सटीक जनसंख्या डेटा के अभाव में लोक कल्याणकारी योजनाएँ लड़खड़ा जाएँगी - समसामयिकी लेख

   

कीवर्ड : जनसंख्या जनगणना, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, कुल प्रजनन दर, प्रवासन, कल्याणकारी राज्य, महापंजीयक का कार्यालय और जनगणना आयुक्त, गृह मंत्रालय।

संदर्भ :

  • 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, 2021 में जनसंख्या की जनगणना करना ( जिसे कोविड के कारण अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है) भारत के लिए एक आवश्यक कदम है।

मुख्य विचार:

  • आर्थिक और सामाजिक विकास की शुरुआत करने, बेहतर शासन सुनिश्चित करने और सार्वजनिक योजनाओं और कार्यक्रमों की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए गांव या ब्लॉक स्तर पर योजना बनाने के लिए जनगणना डेटा आवश्यक है ।
  • सामाजिक-राजनीतिक अशांति और अलगाववादी आंदोलनों के कारण 1981 में असम और 1991 में जम्मू कश्मीर के अपवाद के साथ 1881 से बिना किसी रुकावट के, नियमित जनगणना करने का भारत का एक लंबा इतिहास रहा है।
  • भारत की 16वीं जनगणना देश की पहली डिजिटल जनगणना है।

जनगणना डेटा का महत्व:

  • सांख्यिकीय सूचना का स्रोत
  • भारतीय जनगणना भारत के लोगों की विभिन्न विशेषताओं पर विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय जानकारी का सबसे बड़ा एकल स्रोत है।
  • योजनाओं और कार्यक्रमों का आधार
  • जनगणना उन सभी योजनाओं और कार्यक्रमों का आधार बनती है जिन्हें सरकार लागू करना चाहती है।
  • अनुसंधान और जनसांख्यिकी
  • शोधकर्ता और जनसांख्यिकी जनसंख्या की वृद्धि और प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने और अनुमान लगाने के लिए जनगणना डेटा का उपयोग करते हैं।
  • सरहदबंदी
  • जनगणना के आंकड़ों का उपयोग निर्वाचन क्षेत्रों के सीमांकन और संसद, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों को प्रतिनिधित्व के आवंटन के लिए भी किया जाता है।
  • सुशासन
  • जनगणना के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग प्रशासन, योजना और नीति-निर्माण के साथ-साथ सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के प्रबंधन और मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
  • व्यवसायों के लिए बेहतर पहुँच
  • जनगणना के आंकड़े व्यावसायिक घरानों और उद्योगों के लिए उन क्षेत्रों में पैठ बनाने के लिए अपने व्यवसाय को मजबूत करने और योजना बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो अब तक उजागर नहीं हुए थे।

