रामसर स्थलों की सुरक्षा में विफल रहने पर केरल सरकार पर एनजीटी ने लगाया जुर्माना - समसामयिकी लेख

   

कीवर्ड : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स, मॉन्ट्रो रिकॉर्ड, रामसर साइट्स, सतत उपयोग, संरक्षण प्रयास, विश्वसनीयता, पारिस्थितिक चरित्र, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील वेटलैंड्स।

संदर्भ :

  • हाल ही में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ ने रामसर साइट्स के रूप में सूचीबद्ध वेम्बनाड और अष्टमुडी झीलों में बढ़ रहे प्रदूषण की जांच करने में विफल रहने के लिए केरल सरकार पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

मुख्य विचार:

  • 1971 में, ईरान के रामसर में आयोजित वेटलैंड्स पर यूनेस्को के सम्मेलन के अनुसार-‘ रामसर स्थल अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियाँ हैं’।
  • ऐसा कहा जाता है कि यह प्रमाणन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील आर्द्रभूमि को चिन्हित कर उनके संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।

एनजीटी अवलोकन और आदेश:

  • खंडपीठ ने कहा है कि 'प्रदूषक भुगतान सिद्धांत' के आधार पर लगाया गया जुर्माना मुख्य सचिव के अधिकार के तहत संचालित होने वाले रिंग-फेंस खाते में जमा किया जायेगा।
  • छह महीने के भीतर अधिमानतः क्रियान्वित की जाने वाली कार्य योजना तैयार करके संरक्षण/पुनर्स्थापना उपायों के लिए ₹10 करोड़ की जुर्माने की राशि का उपयोग किया जाना था।
  • मुख्य सचिव दोषी अधिकारियों/ विभागों / उद्योगों / व्यक्तियों से उचित तंत्र द्वारा कानून के अनुसार राशि एकत्र करने और दोषी अधिकारियों को उचित रूप से विभागीय रूप से या अभियोजन के माध्यम से जवाबदेह ठहराने और अन्य संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे । प्रदूषण के लिए उत्तरदायीं रेलवे, स्थानीय निकाय और उद्योग पर तीन महीने के भीतर कार्यवाही करनी होगी।
  • खंडपीठ ने यह भी कहा कि राज्य प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, इस तरह के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के बाध्यकारी आदेशों के बावजूद, आर्द्रभूमियों ( जो कि रामसर स्थल हैं ) की सुरक्षा के अनिवार्य कर्तव्य को सुनिश्चित करने में निराशाजनक स्थिति को दर्शाती है।
  • राज्य स्तर पर की गई कार्रवाई भी स्थिति को सुधारने के लिए अपर्याप्त थी।
  • बेंच ने यह भी कहा है कि राज्य नागरिकों के गारंटीकृत अधिकारों को लागू करने और पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने में भी लाचारी की दलील नहीं दे सकता है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी )

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी ) पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण से संबंधित मामलों को संभालने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 के तहत 2010 में भारत में स्थापित एक विशेष न्यायिक निकाय है।
  • एनजीटी का मुख्यालय नई दिल्ली में है और भारत भर के कई शहरों में इसकी क्षेत्रीय बेंचें हैं।
  • ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष और कई न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते हैं , जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • एनजीटी के पास पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के उद्देश्य से कानूनों के कार्यान्वयन से उत्पन्न पर्यावरणीय मुद्दों और विवादों से संबंधित सभी नागरिक मामलों को सुनने की
    शक्ति है।
  • इसके पास संबंधित कानूनों के तहत किसी नियामक प्राधिकरण द्वारा किए गए किसी भी आदेश या निर्णय के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार है।
  • एनजीटी को ऐसे व्यक्तियों, उद्योगों, या सरकारी एजेंसियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है जो पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करते हैं या इसके आदेशों का पालन करने में विफल रहते हैं।

सरकार द्वारा किए गए प्रयास:

  • पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें सरकार द्वारा किए गए निम्नलिखित प्रयासों के बारें में चर्चा की गयी थी-
  • स्थानीय निकायों द्वारा फ्लैट, प्रतिष्ठान, होटल, रिसॉर्ट्स, हाउसबोट्स और औद्योगिक इकाइयों के मालिकों को अनुपचारित अपशिष्ट जल को जल निकायों में डंप करने के लिए 1,176 नोटिस जारी किए गए थे।
  • झीलों की ओर जाने वाली नहरों/नालों में कुल 1,939 अवैध आउटलेट बंद कर दिए गए थे।
  • उल्लंघन करने वालों पर कुल ₹1.7 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था।

रामसर कन्वेंशन और साइट्स

  • के बारे में
  • रामसर कन्वेंशन, जो 1971 में ईरान में अस्तित्व में आया था , जो एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमानी से उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करती है।
  • वेटलैंड्स
  • रामसर कन्वेंशन वेटलैंड्स को "मार्श, फेन, पीट भूमि या पानी के क्षेत्रों के रूप में परिभाषित करता है , चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम, स्थायी हो या अस्थायी हो, स्थिर जल में हो या प्रवाहित ताजे, खारे या नमकीन, समुद्री पानी के क्षेत्रों सहित गहराई वाले जल में, जिनमें से कम ज्वार पर जल की गहराई छह मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • भारत सरकार की आर्द्रभूमि की परिभाषा में नदी चैनल, धान के खेत और अन्य क्षेत्र शामिल नहीं हैं जहाँ वाणिज्यिक गतिविधि होती है।
  • मॉन्ट्रो रिकॉर्ड
  • मॉन्ट्रो रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची पर आर्द्रभूमि स्थलों का एक  रजिस्टर है जहाँ पारिस्थितिक चरित्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं, या तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप होने की संभावना है।
  • इसे रामसर सूची के हिस्से के रूप में बनाए रखा गया है।
  • वर्तमान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान और लोकटक झील, मणिपुर इसके अंतर्गत सूचीबद्ध दो भारतीय स्थल हैं।

आगे की राह :

  • समय पर उपचारात्मक कार्रवाई
  • वैधानिक और प्रशासनिक अधिकारियों को अवैध अपशिष्ट डंपिंग से प्रभावित वेम्बनाड और अष्टमुडी झीलों की सुरक्षा के लिए उपचारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए ।
  • जन जागरूकता और भागीदारी को बढ़ाना
  • जागरूकता अभियान चलाना, अपशिष्ट पृथक्करण और पुनर्चक्रण के लिए शिक्षा और प्रोत्साहन प्रदान करना, साझेदारी और नागरिक समूहों के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों में नागरिकों को शामिल करना और उन्हें कूड़ेदान और डंपिंग के लिए उत्तरदायी बनाना।
  • कानूनी और नियामक ढांचे और प्रवर्तन को मजबूत करना
  • आर्द्रभूमि प्रबंधन कानूनों को सरल और समेकित करना, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना , स्थानीय निकायों और समुदाय-आधारित संगठनों को सशक्त बनाना, एक मजबूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली बनाना और गैर-अनुपालन के लिए सख्त दंड लगाना।

निष्कर्ष:

  • आर्द्रभूमि प्रबंधन एक महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दा है जिसके लिए चुनौतियों से पार पाने और स्थायी परिणाम प्राप्त करने के लिए बहुआयामी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।

स्रोत- द हिंदू

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3:
  • पर्यावरण, जैव विविधता और इसका संरक्षण; अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • रामसर स्थलों की सुरक्षा में विफलता के लिए, केरल सरकार पर ₹10 करोड़ का जुर्माना लगाने के निर्णय ने भारत में आर्द्रभूमि प्रबंधन के मुद्दे को उजागर कर दिया है। राज्यों के सामने अपनी भूमि के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और इस समस्या के संभावित समाधान सुझाइए। (250 शब्द)