संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय जीत के मायने - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


 संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय जीत के मायने - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस  परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


चर्चा का कारण

  • हाल ही में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थाई सदस्य चुना गया है।
  • महत्वपूर्ण बिन्दु

    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्य के रूप में भारत का चुनाव दो वर्षों (वर्ष 2021-22 के बीच) के लिए हुआ है।
    • 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 75वें सत्र के लिए अध्यक्ष, सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों और आर्थिक व सामाजिक परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव कराया था।
    • गौरतलब है कि भारत को पहली बार 1950 में अस्थाई सदस्य के रूप में चुना गया था और अब आठवीं बार यह जिम्मेदारी मिली है।

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

    • प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) तक विश्व में सामूहिक सुरक्षा का सिद्धांत नहीं था। प्रत्येक देश को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होती थी। स्वयं से सुरक्षा के कई नुकसान थे-
    • देशों के बीच हथियारों की होड़ लगी रहती थी।
    • आपस में सभी एक-दूसरे पर शक करते थे, इससे युद्ध की संभावना बनी रहती थी।
    • प्रथम विश्व युद्ध की भारी तबाही को देखते हुए लीग ऑफ नेशन्स (राष्ट्र संघ) का सिद्धांत आया, लेकिन लीग ऑफ नेशन्स व्यवहारिक तौर पर कार्य नहीं कर पायी और दुनिया को द्वितीय विश्व युद्ध का दंश सहना पड़ा।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सामूहिक सुरक्षा की प्रबल रूप से आवश्यकता महसूस की गयी। सन् 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) का निर्माण हुआ।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी), संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है जो इससे संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों को लेता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यूएनएससी, संयुक्त राष्ट्र संघ का नाभिक (Nucleus) है।
    • अगर यूएनएससी के कार्य प्रभावित होते हैं तो संयुक्त राष्ट्र संघ के भी कार्य गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि यूएनएससी में सुधारों की बात की जाती है ताकि संयुक्त राष्ट्र जैसी महत्वपूर्ण बहुपक्षीय संस्था प्रासंगिक बनी रहे।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को महान शक्ति क्लब (Great Power Club) भी कहा जाता है।

    यूएनएससी से संबंधित चार्टर में प्रावधान

    • संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के 7वें चेप्टर में सामूहिक सुरक्षा से संबंधित प्रावधान वर्णित हैं।
    • चार्टर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को वैश्विक शांति स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गयी है।
    • चार्टर के अनुच्छेद 40 में कहा गया है कि दो या दो से अधिक देशों में संघर्ष/युद्ध की स्थिति में यूएनएससी अनंतिम उपायों (Provisional measures) अर्थात् सीजफायर, मध्यस्थता आदि का फैसला ले सकती है।
    • चार्टर के अनुच्छेद 41 में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संघर्ष या युद्ध की स्थिति में किसी देश के विरुद्ध दंडात्मक उपायों (Punitive measures) अर्थात् प्रतिबंधों को अमल में ला सकती है।
    • संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 42 में कहा गया है कि यूएनएससी आक्रमणकारी देश के विरुद्ध सैन्य बल का भी प्रयोग कर सकती है। इसके लिए सैन्य स्टॉफ समिति (Military Staff Committee) के गठन की भी बात की गयी है।
    • सैन्य स्टॉफ समिति, संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों से सैन्य संसाधनों को एकत्र करके त्वरित कार्यवाई को सुनिश्चित करती है। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के निर्माण के बाद से अब तक सैन्य स्टॉफ समिति का गठन नहीं हुआ है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपना सही से कार्य नहीं कर पायी है।

    यूएनएससी में सुधार

    • यूएनएससी में सुधारों की माँग काफी पुरानी है जिसे दुनिया के ज्यादातर देश विभिन्न तरीकों से उठाते हैं।
    • जब यूएनओ का गठन हुआ था तो इसमें सदस्यों की संख्या मात्र 51 थी और यूएनएससी में 11 सदस्य (पाँच स्थाई और 6 अस्थाई) थे। सन् 1963 तक आते-आते यूएनओ में सदस्य देशों की संख्या 113 तक पहुँच गयी, अतः यूएनएससी में सदस्यों की संख्या भी बढ़ाकर 15 (5 स्थाई और 10 अस्थाई) कर दी गयी। लेकिन 1963 से लेकर आज तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों की संख्या (स्थाई एवं अस्थाई दोनों) में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है जबकि वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्य देशों की संख्या 193 तक पहुँच गयी है। इसलिए यूएनओ की व्यापकता को देखते हुए यूएनएससी में भी विस्तार की माँग की जाती है ताकि यूएनओ के कार्य सुचारू रूप से चल सकें।
    • अभी यूएनएससी में स्थाई सदस्य देशों का क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व भी सही नहीं है। जहाँ एक तरफ यूरोप महाद्वीप का यूएनएससी की स्थाई सदस्यता में आधिक्य प्रतिनिधित्व (Our representation) है (क्योंकि यूके, फ्रांस और रूस की यूएनएससी में स्थाई सदस्यता है) तो वहीं दूसरी तरफ अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका आदि महाद्वीपों से एक भी देश स्थाई सदस्य नहीं है।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जो स्थाई सदस्य हैं, उनमें लगभग सभी विकसित देश हैं। विकासशील एवं गरीब देशों का यूएनएससी में स्थाई प्रतिनिधित्व न के बराबर है। जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकतर गतिविधियाँ इन्हीं देशों में होती हैं।