जनगणना

  • जनगणना के बारे में -
  • जनसंख्या जनगणना एक देश या किसी देश के एक सुपरिभाषित हिस्से में सभी व्यक्तियों के एक विशिष्ट समय पर, जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक डेटा से संबंधित संग्रह, संकलन, विश्लेषण और प्रसार की कुल प्रक्रिया है।
  • दशकीय जनगणना गृह मंत्रालय के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय द्वारा आयोजित की जाती है।
  • ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो के शासनकाल में, पहली पूर्ण जनगणना 1881 में रिपन के तहत की गई थी।
  • 2011 में आयोजित हुयी अंतिम जनगणना सहित 15 बार जनसंख्या की जनगणना सम्पन्न हुयी है।
  • दौरा
  • संवैधानिक प्रावधान:
  • संविधान निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए और अनुसूचित जातियों और  अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की मात्रा निर्धारित करने के लिए  जनगणना के आंकड़ों के उपयोग के बारे में बात करता है।
  • हालाँकि, संविधान में इसका वर्णन नहीं है कि जनगणना की आवधिकता क्या होनी चाहिए।
  • 1948 की जनगणना अधिनियम:
  • जनगणना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के अंतर्गत जनगणना आयोजित की जाती है।
  • यह जनगणना से संबंधित कई गतिविधियों के लिए इसकी आवधिकता के बारे में कुछ भी उल्लेख किए बिना कानूनी पृष्ठभूमि प्रदान करता है।
  • इसमें कहा गया है, "केंद्र सरकार जनगणना करने के अपने इरादे की घोषणा कर सकती है, जब भी वह ऐसा करना आवश्यक या वांछनीय समझती है, और उसके बाद जनगणना की जाएगी"।
  • यह प्रावधान कार्यपालिका को जनगणना कब आयोजित की जानी है, इसको लेकर निर्णय लेने का अधिकार सौंपता है।
  • प्रमुख विशेषताऐं
  • जनगणना 2021-22, 8वीं अनुसूची में शामिल 18 भाषाओँ के साथ ही अंग्रेजी भाषा में आयोजित की जाएगी।
  • लिंग श्रेणी के अंतर्गत "अन्य" का विकल्प बदलकर "तृतीय लिंग" कर दिया जाएगा ।
  • एक मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा एकत्र करने का प्रस्ताव हैI
  • जनसंख्या की जनगणना के दौरान एकत्र की गई जानकारी इतनी गोपनीय होती है कि यह कानून की अदालतों तक भी पहुंच योग्य नहीं होती है।

प्रवास

  • के बारे में
  • यह एक नए स्थान (देश के भीतर या बाहर) में स्थायी या अस्थायी रूप से बसने के इरादे से लोगों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाला मूवमेंट है।
  • प्रवासन के प्रकार
  • आंतरिक प्रवासन: किसी राज्य, देश या महाद्वीप के भीतर जाना।
  • बाहरी प्रवास: एक अलग राज्य, देश या महाद्वीप में जाना।
  • उत्प्रवास: एक देश को छोड़कर दूसरे देश में जाना।
  • आप्रवासन: एक नए देश में जाना।

डेल आय के निहितार्थ :

