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Brain-booster / 11 Oct 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक - 2020 (Banking Regulation Amendment Act, 2020)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक - 2020 (Banking Regulation Amendment Act, 2020)

बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक - 2020 (Banking Regulation Amendment Act, 2020)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में संसद ने बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक-2020 पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिये 1949 के बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसमें बैंकों के लाइंलेंस, प्रबंधन और संचालन जैसे विभिन्‍न पहलुओं का विवरण उपलब्‍ध कराया गया है। यह बैंकों के कामकाज का विनियमन करता है।

विधेयक की मुख्‍य विशेषताएं

  • सहकारी बैंकों को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के कई प्रावधानों से छूट है। बिल इनमें से कुछ प्रावधानों को सहकारी बैंकों पर लागू करता है और उन्हें एक्ट के उन रेगुलेशंस के अंतर्गत लाता है जो वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होते हैं।
  • सहकारी बैंक आरबीआई की पूर्व मंजूरी से पब्लिक से इक्विटी या अनसिक्योर्ड डेट कैपिटल इकट्टòा कर सकते हैं।
  • आरबीआई सहकारी बैंकों के चेयरपर्सन के रोजगार की शर्तों और क्वालिफिकेशन को निर्दिष्ट कर सकता है। आरबीआई ऐसे चेयरपर्सन को हटा सकता है जोकि ‘फिट और उचित’ के मानदंड पर खरा न उतरे और उपयुक्त व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है। वह क्वालिफाइड सदस्यों की पर्याप्त संख्या को सुनिश्चित करने के लिए निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) के पुनर्गठन के निर्देश दे सकता है।
  • आरबीआई राज्य सरकार की सलाह से किसी सहकारी बैंक के निदेशक मंडल को सुपरसीड कर सकता है।
  • बिल आरबीआई को इस बात की अनुमति देता है कि वह मोहलत (मोराटोरियम) दिए बिना बैंक के पुनर्गठन और एकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दे।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • सहकारी बैंक निम्न आय वर्ग के लोगों को बैंकिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। हालांकि वाणिज्यिक बैंकों की तरह आरबीआई सहकारी बैंकों की रेगुलेटरी निगरानी नहीं करता, जोकि सहकारी बैंकों के खराब प्रदर्शन का एक कारण है। यह विधेयक सहकारी बैंकों के प्रबंधन, पूंजी, ऑडिट और वाइंडिंग अप (कारोबार समेटने) को आरबीआई रेगुलेशन के दायरे में लाता है।
  • संविधान में ‘बैंकिंग’ संघीय सूची में आने वाला विषय है और सहकारी समितियों का ‘निगमीकरण, रेगुलेशन और वाइंडिंग अप’ राज्य सूची का। विधेयक सहकारी बैंकों को यह अधिकार देता है कि वे अपने सदस्यों और बैंक के संचालन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इक्विटी शेयर जारी कर सकते हैं। चूंकि सहकारी समितियां अपने सदस्यों से पूंजी जमा करती हैं, यह अस्पष्ट है कि पब्लिक से इक्विटी कैपिटल जमा करने का क्या अर्थ है। इसके अतिरिक्त सदस्यों के शेयर कैपिटल के रिडंप्शन पर रोक लगाने से उनके बाहर निकालने का विकल्प सीमित होता है।

अपवाद

  • राज्य कानूनों के तहत सहकारी समितियों के राज्य रजिस्ट्रार की मौजूदा शक्तियां इन परिवर्तनों से प्रभावित नहीं होंगी।
  • ये परिवर्तन उन प्राथमिक कृषि साख समितियों (Primary Agricultural Credit Societies -PACS) या सहकारी समितियों पर लागू नहीं होंगे, जिनका मुख्य उद्देश्य और प्रमुख व्यवसाय कृषि विकास हेतु दीर्घकालिक वित्त प्रदान करना है तथा जो ‘बैंक’, ‘बैंकर या ‘बैंकिंग’ शब्दों का प्रयोग नहीं करते हैं।

सहकारी बैंकों का विनियमन

  • भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक और सहकारी बैंक आते हैं। सहकारी बैंक निम्न आय वर्ग के लोगों को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करते हैं और इस प्रकार वित्तीय समावेश का उद्देश्य पूरा होता है। 2015 तक सहकारी बैंकों के लगभग 90% ऋणों में से प्रत्येक पांच लाख रुपए से कम के थे जोकि इन बैंकों के कुल उधार का 33% है। सहकारी बैंक ऐसी सहकारी समितियां होते हैं जिनका मुख्य कारोबार बैंकिंग होता है। इन समितियों पर इनके सदस्यों का स्वामित्व होता है। वे ही उन्हें प्रमोट, नियंत्रित और प्रबंधित करते हैं और उन्हें सहायता प्रदान करते हैं।

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