थर्मल प्लांट्स में बायोमास दहन को बढ़ाने की आवश्यकता - समसामयिकी लेख

   

कीवर्ड : बायोमास सह- प्रज्वलन नीति, कृषि-अवशेष, बायोमास पेलेट्स , कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन, वायु प्रदूषण, समर्थ मिशन, सरकारी ई-मार्केटप्लेस, प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल ), गोली खरीद के लिए मॉडल अनुबंध दस्तावेज़, ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

चर्चा में क्यों?

  • भारत ने महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा के लिए लक्ष्य निर्धारित किया हैं और बिजली क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
  • बायोमास को- फायरिंग (सह- प्रज्वलन) नीति ऐसा ही एक कदम है , जो ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले के साथ ईंधन स्रोत के रूप में बायोमास का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है ।
  • इसके संभावित लाभों के बावजूद, नीति को अभी तक व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है ।

बायोमास को-फायरिंग पॉलिसी (सह- प्रज्वलन नीति) :

  • ऊर्जा मंत्रालय ने 8 अक्टूबर, 2021 को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास उपयोग पर एक संशोधित नीति जारी की।
  • यह नीति इस नीति के जारी होने की तारीख से एक वर्ष के प्रभाव से थर्मल पावर प्लांटों में कोयले के साथ-साथ मुख्य रूप से कृषि-अवशेषों से बने 5% बायोमास पेलेट्स के उपयोग को अनिवार्य करती है ।
  • इस नीति के अनुसार, ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास पेलेट का उपयोग करने की बाध्यता इस नीति के जारी होने की तिथि के दो वर्ष बाद से बढ़कर 7% हो जाएगी ।

अब तक की प्रगति:

  • अब तक 42 थर्मल पावर स्टेशनों में लगभग 1 लाख टन बायोमास जलाया जा चुका है।
  • थर्मल पावर प्लांटों की सुविधा के लिए मिशन ने पहले ही को-फायरिंग (सह- प्रज्वलन ) के लिए मानक संचालन प्रक्रिया और पेलेट खरीद के लिए मॉडल अनुबंध दस्तावेज़ प्रकाशित किया है।
  • मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए पेलेट निर्माण क्षेत्र को भी प्रोत्साहित किया जा रहा हैI
  • एमएनआरई और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से बायोमास पेलेट निर्माण इकाइयों के लिए समर्पित वित्तीय सहायता योजनाएं हैं, साथ ही बैंकों से आसानी से वित्त विकल्प उपलब्ध हैं।

बायोमास को-फायरिंग पॉलिसी ( सह- प्रज्वलन नीति ) के लाभ:

  • कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन:
  • बायोमास को-फायरिंग ( सह- प्रज्वलन ) बिजली संयंत्रों से कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन को कम करता है।
  • कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में कोयले से बायोमास पर स्विच करने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 38 मिलियन टन की कमी आ सकती है।
  • भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता का समर्थन:
  • 2030 तक 45% उत्सर्जन में कमी की वैश्विक प्रतिबद्धता हासिल करने में भी सहायक हो सकता है ।
  • रोजगार के अवसर:
  • ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग से बायोमास विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं।
  • कोयले की खपत में कमी:
  • कोयले के साथ बायोमास जलाने से कोयले की खपत कम होती है।
  • आयातित कोयले की तुलना में बायोमास का उपयोग अभी भी एक सस्ता विकल्प है और इसलिए सभी ताप विद्युत संयंत्रों के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प है।
  • यह आयातित कोयले पर भारत की निर्भरता को कम करने में भी सहायता कर सकता है।
  • हरित बिजली:
  • ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग से हरित बिजली का उत्पादन होता है।
  • वायु प्रदूषण:
  • कोयले के साथ बायोमास को जलाने से बिजली संयंत्रों से वायु प्रदूषण कम होता है।
  • अधिशेष बायोमास उपयोग:
  • बायोमास को-फायरिंग (सह- प्रज्वलन ) अधिशेष बायोमास के उपयोग में सहायता करेगा, जो जल जाता है, सड़ जाता है, या डंप हो जाता है।
  • अक्षय ईंधन स्रोत:
  • हाल ही में अधिसूचित ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 निर्दिष्ट करता है कि सभी ताप विद्युत संयंत्रों को ऊर्जा या फीडस्टॉक के रूप में नवीकरणीय ईंधन स्रोतों का उपयोग करना होगा।

समस्याएँ:

  • आपूर्ति के मुद्दे
  • निरंतरता :
  • बायोमास की स्थिर और लगातार आपूर्ति को लेकर बिजली संयंत्र प्रबंधकों के बीच चिंताएं हैं।
  • बदलती उपलब्धता और गुणवत्ता:
  • बायोमास की उपलब्धता और गुणवत्ता भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है। जबकि कुछ क्षेत्रों में बायोमास की प्रचुरता है, अन्य में कमी का सामना करना पड़ता है।
  • बायोमास की गुणवत्ता भी भिन्न होती है, जो इसकी दहन दक्षता और उत्सर्जन को प्रभावित कर सकती है।
  • इसलिए, बिजली संयंत्रों को उच्च गुणवत्ता वाले बायोमास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • भंडारण:
  • बायोमास पेलेट्स को विस्तारित अवधि के लिए संयंत्र स्थानों पर संग्रहीत करना मुश्किल होता है क्योंकि वे जल्दी से हवा से नमी एकत्र करते हैं , जिससे वे सह-फायरिंग के लिए अनुपयोगी हो जाते हैं।

  • 13-14 प्रतिशत से कम नमी वाली सामग्री वाले पेलेट्स को जलाया जा सकता है।

  • रसद चुनौतियों:
  • बायोमास का परिवहन और भंडारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है।
  • इसके लिए विशेष उपकरणों और सुविधाओं की आवश्यकता होती है, जो बायोमास को-फायरिंग की लागत को बढ़ा सकते हैं।
  • इसके लिए बुनियादी ढांचे और रसद के निर्माण की आवश्यकता है ताकि बायोमास को स्थानांतरित किया जा सके और अधिक कुशलता से संग्रहीत किया जा सके।
  • प्रौद्योगिकी और उपकरण:
  • बायोमास को-फायरिंग (सह- प्रज्वलन ) के लिए विशेष उपकरणों जैसे बायोमास ग्राइंडर, कन्वेयर और स्टोरेज सिस्टम की आवश्यकता होती हैI बायोमास को-फायरिंग को सक्षम करने के लिए बिजली संयंत्रों को रेट्रोफिट करने की आवश्यकता है ।
  • बायोमास को-फायरिंग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी और उपकरणों को विकसित और तैनात करने की आवश्यकता है।

सरकारी पहल:

  • प्राथमिकता क्षेत्र:
  • सरकार ने अब आरबीआई के प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल ) दिशा-निर्देशों के तहत बायोमास पेलेट मैन्युफैक्चरिंग की पहचान की है।
  • खरीद:
  • ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा बायोमास पेलेट्स को सरकारी ई-मार्केटप्लेस के माध्यम से भी खरीदा जा सकता है।
  • नियामक बाधाएं:
  • एनएसडब्ल्यूएस के माध्यम से स्टैच्यूरी क्लीयरेंस के लिए सिंगल विंडो क्लिरेंस प्रदान करने से संबंधित I
  • बायोमास पेलेट्स के मूल्य आश्वासन/बेंचमार्किंग के लिए एक कार्यप्रणाली पर काम करने से संबंधित ।
  • समर्थ मिशन:
  • समर्थ मिशन ने को-फायरिंग स्तरों को बढ़ाने और बायोमास पेलेट्स की आपूर्ति श्रृंखला में सुधार लाने के उद्देश्य से, प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है ।

एक मजबूत नियामक ढांचे का निर्माण

  • एक मजबूत नियामक ढांचा समय की आवश्यकता है जो बायोमास को-फायरिंग के लिए प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करता है जिसे बायोमास को-फायरिंग नीति के लिए आधार निर्धारित करना चाहिए।
  • समान मूल्य निर्धारण और वितरण सुनिश्चित करने के लिए बायोमास के लिए एक विशिष्ट, प्रतिस्पर्धी बाजार मौजूद होना चाहिए।
  • सरकार ने अपनी ओर से मिशन के तहत पांच कार्यकारी समूहों का गठन किया है और ये अंतर-मंत्रालयी हैं।

निष्कर्ष:

  • बायोमास सह- प्रज्वलन नीति भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • बायोमास सह- प्रज्वलन ( को- फायरिंग ) नीति को एक मजबूत नीति और नियामक ढांचे द्वारा समर्थित होने की आवश्यकता है जो बायोमास सह- प्रज्वलन ( को-फायरिंग ) के लिए प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करता है।
  • कीमतों और वितरण को सुनिश्चित करने के लिए बायोमास के लिए एक स्पष्ट, प्रतिस्पर्धी बाजार होना चाहिए ।

स्रोत: द हिंदू बीएल

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3:
  • अवसंरचना: ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण, और निम्नीकरण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत में बायोमास को- फायरिंग (सह- प्रज्वलन) नीति की क्षमता का विश्लेषण कीजिये। नीति के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है?