ब्लॉग : यूरोपीय संघ एलजीबीटी समुदाय के लिए बना फ्रीडम जोन by विवेक ओझा

दुनिया के कई देशों में कई प्रकार के ऐसे समुदाय रहते हैं जिनके लिए लोगों के मन में घृणा , नफरत , ईर्ष्या , द्वेष का भाव होता है और उस घृणा या नफ़रत की भावना के साथ कुछ समुदायों को निशाना बनाकर उनके खिलाफ अपराध किए जाते हैं जिसे हम हेट क्राइम कहते हैं । हेट क्राइम मानव गरिमा , मानवाधिकारों और मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन माना जाता है । ऐसे ही कुछ हेट क्राइम यूरोपीय देशों में एलजीबीटी समुदाय के खिलाफ बढ़े हैं और ऐसे समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए भी कुछ यूरोपीय देशों द्वारा कानून पारित किए गए हैं। एलजीबीटी समुदाय को परंपरागत मूल्यों , संस्कृति के मानकों के खिलाफ प्रस्तुत करते हुए कुछ यूरोपीय देशों ने एलजीबीटी समुदाय को चाहे अनचाहे निशाना बनाने की कोशिश की है और इसी पूर्वाग्रह को तोड़ने के लिए हाल ही में ब्रुसेल्स स्थित यूरोपीय संसद द्वारा एलजीबीटी समुदाय पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है । हाल ही में यूरोपीय संसद ने सभी 27 सदस्य देशों वाले यूरोपीय संघ को एलबीजीटी समुदाय के फ्रीडम जोन के रूप में मान्यता देने वाले प्रस्ताव को अंगीकृत किया है। पोलैंड और अन्य जगहों पर बढ़ रहे होमोफोबिया को खत्म करने के उद्देश्य से ऐसा निर्णय यूरोपीय संघ द्वारा लिया गया है। यूरोपीय संसद द्वारा स्पष्ट किया गया है कि ईयू को फ्रीडम जोन बनाने के लिए किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 492 वोट और इसके विपक्ष में 141 वोट पड़े।

पिछले 2 वर्षों में पोलैंड में स्थानीय समुदायों ने कई ऐसे प्रतीकात्मक प्रस्तावों को अंगीकृत किया है जिसके जरिए उन्होंने अपने को एलजीबीटी विचारधारा से स्वतंत्र घोषित करने का प्रयास किया है। पोलैंड के शहरों द्वारा अपने पारंपरिक परिवारों जो पुरुष महिला सह संबंधों पर आधारित रहे हैं , को संरक्षण देने के लिए प्रयास किए गए हैं लेकिन एलजीबीटी समुदाय का कहना है कि यह एक भेदभावकारी मानसिकता का प्रतीक है। वहीं पोलैंड जैसे देशों में अपने पारंपरिक पारिवारिक वैवाहिक मूल्यों को बचाने के लिए एलजीबीटी समुदाय के खिलाफ द्वेष बढ़ाते हुए एलजीबीटी फ्री जोन्स बनाने की दिशा में काम हुआ है और इसी के चलते यूरोपीय संसद बाध्य हुई है कि जो यूरोपीय संघ या संसद अपने मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए जाना जाता है वह एलजीबीटी समुदाय के लिए फ्रीडम जोन का निर्माण करे और ऐसा यूरोपीय संसद द्वारा कर भी दिया गया ।

लेकिन पोलैंड ने यूरोपीय संसद के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है । पोलैंड का कहना है कि वह यूरोप के कई अन्य देशों की तुलना में अधिक रूढ़िवादी है । उसे आधुनिक मूल्य अपने कुछ पारंपरिक मूल्यों की कीमत पर बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है । इसके साथ ही पोलैंड ने साफ कर दिया कि वह एक स्वतंत्र संप्रभु देश के रूप में रोमन कैथोलिक धर्म के आधार पर अपने पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को तरजीह देने के लिए स्वतंत्र है।

पोलैंड ने आरोप लगाया है कि यूरोपीय संघ के कानून निर्माता अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य कर रहे हैं। पोलैंड के पास अपने पक्ष में कहने के लिए बहुत कुछ है और पोलैंड को लगता है कि उसके तर्क सही हैं। पोलैंड यह भी कहता है कि कई पश्चिमी यूरोप के देशों की तुलना में उसके यहां हेट क्राइम की दर कम है लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है की पोलैंड में होमोफोबिया को कहीं न कहीं बढ़ावा मिला है जिसके चलते यूरोपीय संसद को एलजीबीटी समुदाय के पक्ष में पोलैंड के तर्कों को दरकिनार करते हुए प्रस्ताव पारित करने का नैतिक दबाव सामने आया।

यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कहा गया है कि एलजीबीटी समुदाय के मौलिक अधिकारों का हंगरी जैसे देशों में भी गंभीर रूप में उल्लंघन हुआ है । हंगरी की संसद द्वारा हाल ही में देश के संविधान में "परिवार" की अवधारणा को फिर से परिभाषित करने के लिए मतदान किया गया है। यह एक ऐसा कदम था जो समलैंगिक युगल यानी सेम सेक्स कपल को बच्चा गोद लेने से रोकेगा। मानवाधिकार समूहों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के समर्थकों ने हंगरी सरकार के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया ।

इसलिए हंगरी और अन्य देशों में एलजीबीटी समुदाय को लेकर कुछ मुद्दों पर विचार विमर्श को बढ़ावा पिछले कुछ महीनों में मिला है। एलजीबीटी माता-पिता के अधिकारों को संबोधित करने के लिए, बच्चों में जेंडर संबंधी असमानता को खत्म करने के लिए , विधि मूल्यांकन से जुड़े कमीशन रूल में क़ानूनी रूप से जेंडर की पहचान को बैन किए जाने और हंगरी के खिलाफ अनुच्छेद 7 टी ई यू ( ट्रीटी ऑफ यूरोपियन यूनियन ) की कार्यवाही किये जाने की मांग भी की गई है। हंगरी में ट्रांसजेंडरों के लीगल जेंडर रिकॉग्निशन पर प्रतिबंध लगाए जाने को भी दुर्भाग्यपूर्ण माना गया है।

यूरोपीय संसद ने स्पष्ट किया है कि केवल दो देश माल्टा और जर्मनी ऐसे हैं जिन्होंने कन्वर्जन थेरेपी पर प्रतिबंध लगाया है । कनवर्जन थेरेपी एक विवादास्पद तरीका है जिसमें किसी व्यक्ति के जेंडर ओरिएनटेशन यानी लैंगिक रुझान में बदलाव लाने का प्रयास किया जाता है। लैंगिक असमानता, मानव इतिहास में अन्याय का एक सबसे निरन्तर और व्यापक रूप है, इसलिए इसे मिटाने के लिए बदलाव की दिशा में एक सबसे बड़े आंदोलन की आवश्यकता होगी। यूरोप में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की विधिक स्वीकृति विश्व के अन्य देशों की सकारात्मक सोच निर्मित कराने में मददगार साबित होगी।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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