चीनी उत्पादों पर ब्लैंकेट बैन: भारत के लिए कितना उपयुक्त - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


चीनी उत्पादों पर ब्लैंकेट बैन: भारत के लिए कितना उपयुक्त - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस  परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


चर्चा का कारण

  • 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर युद्ध जैसे हालात बन गए थे। इसे लेकर देश की जनता में काफी रोष है और लोग मांग कर रहे हैं कि भारत में चीन से आयातित/निर्मित सामानों का बहिष्कार कर चीन को सबक सिखाना चाहिए।

भारत और चीन के बीच व्यापार

  • अमेरिका के बाद चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार है। साल 2019-20 के दौरान भारत और चीन के बीच 5.50 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, जो कि भारत-अमेरिका के बीच 5.85 लाख करोड़ रुपये के व्यापार से सिर्फ थोड़ा ही कम है। भारत के कुल व्यापार में चीन की हिस्सेदारी करीब 11 फीसदी है।
  • वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-फरवरी) के दौरान चीन से कुल 4.40 लाख करोड़ रुपये का आयात किया। इस बीच सभी देशों को मिलाकर भारत का कुल आयात 31.23 लाख करोड़ रुपये का रहा है। इस तरह भारत के आयात में चीन कि हिस्सेदारी सर्वाधिक 14.08 फीसदी है।
  • वहीं इससे पिछले साल 2018-19 में भारत ने चीन से 4.92 लाख करोड़ रुपये का सामान खरीदा था। इस साल कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 13.68 फीसदी थी।
  • भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-फरवरी) के दौरान कुल 20.58 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया और चीन को 1.09 लाख करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया है। इस तरह चीन के साथ भारत का व्यापार अंतर या घाटा 3.31 लाख करोड़ रुपये का है।
  • चीन के सामानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वालों की प्रमुख वजहों में से एक व्यापार घाटा है। आमतौर पर ये समझा जाता है कि व्यापार घाटा अच्छी चीज नहीं है और इससे घरेलू अर्थव्यवस्था कमजोर होती है। हालांकि यदि हम तथ्यों पर गौर करते हैं तो ये बात सही नहीं प्रतीत होती है।

भारत द्वारा चीन से आयात की जाने वाली वस्तुएँ

  • वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-फरवरी) में भारत ने चीन से सबसे ज्यादा 1.28 लाख करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी, उपकरण और इसके विभिन्न पार्ट्स खरीदे हैं। चीन से कुल आयात में इसकी 29 फीसदी हिस्सेदारी है।
  • इसके बाद दूसरे नंबर पर न्यूक्लियर रिएक्टर्स, बॉयलर्स और इससे संबंधित मशीनें हैं, जिसे भारत ने चीन से 90.17 हजार करोड़ रुपये में आयात किया है। चीन से कुल आयात में इसकी 20.50 फीसदी हिस्सा है।
  • तीसरे नंबर पर जैविक रसायन हैं, जिसे 5309 हजार करोड़ रुपये में आयात किया गया है और चीन से कुल आयात का ये 12 फीसदी है। वहीं 18.19 हजार करोड़ रुपये का प्लास्टिक आयात किया गया है जो कि आयात का चार फीसदी है। इसी तरह भारत ने चीन से 12.73 हजार करोड़ रुपये के उर्वरक और 10-89 हजार करोड़ रुपये के लौह या स्टील के सामान आयात किए हैं। भारत द्वारा चीन से कुल आयात में इनकी हिस्सेदारी क्रमशः तीन और 1.5 फीसदी है।

