ब्लॉग : ब्रिक्स का न्यू डेवलपमेंट बैंक और उसकी बढ़ती भूमिका by विवेक ओझा

कोविड 19 के खिलाफ वैश्विक जंग अभी भी जारी है । दुनिया भर के विकास बैंक अपनी भूमिका निभाने में लगे हैं । इसी कड़ी में ब्रिक्स के नव विकास बैंक ने चीन को कोविड 19 से निपटने के लिए 1 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता प्रदान किया है। यह दूसरी बार है जब समान राशि के साथ एक बार फिर एनडीबी ने चीन को सहायता दी है। अगर इस ऋण सहायता को चीन की मुद्रा युआन में मापें तो यह 7 बिलियन युआन बैठता है। अपने आपदा सहायता कार्यक्रम जिसे एनडीबी ने पिछ्ले साल गठित किया था , के तहत भारत को भी कोविड 19 महामारी से निपटने के लिए 1 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता प्रदान की थी। अब तक यह विकास बैंक 7 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता की मंजूरी दे चुका है। दुनिया के कई क्षेत्रीय संगठन मसलन सार्क भारत के नेतृत्व में दक्षिण एशिया के देशों को विशेष फंड के जरिए मदद दे रहा है। दुनिया के कई विकास बैंकों में स्वास्थ्य और विकास के लिए फंडिंग करने की संस्कृति विकसित होना वैश्विक शांति और सुरक्षा तथा साझे समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है।

वर्ष 2019 में एनडीबी ने ब्रिक्स के देशों की स्थानीय मुद्राओं की स्थिति को मजबूती देने के उद्देश्य से डॉलर फंडिंग से हटकर लोकल करेंसी लेंडिंग का निर्णय लिया था। उसी समय एनडीबी के चेयरमैन के वी कामथ ने कहा था कि निकट भविष्य में 50 प्रतिशत परियोजनाएं स्थानीय मुद्रा में वित्त पोषित की जाएंगी। एनडीबी को पिछले कुछ वर्षों में एक अलग ही पहचान वैश्विक स्तर पर प्राप्त हुई है। जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने 20 अगस्त , 2019 को ब्रिक्स को के AAA के साथ सर्वाधिक रेटिंग दिया । इसके अलावा अगस्त 2019 में ही न्यू डेवलपमेंट बैंक ( पूर्व में ब्रिक्स बैंक ने कहा था कि 10 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ रेट के साथ भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बन सकता है ।

न्यू डेवलपमेंट बैंक का उद्भव -

वर्ष 2012 में नई दिल्ली में ब्रिक्स के चौथे समिट में ब्रिक्स देशों ने विकास परियोजनाएं और अवसंरचात्मक विकास के लिए एनडीबी जैसे बैंक के गठन की संभावना पर विचार किया था । इसके लिए ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों द्वारा रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया गया और इस हेतु एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाकर ऐसे बैंक के गठन की व्यवहार्यता पर 2013 के समिट में रिपोर्ट देने को कहा गया । 2013 में डरबन में पांचवें ब्रिक्स समिट में वित्त मंत्रियों की रिपोर्ट के बाद एनडीबी को बनाने पर विचार शुरू हुआ । इसके बाद ब्राजील के फोर्टालेजा में 2014 में ब्रिक्स के छठे समिट में न्यू डेवलपमेंट बैंक के गठन के लिए सदस्य देशों ने एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया । इस प्रकार फोर्टालेजा उद्घोषणा के साथ औपचारिक , आधिकारिक स्तर पर इस बैंक के गठन की घोषणा हुई । इस उद्घोषणा में साफ किया गया कि यह वैश्विक स्तर के बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं के विकासात्मक कार्यों में सहयोगी और अनुपूरक का काम करेगा , इस प्रकार यह दक्षिण अमेरिकी संगठन यूनासुर की तरह वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ जैसी संस्थाओं को प्रतिद्वंदी मानने वाला बैंक नहीं है ।

