भारतीय रेलवे की बदलती तस्वीर - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


भारतीय रेलवे की बदलती तस्वीर - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस  परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


चर्चा में क्यों :-

  • भारतीय रेल मंत्रालय द्वारा 151 यात्री ट्रेनों के संचालन हेतु निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया गया है। ये ट्रेने 109 रुट्स पर चलेंगी। भारतीय रेल मंत्रालय ने को इस परियोजना से रेलवे में लगभग 300 बिलीयन रुपये के निवेश का अनुमान है। यह भारतीय रेलवे में यात्री ट्रेनों के संचालन हेतु निजी क्षेत्र का पहली बार प्रवेश है। इस परियोजना में ट्रेनों के संचालन , वित्तीयन तथा मैंटीनैंस का दायित्व निजी क्षेत्रकों का होगा जबकि ट्रेनों के चलन हेतु आवश्यक बुनियादी ढांचा सरकार प्रदान करेगी।

पृष्ठभूमि

  • 2014 में प्रमुख रेल परियोजनाओं के लिये संसाधन जुटाने और रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन हेतु गठित बिबेक देबरॉय समिति ने इस दिशा में निम्न सिफारिशें की थी-
  • बिबेक देबरॉय समिति ने भारतीय रेल के निजीकरण की सिफारिश नहीं की है, लेकिन कहा है कि रेल परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी होनी चाहिए।
  • रेलवे के बुनियादी ढाँचे के लिये एक अलग कंपनी बनाते हुए रेल के डिब्बों तथा इंजन के निर्माण का निजीकरण किया जाना चाहिये
  • भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन को निजी क्षेत्र के लिये खोला जाना चाहिये और माल और यात्री गाड़ियों को चलाने के लिये निजी क्षेत्र को अनुमति दी जानी चाहिये।

निजी क्षेत्र द्वारा यात्री ट्रेनों के संचालन की प्रासंगिकता मांग एवं आपूर्ति की विषमता का संतुलन :-

  • इंडियन रेलवे -लाइफलाइन ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट के अनुसार 1951 से 2015 के मध्य जहाँ यात्री संख्या में 1642% की बढ़ोत्तरी , मालवहन में 1344 % की बढ़ोत्तरी हुई वहीँ बुनियादी ढांचा में अर्थात रुट्स में मात्र 23 % की बढ़ोत्तरी हुई। अतः निश्चित तौर पर यह यात्रियों द्वारा की जाने वाली मांग तथा रेलवे द्वारा आपूर्ति में विषमता उत्पन्न होगी। इस विषमता को कम करने हेतु यह एक बेहतर प्रयास हो सकता है।

प्रतिस्पर्धा में बढ़ोत्तरी :-

  • रेलवे के अतिरिक्त अन्य सभी यातायात के साधन यथा सड़क परिवहन , वायु परिवहन या पोर्ट सभी में निजी क्षेत्रक हैं इसके साथ साथ रेलवे के अधिकारी भी एकक्षत्र व्यवस्था के कारण जन सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रहे थे। इस कदम के साथ रेलवे की अन्य यातायात साधनो तथा आंतरिक रेलवे में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जो जनता को चुनने का अधिकार/विकल्प देगी। निस्संदेह इससे सेवा का स्तर व गुणवत्ता दोनों में बढ़ोत्तरी होगी।

वैश्विक स्थिति :-

  • कई विकसित देश यथा अमेरिका , ब्रिटेन , जापान में यह प्रयोग चलन में है तथा इसके परिणाम उत्तरोत्तर बेहतर हो रहे हैं। यह कदम आधुनिक वैश्विक व्यवस्था तथा एलपीजी सुधारों की व्यवस्था के अनुरूप है।

रेल दुर्घटनाओं में कमी

  • देश में ट्रेन दुर्घटनाओं की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि ट्रेन दुर्घटनाओं का सबसे मुख्य कारण रखरखाव की कमी है। अतः कई विशेषज्ञ यह मानते है कि इन दुर्घटनाओं पर रोक लगाने हेतु निजी क्षेत्र को प्रवेश की अनुमति देना आवश्यक है।

अन्य लाभ :-

  • यह कदम भारतीय रेलवे में निवेश , नवीन तकनीकी , नवीन कार्य संचलन के तरीके को बढ़ावा देगा। इससे रोजगार बढ़ने की भी संभावनाएं हैं। अतः कहीं न कहीं यह भारतीय रेलवे में अतिरिक्त क्षमता को बढ़ावा देगा।