    यूएनएससी में स्थाई सदस्यता के लाभ

    • यूएनएससी में स्थाई सदस्यों के पास वीटो शक्ति है। इसलिए यूएनएससी से ऐसा कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं हो पाता है, जो स्थाई सदस्य के हितों के विरुद्ध हो। इस प्रकार स्थाई सदस्यता द्वारा कोई देश अपने राष्ट्रीय हितों को और अधिक सही ढंग से साध सकता है।
    • यूएनएससी के स्थाई सदस्य की संयुक्त राष्ट्र संघ की सभी संस्थाओं में सदस्यता होती है।
    • यूएनएससी के स्थाई सदस्य की वैश्विक प्रतिष्ठा अपेक्षाकृत बेहतर होती है।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सब्स्टेन्सिव मामले तब तक पारित नहीं होते हैं जब तक सभी स्थाई सदस्यों की सहमति प्राप्त न हो जाये।
    • यूएनएससी में कौन मामला सब्सटेन्सिव होगा और कौन सा प्रक्रियात्मक (procedural) यह भी स्थाई सदस्य ही निर्धारित करते हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो तरह के मामले होते हैं- प्रक्रियात्मक और मौलिक। प्रक्रियात्मक मामले तब पारित होते हैं जब यूएनएससी के 15 सदस्यों में से 9 सदस्य (स्थाई एवं अस्थाई दोनों मिलाकर) अपनी सहमति दे दें। लेकिन मौलिक मामले तब पारित हो पाते हैं जब 15 सदस्यों में 9 सदस्य अपनी सहमति दें। विदित हो कि और 9 में पाँचों स्थाई सदस्यों की अनुमति अनिवार्य है।

    यूएनएससी में सुधारों से संबंधित ग्रुप

    • यूएनएससी में सुधारों की माँग उठाने हेतु विभिन्न देशों ने कुछ ग्रुप बना रखे हैं, यथा-जी-4, काफी क्लब, अफ्रीकी संघ, एल-69 ग्रुप, अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी)।
    • जी-4 ग्रुप में ब्राजील, भारत, जापान और जर्मनी शामिल हैं। यूएनएससी में ये देश अपनी-अपनी स्थाई सदस्यता निर्धारित करने हेतु एक साथ आये हैं।
    • जी-4 ग्रुप के विरुद्ध कॉफी क्लब (Coffee club) का निर्माण हुआ है। इसमें लगभग 42 विकासशील देश शामिल हैं, जिसमें प्रमुख इटली, पाकिस्तान, अर्जेण्टीना आदि हैं। इस ग्रुप का कहना है कि जी-4 ग्रुप के देशों को यूएनएससी में सदस्यता न दी जाये क्योंकि वो क्षेत्रीय नेतृत्व नहीं करते हैं। काफी क्लब यह भी कहता है कि यदि यूएनएससी में किसी भी प्रकार के सुधार लाये जायें तो उसमें सर्वसहमति होनी चाहिए।
    • अफ्रीकी संघ 53 अफ्रीकी देशों का संघ है जो यह कहता है कि यूएनएससी में अफ्रीका महाद्वीप से कम से कम दो देशों को स्थाई सदस्यता प्राप्त होनी चाहिए।

    निष्कर्ष

    • आज जब पूरा विश्व अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियों (यथा-कोरोना वायरस, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, शरणार्थी समस्या आदि) से जूझ रहा है तब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी महत्वपूर्ण संस्था में सुधार अति आवश्यक हो जाते हैं ताकि इन चुनौतियों का आसानी से सामना किया जा सके।

    सामान्य अध्ययन पेपर-2

    • द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/ अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
    • महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच-उनकी संरचना, अधिदेश।

    मुख्य परीक्षा प्रश्न :

    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के बारे में संक्षिप्त विवरण देते हुए बताएँ कि इस संस्था में किस प्रकार के सुधार अपेक्षित हैं?