7 जुलाई , 2015 को रूस में ब्रिक्स के उफा समिट में न्यू डेवलपमेंट बैंक एक वैधानिक इकाई के रूप में अस्तित्व में आ गया । चीन के साथ हेडक्वार्टर एग्रीमेंट करने के साथ ही 27 फरवरी , 2016 को यह बैंक पूर्ण रूप से कार्यशील हो गया । इसका मुख्यालय शंघाई में है । इसके अध्यक्ष के वी कामथ हैं । इसमें 4 वाइस प्रेसिडेंट , और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का प्रावधान किया गया है । बैंक की आरंभिक चुकता पूंजी 50 बिलियन डॉलर ( एक समान योगदान ) तय की गई थी , अब यह 100 बिलियन डॉलर राशि वाला बैंक हैं जिसमें सभी सदस्य देशों की भागीदारी 20 बिलियन डॉलर ( प्रत्येक सदस्य) है । इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का पहला अध्यक्ष रूस को बनाने का निर्णय हुआ था ।

न्यू डेवलपमेंट बैंक की भूमिका -

न्यू डेवलपमेंट बैंक एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका गठन सभी ब्रिक्स देशों ने मिलकर किया है । इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की हिस्सेदारी है । इस बैंक का आर्टिकल ऑफ एग्रीमेंट कहता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश एनडीबी के सदस्य बन सकते हैं लेकिन ब्रिक्स देशों का इस बैंक में शेयर मताधिकार के 55 प्रतिशत से कम किसी भी हाल में नहीं होगा। इस बैंक में सभी पांचों देशों की शेयरधारिता और मताधिकार 20 प्रतिशत है ।

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1 अप्रैल , 2019 को न्यू डेवलपमेंट बैंक की चौथी वार्षिक बैठक का आयोजन केपटाउन में किया गया था । इस बैठक में कहा गया कि इस बैंक का मुख्य उद्देश्य सतत विकास को और विकास की सतत अवसंरचना को बढ़ावा देना है । इस बैठक में कहा गया कि क्रय शक्ति समता की दृष्टि से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में ब्रिक्स देशों का शेयर वर्ष 2010 के 30 प्रतिशत से बढ़कर अब 36 प्रतिशत हो गया है । इस बैठक में एनडीवी की उपलब्धियां बताते हुए कहा गया कि 2017 के अंत तक 3.4 बिलियन डॉलर के कुल 13 ऋण विविध परियोजनाओं के लिए दिए जा चुके हैं । 2018 में 17 ऋणों को स्वीकृति दी गई है जिसकी राशि 4.6 बिलियन है । इस प्रकार अब एनडीबीे के बैनर तले कुल 30 विकास परियोजना संबंधी ऋण ( कुल राशि 8 बिलियन डॉलर ) को मंजूरी दी गई है ।

ब्रिक्स के आधिकारिक दस्तावेज बताते हैं कि ब्रिक्स बैंक ( अब एनडीबी) वर्तमान में दिए जाने वाले कुल ऋण का 60 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं के लिए देता है और इसमें परिवहन , स्वच्छ ऊर्जा , जल और स्वच्छता प्रबंधन और शहरी विकास को जोड़ दिया जाए तो यह 80 प्रतिशत से अधिक हो जाता है । इस प्रकार यह बैंक सतत विकास और एजेंडा 2030 के हिसाब से 17 सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में सक्रिय हो कर काम कर रहा है । 2018 में इस बैंक को एए प्लस इंटरनेशनल रेटिंग फिच और एस एंड पी ग्लोबल से भी मिल चुका है जिससे अब इसकी पहुंच वैश्विक पूंजी बाज़ार तक अनुकूल शर्तों के साथ हो गई है । सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाते हुए एनडीबी ने 2019 में अपने द्वारा दिए जाने वाले ऋण की मात्रा दोगुना यानि 16 बिलियन करने की घोषणा भी की है । इस बैंक ने चीनी इंटरबैंक बॉन्ड मार्केट से 3 बिलियन डॉलर मूल्य वाले रेनमिनबी का दूसरा बॉन्ड जारी किया है और दक्षिण अफ्रीका, भारत और रूस में लोकल करेंसी बॉन्ड जारी करने की योजना भी बना रहा है । यह बैंक इक्विटी निवेश भी शुरू करने और प्रोजेक्ट प्रिपरेशन फंड को कार्यशील बनाने की योजना पर काम कर रहा है । इस बैंक का पहला क्षेत्रीय केंद्र 2017 में जोहांसबर्ग में लॉन्च हुआ जो 2018 में कार्यशील हो गया है । इस बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का पहला चेयरमैन भी ब्राजील को बनाने का निर्णय लिया गया ।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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