निजी क्षेत्र द्वारा यात्री ट्रेनों के संचालन उत्पन्न मुद्दे तथा संभावित समाधान

भारतीय जनता की आर्थिक स्थिति :-

  • निस्संदेह निजी क्षेत्रकों द्वारा प्रदान की गई सुविधा का मूल्य भी अधिक होगा इस परिस्थिति से दो मुख्य मुद्दे दृष्टिगोचर होते हैं -
  1. कि क्या भारतीय रेलवे की सामान्य बोगियों में यात्रा करने वाला यात्री महगी सुविधाओं का वहन करने में सक्षम होगा
  2. कि क्या भारतीय रेल द्वारा दिए गए सस्ते सफर को छोड़कर लोग निजी क्षेत्र की तरफ आकर्षित होंगे।
  • यह मुद्दा निश्चित ही ध्यान देने योग्य है परन्तु इसे जनता के चुनने के अधिकार पर छोड़ देना चाहिए। अब आईआरसीटीसी द्वारा भी महंगी मगर सुविधापूर्ण परिवहन सेवा ( उदाहरण तेजस ) चलवाई जा रही हैं। अतः जो जिस स्तर का सेवा प्राप्त करना चाहता है उसे उस स्तर का भुगतान करना होगा।

कौन होगा नियामक?

  • इस समय आईआरसीटीसी ही रेलवे का नीति निर्माण तथा ट्रेनों का संचालन हेतु उत्तरदायी है । निजी क्षेत्रकों के आने के उपरान्त यह एक प्रतिस्पर्धी भी होगा। अतः यह प्रश्न अवश्य उत्पन्न होगा कि क्या आईआरसीटीसी इन दोनों भूमिकाओं को ईमानदारी पूर्वक निभा सकेगा ?
  • यहाँ संभव है कि सरकार एक अलग नियामक को लेकर आये इस स्थिति में 2017 में प्रस्तावित रेलवे विकास प्राधिकरण की ओर देखा जा सकता है।

सरकार तथा निजी क्षेत्रकों के मध्य का सम्बन्ध कैसा होगा?

  • पहली बार यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्रकों का प्रवेश हो रहा है अतः इस सार्वजनिक तथा निजी भागीदारी का आधार क्या होगा यह एक आवश्यक प्रश्न है।
  • यह सत्य है कि यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्रकों का प्रवेश पहली बार हो रहा है परन्तु मालवाहन , बुनियादी ढांचा निर्माण इत्यादि में कई बार रेलवे निजी क्षेत्रकों के साथ कार्य कर चुकी है। कोच्चि रेलवे , अथवा मेट्रो ट्रेनों के निर्माण में ऐसा कई बार देखा जा चूका है। इस मामले में सरकार ने स्पष्ट किया है निजी क्षेत्रक मात्र 151 ट्रेनों के संचलन , मैंटीनैंस, तथा वित्तीयन का ध्यान देंगे जबकि बुनियादी ढांचा उन्हें सरकार द्वारा प्रदान होगा। इससे सरकार को लगभग 300 बिलियन रुपये के निवेश का अनुमान है।

निष्कर्ष :-

  • यहाँ इस भ्रान्ति से निकलना आवश्यक है कि यह कदम रेलवे के निजीकरण हेतु नहीं लिया जा रहा है बल्कि यह रेलवे की परिसम्पत्तियों का अधिकतम उपयोग करने के उदेश्य से किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत की आवश्यकताओं की पूर्ती हेतु आवश्यक है कि इस प्रकार की सम्पत्तियों का अधिकतम मौद्रीकरण किया जाये। अभी मात्र 5 % ट्रेनों के संचालन से कुछ अधिक व्यवस्था परिवर्तन के आसार तो नहीं दिख रहे परन्तु अब सरकार को बुनियादी ढांचा , रेलवे की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है। संभव है कि कालांतर में यह कदम रेलवे की उन्नति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
मुख्य परीक्षा प्रश्न :
  • हाल ही में भारतीय रेल मंत्रालय ने यात्री संचलन हेतु निजी क्षेत्रको को आमंत्रित किया है ? इस कदम के संभावित निहितार्थो पर चर्चा करें ?