ब्लॉग : मध्य एशियाई देशों के OIC की इस्लामाबाद में हुई बैठक को छोड़कर भारत में भारत मध्य एशिया संवाद बैठक में भाग लेने के मायने by विवेक ओझा

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सदस्य देशों के विदेश मंत्री परिषद की 17वीं विशेष बैठक अभी सुर्खियों में है। पहली वजह ये है कि इसका आयोजन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में हो रहा है । पाकिस्तान एवं सऊदी अरब द्वारा इस बैठक का आयोजन हुआ है। यह बैठक एक और जिस ख़ास बात के लिए सुर्खियों में है वह यह है कि OIC के 57 मुस्लिम सदस्य देशों में से 5 मध्य एशियाई देशों ने इस बैठक में भाग लेना पसंद नहीं किया बल्कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर भारत में हो रही बैठक में भाग लिया है। ओआईसी के कुल 57 सदस्य देशों में से 20 विदेश मंत्री इस्लामाबाद बैठक में भाग ले रहे हैं , वहीं 5 मध्य एशियाई देशों किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने उसी दिन भारत की बैठक को तरज़ीह दी है।

दरअसल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर एक दिवसीय भारत-मध्य एशिया संवाद की अध्यक्षता 19 दिसंबर को की है। अफ़ग़ानिस्तान के अलावा क्षेत्रीय संबंधों और व्यापार पर चर्चा के लिए यह अपनी तरह का तीसरा सम्मेलन था। इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हम सभी के अफ़ग़ानिस्तान के साथ गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। इस देश में हमारी चिंताएं और लक्ष्य समान हैं जो हैं : एक व्यापक और प्रतिनिधि सरकार, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ लड़ाई, निर्बाध मानवीय सहायता सुनिश्चित करना और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा।

इसी साल 10 नवंबर को, इन सभी मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने भारत में ऐसी ही एक अन्य बातचीत में भाग लिया था जिसका विषय अफ़ग़ानिस्तान था। इस वार्ता में रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी मौजूद थे।

इससे यह साफ़ हो जाता है कि मध्य एशिया के देश क्षेत्रीय शांति , सुरक्षा , स्थिरता और आर्थिक प्रगति में भारत की भूमिका पर भरोसा करते हैं वहीं हाल के वर्षों में भारत ने अपनी एक्सटेंडेड नेबरहुड की नीति के तहत मध्य एशियाई देशों को अपना विस्तारित पड़ोस घोषित किया है। भारत को लगता है कि दक्षिण एशिया की राजनीति की गंभीर वास्तविकताओं से निपटने में भूगोल अथवा भौगोलिक दूरी को आड़े नही आना चाहिए और जब मध्य एशिया के देशों के भारत के साथ साझे हित , मूल्य , परंपराएं जुड़ी हुई हैं तो इन्हें बिना किसी शर्त एक दूसरे का सहयोग समर्थन करना चाहिए।

पाकिस्तान की सीमा अफ़ग़ानिस्तान से लगती है , अफ़ग़ानिस्तान की सीमा ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान से तो जाहिर सी बात है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन हो या पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियां , स्वर्णिम त्रिभुज जैसे नारोटिक बेल्ट के नार्को टेररिज्म से जुड़े कारनामे हों , या धार्मिक कट्टरता , इस्लामिक जेहाद की चिंताएं या फिर अफगान शरणार्थियों की समस्या का सवाल हो मध्य एशिया के देश केंद्रीय भूमिका में किसी न किसी रूप में दिखाई देते हैं क्योंकि इनपर इन सब बातों का अच्छा खासा असर पड़ता है। तापी हो या चाबहार , अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण गलियारे का विकास हो या मध्य एशिया के देशों के साथ अफ़ग़ानिस्तान , ईरान जैसे देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के प्रोजेक्ट्स ये सब बातें मध्य एशिया के देशों के महत्व को उजागर करते हैं। वहीं पाकिस्तान की नीयत और अफगानिस्तान की शांति और सुरक्षा में उसकी भूमिका को सभी संदेह की नज़र से ही देखते हैं। इस लिहाज से मध्य एशिया के देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा oic के इस्लामाबाद समिट की बजाय दिल्ली में आयोजित बैठक में भाग लेना भारत के लिए एक उत्साहवर्धक घटना है। भारत मध्य एशिया के देशों के साथ इस्ताम्बुल प्रॉसेस जैसे क्षेत्रीय पहलों , शंघाई सहयोग संगठन के बैनर तले RATS मंच के जरिये जुड़ा है जो अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा के लिए अहम मंच और पहल है।

इस संवाद बैठक में सभी मध्य एशिया के देशों ने सभी देशों ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपने समर्थन को दोहराया । विदेश मंत्रियों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्ति की घोर निंदा की है। बैठक में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया है। बैठक में शामिल मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाले वैश्विक आतंकवाद-रोधी सहयोग को मजबूत करने और प्रासंगिक यीएनएससी प्रस्तावों, वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति और फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स के मानकों को पूरी तरह से लागू करने का आह्वान किया है।

ब्लॉग : मध्य पूर्व और खाड़ी क्षेत्र ...

भारत मध्य एशिया संवाद बैठक में साफ तौर पर कहा गया कि शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के लिए सभी समर्थन देने को तैयार हैं। विदेश मंत्रियों ने अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामलों में क्षेत्रीय अखंडता और गैर-हस्तक्षेप के लिए सम्मान पर भी जोर दिया। संवाद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अफगानिस्तान को निर्बाध मानवीय सहायता पहुंचाई जाए।

जयशंकर ने ‘चार सी’ दृष्टिकोण यानी वाणिज्य, क्षमता वृद्धि, कनेक्टिविटी और दो पक्षों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए संपर्कों पर केंद्रित रुख अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘आज हमारी बैठक तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिति के बीच हुई है। कोविड-19 महामारी से वैश्विक स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है।

इस प्रकार भारत को मध्य एशिया और मध्य एशिया से काफी उम्मीदें हैं जो बैठक में दिखीं।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


ध्येय IAS के अन्य ब्लॉग