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Brain-booster / 15 Sep 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: वारली चित्रकला (Warli Paintings)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): वारली चित्रकला (Warli Paintings)

स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट - 2020 (Swachh Survekshan Survey 2020)

चर्चा का कारण

  • भारतीय लोक कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (NFL) द्वारा नोएडा स्थित अपने कॉर्पाेरेट कार्यालय की बाहरी दीवारों को हाल ही में महाराष्ट्र की प्रसिद्ध वारली पेंटिंग से सजाया गया है।

वारली चित्रकला

  • वारली चित्रकला एक प्राचीन भारतीय कला है जो की महाराष्ट्र की एक जनजाति वारली द्वारा बनाई जाती है। यह कला उनके जीवन के मूल सिद्धांतो को प्रस्तुत करती है।
  • वारली चित्रकारी के चित्र भीमबेटका की शैल गुफाओं के चित्रें के समान हैं।
  • यह मनुष्य और प्रकृति के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाती है।
  • चित्रकारी का काम मुख्यी रूप से महिलाएं करती हैं। इन चित्रें में पौराणिक पात्रें, अथवा देवी-देवताओं के रूपों को नहीं दर्शाया जाता बल्कि सामाजिक जीवन के विषयों का चित्रण किया जाता है।
  • इन चित्रें में मुख्यतः फसल पैदावार ऋतु, शादी, उत्सव, जन्म और धार्मिकता को दर्शाया जाता है। यह कला वारली जनजाति के सरल जीवन को भी दर्शाती है। वारली कलाओं के प्रमुख विषयों में शादी का बड़ा स्थान है। शादी के चित्रें में देव, पलघाट, पक्षी, पेड़, पुरुष और महिलाओं के साथ में नाचते हुए दर्शाए जाते हैं।

वारली जनजाति

  • वारली (Warlis), महाराष्ट्र में रहने वाली एक देशी जनजाति है। वारली जनजाति पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर पहाड़ी एवं तटीय इलाकों में बसी है।
  • भारत के इतने बड़े महानगर के इतने निकट बसे होने के बावजूद वारली के आदिवासियों पर आधुनिक शहरीकरण कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
  • 1970 के प्रारम्भ में पहली बार वारली कला के बारे में पता चला। हालांकि इसका कोई लिखित प्रमाण तो नहीं मिलता कि इस कला का प्रारम्भ कब हुआ, लेकिन दसवीं सदी ई-पू-के आरम्भिक काल में इसके होने के संकेत मिलते हैं।
  • इनकी बोली ‘वारली’ है, इस बोली की कोई लिपि नही है, अर्थात यह अलिखित भाषा है और इसका संबंध भारत के दक्षिणी क्षेत्र की इंडो-आर्यन भाषाओं से है।

अन्य विशेषताएं

  • इन भित्तिचित्रें में वृत्त, त्रिकोण तथा वर्ग की भांति एक बहुत ही मौलिक चित्रत्मक शब्दावली का उपयोग किया जाता है।
  • इस चित्रकारी को वे मिट्टðी से बने अपने कच्चे घरों की दीवारों को सजाने के लिए करते थे। लिपि का ज्ञान नहीं होने के कारण लोकवार्ताओं (लोक साहित्य) के आम लोगों तक पहुंचाने को यही एकमात्र साधन था।
  • वारली आज भी अपने परंपरा से जुड़े हैं लेकिन साथ ही वे नए विचारों को भी ग्रहण कर रहे हैं, जो बाजार की नई चुनौतियों का सामना करने में उनकी मदद करते हैं।

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