  • जिला जनसंख्या का गलत अनुमान
  • वर्तमान में, जनसांख्यिकीय, योजनाकारों और अन्य हितधारकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जिले की आबादी का अनुमान कैसे लगाया जाएI जिला सरकारी परियोजनाओं और योजनाओं को संचालित करने, योजना बनाने और क्रियान्वित करने के लिए बुनियादी प्रशासनिक इकाई है।
  • अद्यतन जनगणना डेटा के अभाव में, जनांकिकीय विशेषज्ञ अंतर -जनगणना या उत्तर- जनगणना अवधि के लिए पिछली जनगणना जानकारी का उपयोग करके जिला स्तर पर वार्षिक जनसंख्या गणना का अनुमान लगाते हैं।
  • जनसांख्यिकीय अभ्यास यथोचित उचित अनुमान देते हैं जब जनसंख्या अनुमान का वर्ष अधिकतम 10 वर्षों की सीमा के भीतर होता है ।
  • इस अवधि के बाद, अनुमान साबित गलत हो सकते हैं, विशेष रूप से जिला स्तर पर जनसंख्या घटकों के गतिशील पैटर्न के कारण, जिनमें प्रजनन क्षमता, मृत्यु दर और प्रवासन शामिल हैं।
  • इसलिए 2021 के बाद की अवधि के लिए 2001-2011 की विकास दर का उपयोग एक मॉडल की तुलना में एक धारणा-आधारित मॉडल बन जाता है जो अनुभवजन्य वास्तविकता को दर्शाता है।
  • चूंकि कई राज्यों (और जिलों) में जन्म और मृत्यु के आंकड़ों की पूरी संख्या के साथ एक पूर्ण नागरिक पंजीकरण प्रणाली का अभाव है , इसलिए जनसांख्यिकीविदों को जिला स्तर पर जनसंख्या की गणना प्रदान करने में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • उपरोक्त कारणों से, कई उदाहरणों में, अनुमान वास्तविक आंकड़े से बहुत दूर होते हैं।
  • सीटों का आरक्षण
  • जनगणना के आंकड़ों का उपयोग संसद, राज्य विधानसभाओं, स्थानीय निकायों और सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  • पंचायतों और नगर निकायों के मामले में , अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण जनसंख्या में उनके अनुपात पर आधारित है ।
  • जनगणना के अलावा कोई अन्य स्रोत नहीं है जो यह जानकारी प्रदान कर सके।
  • कई कस्बों और यहां तक कि पंचायतों में, जहां पिछले दशक में अनुसूचित जातियों /जनजातियों की आबादी की संरचना में तेजी से बदलाव देखा गया है, इसका मतलब यह होगा कि या तो इनके लिए आरक्षित सीटों की संख्या बहुत अधिक होगी या बहुत I
  • अपर्याप्त प्रवासन डेटा
  • जनगणना में एकत्र किए गए प्रवासन डेटा का आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक सद्भाव के लिए बहुत प्रभाव पड़ता है।
  • जैसे-जैसे भारत आर्थिक रूप से प्रगति कर रहा है, वैसे-वैसे देश के भीतर, राज्यों के भीतर और देश के बाहर प्रवासन का स्वरूप अभूतपूर्व तरीकों से बदल रहा है।
  • वर्तमान दशक में भारत में प्रवासन पैटर्न 2001 और 2011 की जनगणना के आंकड़ों से बहुत अलग है ।
  • इसलिए, जनगणना के आंकड़ों के अभाव में, भारत में प्रवासन के बारे में निष्कर्ष निकालना मुश्किल है ।
  • कई धर्मों और भाषाओं का अस्तित्व
  • जनगणना क्षेत्रों, वर्गों, पंथों, धर्मों, भाषाओं, जातियों, वैवाहिक स्थिति, अलग-अलग आबादी, व्यवसाय पैटर्न आदि में सभी की गणना करती है।
  • असंख्य धर्मों और भाषाओं के अस्तित्व के साथ-साथ ऐसे समुदायों के विस्तार या विलुप्त होने के बारे में आंकड़े, जनगणना के माध्यम से ही जाने जा संकेगे।
  • महामारी का प्रभाव:
  • महामारी के कारण वयस्कों और वृद्धों में बच्चों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक मौतें हुईं हैं।
  • गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में आयु वितरण पर इसका प्रभाव देखना दिलचस्प होगा क्योंकि यह मौतों की संख्या का अप्रत्यक्ष अनुमान प्रदान करेगा ।
  • यह महामारी के कारण होने वाली मौतों की संख्या के विभिन्न अनुमानों को या तो मान्य करेगा या अस्वीकार करेगा।

आगे की राह :

  • जनगणना के कार्यों को आसान बनाने और अभ्यास की निष्पक्षता, चुनावी रिकॉर्ड की बेहतर जांच और कल्याणकारी योजनाओं में विश्वास पैदा करने की आवश्यकता है।
  • जनसंख्या की गणना करना एक बहुत बड़ा कार्य है। इसलिए इसे व्यवस्थित करने के लिए सरकारी तंत्र की पूरी भागीदारी आवश्यक है।
  • राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर एक नियमित जनगणना भारत के लिए गर्व का विषय रही है।
  • इसे तब तक जारी रखना होगा जब तक कि भारत एक पूर्ण-प्रमाण नागरिक पंजीकरण प्रणाली और एक गतिशील राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर प्राप्त नहीं कर लेता।

निष्कर्ष:

  • जनगणना को स्थगित करना,भारत के लिए तत्काल और दीर्घकालिक नकारात्मक परिणाम हैं।
  • इसलिए सरकार को जनगणना कराने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए ।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

  • सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1: जनसंख्या, प्रवासन और संबंधित मुद्दे और उपचार।
  • सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे; भूख और गरीबी से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • "सटीक जनसंख्या डेटा के अभाव में कल्याणकारी योजनाएँ लड़खड़ा जाएँगी"। कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (150 शब्द)