ब्लॉग : नागा शांति वार्ता के वार्ताकार और नागालैंड के राज्यपाल आर एन रवि को हटाने के मायने by विवेक ओझा

नागालैंड के अलगाववादी आंदोलन से निपटने के लिए शांति वार्ता के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने कुछ वर्षों पूर्व आर एन रवि को नागालैंड में केंद्र सरकार की तरफ से शांति वार्ताकार ( interlocutor) नियुक्त किया था । लेकिन नागालैंड के अलगाववादी गुटों खासकर नेशनल सोशलिस्ट कॉउंसिल ऑफ नागालैंड ( इजाक मुईवा ) ने आर एन रवि को शांति वार्ताकार के ओहदे से हटाने का घोर विरोध करना शुरू कर दिया था। नागालैंड के अलगाववादी गुटों ने यहां तक कहना शुरू कर दिया था कि आर एन रवि को अगर केंद्र सरकार नागा लोगों की मांगों के संदर्भ में शांति वार्ताकार की भूमिका में जारी रखती है तो केंद्र सरकार को कुछ भी हासिल नही होगा।

नागालैंड के राज्यपाल आर एन रवि ने 6 जून 2020 को नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को लिखे एक पत्र में राज्य के विद्रोही समूहों को बड़े पैमाने पर जबरन वसूली और अवैध गतिविधि चलाने वाले 'सशस्त्र गिरोह' करार दिया था। आर एन रवि का कहना था कि राज्य में स्थिति गंभीर है। नागालैंड में कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, संवैधानिक रूप से स्थापित राज्य सरकार को सशस्त्र गिरोहों द्वारा दिन-प्रतिदिन चुनौती दी जा रही है, जो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता पर सवाल उठाते हैं, जबकि कानून और व्यवस्था के साधन पूरी तरह से अनुत्तरदायी हैं। वहीं 7 जुलाई 2020 को राज्य सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को एक महीने के भीतर एक घोषणा प्रस्तुत करने का आदेश दिया, जिसमें परिवार के किसी भी सदस्य या रिश्तेदारों की जानकारी और विवरण मांगा कि किस परिवार के लोग 'भूमिगत' संगठनों से जुड़े हुए है। इस आदेश में व्यक्ति का नाम, 'भूमिगत' संगठन, कर्मचारी के उस व्यक्ति के साथ संबंध की प्रकृति और 'भूमिगत' पदानुक्रम के भीतर उस व्यक्ति द्वारा धारित पद या रैंक सहित जानकारी मांगी गई थी। दरअसल आर एन रवि ने नागालैंड में एक विवादित बयान देते हुए कहा था कि नागालैंड में हर घर में कोई न कोई अलगाववादी विद्रोही है जो भारत संघ से अलग होने के प्रयासों और आंदोलनों का समर्थन करता है। इस बयान के बाद आर एन रवि से नागा गुट काफी नाराज़ हो गया था। नागा विद्रोही गुट आर एन रवि को अपनी राह का सबसे बड़ा रोड़ा भी मानते रहे हैं । नागालैंड राज्य सरकार द्वारा आर एन रवि के कहने पर जब प्रत्येक घर से लोगों के भूमिगत संगठनों से जुड़े होने की सूचना के लिए जो आदेश जारी किए गए थे , उन्हीं आदेशों के आधार पर 11 जुलाई 2020 को अरुणाचल के लोंगडिंग जिले के न्यिनु गांव के पास भारतीय सेना, असम राइफल्स और अरुणाचल प्रदेश पुलिस कर्मियों की एक संयुक्त टीम द्वारा मुठभेड़ में एनएससीएन (आईएम) के छह कार्यकर्ता मारे गए थे। नागा विद्रोही समूहों ने इसके लिए आर एन रवि को जिम्मेदार माना था।

ऐसा माना जा रहा था कि आर एन रवि NSCN ( IM) को निशाना बना रहे थे जबकि उसके विरोधी गुट नागा नेशनल पोलिटिकल ग्रुप्स जो कि नागालैंड के 7 नागा उग्रवादी संगठनों का समूह है , उसके प्रति नरमी दिखा रहे थे। कुल मिलाकर कहें तो नागा विद्रोहियों से निपटने के जो तरीके आर एन रवि अपना रहे थे , वो नागा अलगाववादी गुटों को बिल्कुल रास नही आ रहे थे , इसीलिए उनसे शांति वार्ताकार की भूमिका को हाल ही में वापस लेने का निर्णय करते हुए उन्हें नागालैंड के राज्यपाल पद से हटाकर तमिलनाडु का नया राज्यपाल बनाया गया है।