चुनौतियाँ

  • व्यापार घाटा का मतलब है कि भारतीय चीनी सामान ज्यादा खरीद रहे हैं, जबकि इसकी तुलना में चीन के लोग भारत से कम सामान ले रहे हैं। हालांकि ये बुरी चीज नहीं है, क्योंकि ये दर्शाता है कि भारतीय अपभोक्ताओं ने अपनी क्षमता के अनुसार जापानी या फ्रेंच या भारतीय उत्पादक की जगह चीनी सामान को तरजीह दी है। इस तरह दोनों तरफ के लोगों यानी कि चीनी उत्पादनकर्ताओं और भारतीय खरीददारों को लाभ होता है। कोई भी देश अपने आप में पूरी तरह परिपूर्ण नहीं है, इसलिए व्यापार काफी महत्वपूर्ण होता है।
  • हालांकि लगातार व्यापार घाटा बढ़ते रहना सरकारों पर एक गंभीर सवाल खड़े करता है कि क्या वे अपने यहां ऐसी व्यवस्था नहीं तैयार कर पाए, जो देश के लोगों की जरूरतों और उनकी खर्च क्षमता के हिसाब से सामान तैयार कर पाए। देश में उचित कौशल विकास, विज्ञान एवं तकनीक और रोजगार के मौके उपलब्ध कराए बिना अचानक से व्यापार पर रोक लगाना उन लोगों के लिए संकट खड़े करना है जो सस्ते दाम में उपलब्ध उत्पाद को खरीद कर अपनी जरूरतों को पूरा कर पाते हैं। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत अच्छी-खासी मात्र में चीन को अपने यहां का सामान निर्यात करता है और यदि व्यापार पर रोक लगाई जाती है तो भारत को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
  • भारत अपने कुल निर्यात का 5.32 फीसदी हिस्सा चीन को निर्यात करता है। यह अमेरिका को 16.92 फीसदी निर्यात और यूएई को 9.31 फीसदी निर्यात के बाद चीन भारत द्वारा निर्यात के लिए तीसरा सबसे बड़ा देश है। हालांकि व्यापार प्रतिबंध से चीन पर खास प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना है।
  • चीन अपने कुल निर्यात का सिर्फ तीन फीसदी हिस्सा भारत को निर्यात करता है। वहीं चीन अपने कुल आयात का सिर्फ 0.9 फीसदी भारत से आयात करता है। यह भारत द्वारा अंगोला से किया जाने वाला 0.75 फीसदी, कनाडा से 0.82 फीसदी, मेक्सिको से 0.86 फीसदी, नीदरलैंड से 0.71 फीसदी, ओमान से 0.72 फीसदी और ताइवान से 0.84 फीसदी आयात से सिर्फ थोड़ा ज्यादा है। इसका मतलब ये है कि यदि भारत-चीन के साथ व्यापार बंद करता है तो चीन को तीन फीसदी निर्यात और एक फीसदी से कम आयात का नुकसान होगा, जबकि भारत को पांच फीसदी निर्यात और 14 फीसदी आयात खोने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
  • भारत और चीन के बीच व्यापार प्रतिबंध लगाने पर सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम और निम्न आय वर्ग वालों को ही झेलना पड़ेगा। इसकी वजह बिल्कुल साफ है। भारत में चीनी सामानों की मांग इसलिए ज्यादा है, क्योंकि अन्य देशों के उत्पादों की तुलना में ये सस्ते और भारत की बड़ी आबादी की आय क्षमता के अनुकूल रहते हैं।
  • इसके विपरीत यहां पर अभी तक ऐसी मजबूत व्यवस्था या बाजार नहीं तैयार हो पाया है जो सस्ती दर पर गरीबों को सामान मुहैया करा पाए। मोबाइल, टीवी, फैन, कंम्प्यूटर, एसी, कूलर, वॉशिंग मशीन जैसे ढेरों चीनी उत्पादों की कीमत अन्य देशों के उत्पादों की तुलना में काफी सस्ता है। इसके अलावा व्यापार पर प्रतिबंध लगाने से इस क्षेत्र में कार्यरत भारतीय कर्मचारियों पर भी काफी प्रभाव पड़ेगा। भारतीय आयातकों, निर्यातकों और उत्पादनकर्ताओं पर इसका बुरा असर पड़ेगा। आमतौर पर छोटे दुकानदार चीनी सामानों को दूर-दराज इलाकों में ले जाकर बेचते हैं, इसलिए प्रतिबंध से उनकी आजीविका को भी काफी खतरा पहुंचेगा।

