साबित हो सकते हैं।
  • भारत में जहां सीजनल स्वास्थ्य संबंधी इमरजेंसी आम बात है, वहां बड़ी संख्या में लोगों की जांच में ये बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने साबित किया है कि इंसानों की अपेक्षा वो अधिक तेजी और बेहतर तरीके से काम कर सकता है।

सामान्य अध्ययन पेपर-3

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
  • सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कम्प्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरूकता।

मुख्य परीक्षा प्रश्न :

  • ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने यह साबित किया है कि इंसानों की अपेक्षा वह अधिक तेजी और बेहतर तरीके से काम कर सकता है। चर्चा करें।