ग़ौरतलब है कि अगस्त 2015 में जब भारत सरकार और नागा अलगाववादी गुट NSCN ( IM) के बीच नागा फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुआ था तो इस समझौते पर शांति वार्ताकार के रूप में आर एन रवि के भी हस्ताक्षर हुए थे और फिर उन्हें कालांतर में जुलाई 2019 में नागालैंड का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था। इसके बाद से नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि नगा समूहों के लिए अलग झंडे और अलग संविधान की किसी भी संभावना से लगातार साफ इनकार करते रहे। इसके चलते यह मुद्दा सबसे प्रभावशाली नगा संगठन एनएससीएन-आईएम और सरकार के बीच तकरार का कारण बना रहा।

Nagaland State Government Efforts for Naga Peace Talks: Daily ...

नगालैंड के 58वें राज्य स्थापना दिवस की संध्या पर अपने भाषण में राज्यपाल आर एन रवि ने कहा था कि , ‘भारतीय राष्ट्रीय झंडा और संविधान भारत के लोगों का गर्व है। भारत सरकार पूरी तरह से स्पष्ट है कि भारत का केवल एक ही राष्ट्रीय झंडा और संविधान है और रहेगा। इसके विपरीत बात करने वाला कोई भी व्यक्ति निरर्थक झूठ बोल रहा है और वह लोगों को भ्रमित और गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।

एक और अन्य बात जिसके चलते NSCN ( IM) जैसे संगठन राज्यपाल और शांतिवार्ताकार रवि से नाराज़ बने रहे वह यह है कि रवि ने साफ तौर पर कह दिया था कि , ‘नगा राजनीतिक मुद्दे में पारंपरिक ग्राम संस्थाएं और आदिवासी संगठन प्राथमिक हिस्सेदार हैं। उन्होंने साफ तौर पर अपना मन बना लिया है कि वे बिना किसी और देरी के अंतहीन शांति प्रक्रिया के परिणाम की मांग कर रहे हैं। वे बंदूक संस्कृति का अंत चाहते हैं।' रवि ने कई अवसरों पर यह भी कहा था कि बंदूक के दम पर NSCN ( IM) जैसे अलगाववादी गुट शांति प्रक्रिया और वार्ता को लंबे समय तक नहीं खींच सकते। आर एन रवि की इन्हीं सब बातों के चलते नागालैंड से उन्हें हटाये जाने की जोरदार मांग हो रही थी जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें अब तमिलनाडु का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। केंद्र सरकार के इस कदम को तंगकुल नागाओं को शांत करने के कदम के रूप में भी देखा जा सकता है, जो NSCN (IM) के रैंक और मणिपुर के पहाड़ी जिलों से आते हैं। नगा मुद्दे के समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के अलावा सरकार की नजर मणिपुर राज्य विधानसभा चुनावों पर भी हो सकती है, जो सात महीने बाद मार्च 2022 में होने वाले हैं। मणिपुर में पांच पहाड़ी जिले सेनापति, तामेंगलोंग, उखरूल, चंदेल और चुराचंदपुर हैं, जिनमें से पहले तीन में नागा जनसांख्यिकी रूप से महत्वपूर्ण हैं। मणिपुर में नगाओं के पास मणिपुर की 60 सीटों में से कम से कम 11 विधानसभा क्षेत्रों में परिणाम तय करने की क्षमता है।

इसके साथ ही भारत सरकार ने नागालैंड में शांति वार्ता पर कोई नकारात्मक असर न पड़ने देने के लिए यह निर्णय लिया है। हाल के वर्षों में भारत सरकार की यह रणनीति रही है कि पूर्वोत्तर भारत के अलगाववादी गुटों से इस स्तर पर चर्चा की जाए कि वे हथियार डालना अपने हित में समझने लगें।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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