विदेशी निवेश पर खतरा

  • इस तरह अचानक व्यापार पर प्रतिबंध लगाने से विदेशी निवेशकों के मन में भारत की छवि काफी खराब हो सकती है। मालूम हो कि लॉकडाउन के दौरान बिगड़े आर्थिक हालात से उबरने के नाम पर जब विभिन्न राज्य सरकारें श्रम कानूनों में ढील दे रही थीं तो उन्होंने ये दलील दी थी कि इससे वे राज्य में निवेश बढ़ाने में सफल होंगे।
  • हालांकि कोई भी निवेशक, खासकर विदेशी, इस रवैये पर सहमति नहीं जताएगा कि आनन-फानन में देश व्यापार करार तोड़ दे और एक झटके में अपनी नीतियों को बदल दे। इससे व्यापार की सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) की रैंकिंग भी प्रभावित हो सकती है। चूंकि देश इस समय भयावह आर्थिक संकट की स्थिति से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह का कोई प्रतिबंध भारत के लिए बहुत बड़ी परेशानी खड़ा कर सकता है।

भारत के पास विकल्प

  • भारत के हाथ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों से बंधे हैं। WTO किसी भी देश को आयात पर भारी-भरकम प्रतिबंध लगाने से रोकता है। भारत के पास एक विकल्प यह है कि वह चीन को दिया सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा वापस ले सकता है किन्तु जानकारों का मानना है कि इससे चीन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।
  • कई ऐसी वस्तुएं हैं जो चीन से बड़ी संख्या में आयात की जाती हैं जो भारत में पहले से बन रही हैं और हम चाहें तो इन वस्तुओं का उत्पादन हमारे देश में और बढ़ा सकते हैं, इन वस्तुओं में कोई बहुत अधिक तकनीक की आवश्यकता नहीं है। इस संदर्भ में डैडम् श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले सभी स्थानीय उद्योगों को आवश्यक प्रौद्योगिकी, वित्त और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आवश्यक समर्थन के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए।
  • बहुत सारी आवश्यक तकनीकी स्तरों की आइटम जैसे ऑटो पार्ट्स, मशीनरी और इंजीनियरिंग पार्ट्स आदि के लिए चीन की निर्भरता को खत्म करने के लिए अन्य विकल्प तलाशना चाहिए और भारत में इनकी तकनीक को विकसित करना चाहिए।
  • उच्च टेक्नोलॉजी की वस्तुओं का चीन से आयात रोकने के लिए दूसरे देशों से इसका विकल्प तलाशना चाहिए। साथ ही भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को प्रोत्साहन देना होगा।

आगे की राह

  • चीनी वस्तुओं का बहिष्कार या पूर्ण प्रतिबंध लगाने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। अगर चीन पर दबाव बनाना है तो भारत को चीन के साथ आयात-निर्यात में कायम असंतुलन को पाटने की कोशिश करनी होगी। यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत को चीन के साथ मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट पर फिर से विचार करना चाहिए। ध्यान दें कि निकट भविष्य में यह लोगों की आहत भावनाओं को शांत कर सकता है, मगर यह भारत जैसे देश के लिए बेहद हानिकारक होगा जो विदेशी निवेश को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है।
  • यदि कोई देश नीतियों को रातोंरात बदले, नए टैक्स फौरी तौर पर लगा दे या सरकार खुद कॉन्ट्रैक्ट रोक दे तो कोई भी निवेशक निवेश नहीं करेगा। सही मायनों में भारत को अपनी प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाकर वैश्विक व्यापार में बड़ा हिस्सा हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।

सामान्य अध्ययन पेपर-2

भारत एवं इसके पड़ोसी-संबंध।

  • प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय, जन वितरण प्रणाली-उद्देश्य, कार्य, सीमाएं, सुधार_ बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे_ प्रौद्योगिकी मिशन_ पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

मुख्य परीक्षा प्रश्न :

  • चीन से आयातित वस्तुओं पर भारत द्वारा जो प्रतिबंध लगाया जा रहा है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ सकता है। विश्लेषण करें।