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Brain-booster / 02 Aug 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: जूनॉटिक बीमारियों पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (UN Report on Zoonotic Diseases)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): जूनॉटिक बीमारियों पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (UN Report on Zoonotic Diseases)

जूनॉटिक बीमारियों पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (UN Report on Zoonotic Diseases)

चर्चा का कारण

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (International Livestock Research Institute) की साझा रिपोर्ट में बढ़ती महामारियों के लिए पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन की माँग में इजाफा होने, सघन व गैर-टिकाऊ खेती के बढ़ने, वन्यजीवों के दोहन एवं इस्तेमाल में वृद्धि और जलवायु संकट जैसे कारकों को जिम्मेदार बताया गया है।
  • 'Preventing the next pandemic zoonotic diseases and how to break the chain of transmission' नामक इस रिपोर्ट में पशुजनित बीमारियों के बढ़ते उभारों के लिए जिम्मेदार सात रुझानों की पहचान की गई है और वैश्विक महामारियों की रोकथाम के लिए दस सिफारिशें भी पेश की गई हैं।

जूनॉटिक बीमारियाँ क्या हैं?

  • पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों को जूनॉटिक बीमारियाँ (Zoonotic diseases) कहा जाता हैै। ये बैक्टीरिया, परजीवियों और वायरसों के कारण होती हैं। ऐसे रोग पहले जानवरों को संक्रमित करते हैं और फिर उनसे होते हुए ये बीमारियाँ इन्सानों को अपना निशाना बनाती हैं।
  • विश्व भर में पाँच लाख से ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार महामारी कोविड-19 के स्रोत का सन्देह चमगादड़ों में होने पर जताया गया है। कोविड-19 से पहले भी इबोला, MERS, West Nile बुखार सहित अन्य बीमारियाँ पशुओं से मनुष्यों में फैली और उनकी वजह भी मानव गतिविधियों से पर्यावरण पर बढ़ता दबाव माना गया था।
  • हर साल लगभग 20 लाख लोगों की मौत ऐसी पशुजनित बीमारियों से हो जाती है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता। अधिकाँश मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। इन्हीं रोगों के कारण पशुओं-मवेशियों को भी गम्भीर बीमारियाँ होती हैं और उनकी मौत हो जाती है, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है।
  • कोविड-19 से आर्थिक नुकसान अगले कुछ वर्षों में बढ़कर 9 ट्रिलियन डॉलर होने की आशंका है लेकिन इससे पहले भी पिछले दो दशकों में अन्य पशुजनित बीमारियों के कारण 100 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है।

अफ्रीकी देशों की अहम भूमिका

  • रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी देशों को हाल के समय में इबोला और अन्य पशु-जनित महामारियों से जूझना पड़ा है और ये क्षेत्र ऐसे भावी समाधानों का स्रोत बन सकता है जिनमें पशुओं, मनुष्यों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए।
  • अफ्रीकी महाद्वीप में बड़े पैमाने पर दुनिया के वर्षावन और वन्य भूमि होने के साथ-साथ दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या भी है। इससे पशुओं, वन्यजीवन और मनुष्यों में सम्पर्क की रफ्रतार और मामले बढ़े हैं और उसी वजह से पशुजनित बीमारियों का जोिखम भी अफ्रीका महाद्वीप पर आने वाले समय में और ज्यादा तेजी से फैल सकता है लेकिन अफ्रीकी देश इबोला और अन्य उभरती बीमारियों से निपटने के रास्ते भी सुझा रहे हैं।

भविष्य में महामारियों की रोकथाम के लिए अनुशंसाएँ

  • एक स्वास्थ्य पहल (one health) सहित बहुविषयक (inter disciplinary) तरीकों में निवेश पर जोर देना।
  • पशुजनित बीमारियों पर वैज्ञानिक खोज को बढावा देना।
  • पशुजनित बीमारियों के प्रति जागरूकता के प्रसार पर बल देना।
  • जवाबी कार्रवाई के लागत-मुनाफा विश्लेषण को बेहतर बनाना और बीमारियों के समाज पर असर को आँकना।
  • पशुजनित बीमारियों की निगरानी और नियामक तरीकों को मजबूत बनाना।
  • भूमि प्रबन्धन की टिकाऊशीलता को प्रोत्साहन देना और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के वैकल्पिक रास्तों को विकसित करना ताकि पर्यावासों और जैवविविधता संरक्षण सम्भव हो।
  • जैवसुरक्षा और नियन्त्रण को बेहतर बनाना, पशुपालन में बीमारियों के उभार के कारकों को पहचानना और कारगर नियन्त्रण उपायों को बढ़ावा देना।
  • कृषि और वन्यजीव के सहअस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए भूदृश्य (Landscape) की टिकाऊशीलता को सहारा देना।
  • सभी देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र में हिस्सेदारों की क्षमताओं को मजबूत बनाना।
  • भूमि के इस्तेमाल और टिकाऊ विकास की योजना को संचालित करना।

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