ब्लॉग : क्यों हो रहा श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के इटली दौरे का विरोध by विवेक ओझा

क्यों हो रहा श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के इटली दौरे का विरोध

श्रीलंकाई प्रधानमंत्री की इटली यात्रा का विरोध शुरू हो गया है। दरअसल महिंदा राजपक्षे को इटली के बोलोग्ना विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल सिम्पोजियम कीनोट एड्रेस करना है। लेकिन इटली के कैथोलिक चर्च के आर्कबिशप मैलकम कार्डिनल रंजीथ ने साफ तौर पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा है कि 2019 में श्रीलंका में जो ईस्टर संडे आतंकी हमले हुए थे और जिसके चलते श्रीलंका में 4 महीने आपातकाल भी लगाना पड़ा था , उस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के मामले पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री वेटिकन के पोप फ्रांसिस को गुमराह करना चाहते हैं । चर्च पर हुए आतंकी हमलों में इस्लामिक आतंकवादियों की भूमिका से जुड़ी जांच को श्रीलंका नहीं होने दे रहा है और इसकी जगह इटली में पोप को सफाई देने के लिए अपने प्रधानमंत्री को भेज रहा है , ऐसा गंभीर आरोप श्रीलंका पर लगाया गया है। अब यहां यह जानना जरूरी है कि ईस्टर डे आतंकी हमले और चर्च को निशाना बनने देने से रोकने के लिए श्रीलंका से कहाँ चूक हुई थी।

ईसाइयों के पर्व ( ईस्टर संडे ) के अवसर पर हुए एक के बाद एक श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों व आत्मघाती हमलों में श्रीलंका के विभिन्न चर्च और होटलों को वर्ष 2019 में निशाना बनाया गया था। इस धमाके में सेंट एंथनी चर्च, सेंट सेबेस्टियन चर्च, सेंट माइकल चर्च, पूर्वी कस्बा बट्टीकलोआ चर्च के साथ ही पर्यटन के लिहाज से कुछ महत्वपूर्ण होटलों सांगरी ला, सिनामन ग्रैंड और किंग्सबरी होटल को निशाना बनाया गया था।

श्रीलंका में हुए इस ईस्टर संडे आतंकी हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह (ISIS) ने ली थी। इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया था। हालांकि, श्रीलंकाई सरकार ने हमले में स्थानीय इस्लामिक आतंकी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) का हाथ बताया था, लेकिन हमले में विदेशी आतंकी संगठन के हाथ होने की बात भी नकारी नहीं गई थी।

जांच के दौरान सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आई थी कि श्रीलंका के करोड़पति मसाला व्यापारी मोहम्मद यूसुफ इब्राहिम के दो बेटे हमलावरों में शामिल थे। इन दोनों के अलावा हमलावरों में इन दोनों में से एक की पत्नी फातिमा इब्राहिम भी इसमें शामिल थी। ये लोग खुद अपना 'पारिवारिक सेल' चलाते थे। इलहाम और इंसाफ ने कोलंबो में शांगरी-ला और सिनामॉन ग्रांड होटल में खुद को उड़ा लिया था।

हमले के मास्टरमाइंड जहरान हाशिम ने हमलावरों से संपर्क करने और उनके ब्रेनवॉश के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया था। हाशिम महीनों तक प्राइवेट चैटरूम में लोगो को इस हमले को अंजाम देने के लिए राजी करने के लिए काम करता रहा। वह अपने फेसबुक पेज से श्रीलंकाई मुसलमानों को प्रभावित कर रहा था। मुस्लिम समुदाय के नेताओं के अनुसार हाशिम खुले तौर पर गैर-मुस्लिमों की हत्या की बात करता था। 

हमले को लेकर खुफिया अलर्ट के बाद भी श्रीलंकाई सरकार और अधिकारियों के लापरवाही के कारण 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कहते हैं कि भारत ने भी इसको लेकर श्रीलंका को खुफिया जानकारी दी थी। श्रीलंका में इन हमलों के स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच के लिए ईसाई समूहों द्वारा मांग उठती रही है। साथ ही हाल के वर्षों में विश्व समुदाय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने श्रीलंका सरकार से अपेक्षा की है कि मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच को सही दिशा दी जाए ।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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