ब्लॉग : हजारा शिया, जातीय संहार और अफगानिस्तान पाकिस्तान का दंश by विवेक ओझा

अफगानिस्तान के हजारा शिया अल्पसंख्यक समुदाय ने सुन्नी चरमपंथी तालिबान से अपनी सुरक्षा के मुद्दे को उठाया है । हजारा समुदाय का मानना है कि अमेरिका और नाटो के नेतृत्व वाली जो अन्तरराष्ट्रीय सेना अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान से लड़ रही थी , अब उसके हटने से हजारा लोगों को तालिबान का प्रकोप झेलना पड़ेगा । विदेशी सैनिकों के अफगानिस्तान से हटने से वहां अफगान शांति वार्ता पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा और ऐसी आशंका व्यक्त की गई है कि शांति वार्ता धीमी पड़ सकती है और ऐसे में यदि अफ़ग़ान सरकार तालिबानियों से प्रभावी तरीके से नहीं निपट पाई और कहीं 1996 में अफ़ग़ान सत्ता संभालने वाले तालिबान ने फिर से सत्ता पर काबिज होने की कोशिश की तो वहां अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चुनौती बढ़ जाएगी।

ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में और खासकर ग्वादर क्षेत्र में रहने वाले हजारा शिया समुदाय के लोगों का पाकिस्तान की सेना द्वारा जातीय संहार ( जेनोसाइड) केवल इस बात के लिए किया जा रहा है कि वे चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर के निर्माण में बाधक बन रहे हैं ।

पाकिस्तान में शिया आबादी तकरीबन 20 फीसदी है, जिसमें बलूचिस्तान, कराची, रावलपिंडी, मुल्तान, पंजाब, हैदराबाद और लाहौर में शियाओं की अच्छी खासी संख्या है। इस हमले के बाद से ही खासतौर पर शिया वर्ग में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

अफगानिस्तान की 38 मिलियन (3.8 करोड़) आबादी में लगभग 10 से 20 प्रतिशत ही हजारा समुदाय के लोग बचे हैं, जो अक्सर तालिबान की बर्बरता का शिकार होते हैं। हजारा समुदाय के हमीदुल्लाह असदी का कहना है कि उनके पास यह सीधा विकल्प है कि वह अगले घातक हमले की प्रतीक्षा करें या पहाड़ों में बढ़ते सैन्य दल में शामिल हो जाए।

हजारा समुदाय के लोग शिया मुसलमान होते हैं। जो ज्यादातर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में हजारा समुदाय के ऊपर बहुत जुर्म हुए हैं। अफगानिस्तान में अधिकांश सुन्नी मुसलमान हैं, इसलिए हजारा समुदाय के ऊपर सदियों से जुर्म और भेदभाव किया जाता रहा है। तालिबान शासन के दौरान हजारा समुदाय के लाखों लोगों का नरसंहार कर दिया गया।

अभी कुछ समय पूर्व ही पाकिस्तान में हजारा समुदाय के 11 कोयला खननकर्मियों की हत्या बलूचिस्तान के माछ इलाके में कर दी गई थी जिसको लेकर हजारा शिया समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था । इन सभी कोयला कर्मियों को इस दौरान पास की एक पहाड़ी पर ले जाया गया और बाद उन्हें गोली मार दी गई। इनमें से 6 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी। पाकिस्तान में शिया हजारा समुदाय के लोगों का नरसंहार हुआ है जिसने इमरान खान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं

इस्लामिक स्टेट ( आईएस ) भी हजारा समुदाय के शिया लोगों को निशाना बनाते हैं । आईएस ने हमलों की जिम्मेदारी भी ली थी। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अन्य सुन्नी मुस्लिम उग्रवादी समूहों द्वारा भी हजारा और अन्य शिया लोगों के खिलाफ हिंसक हमले और कार्यवाही होती रही है। हजारा शिया हों या अन्य बलोच नागरिक उनके साथ अत्याचार मानवाधिकारों का उल्लंघन है जिसको रोकने के लिए क्षेत्रीय , अन्तरराष्ट्रीय संगठनों और महाशक्तियों को इस विषय में रुचि लेकर अपनी भूमिका अदा करने की जरूरत है क्योंकि आज दुनिया के कई देश कुछ विशिष्ट समुदाय नृजातीय जनसंहार का सामना कर रहे हैं ।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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