ब्लॉग : ब्रिक्स के न्यू डेवलपमेंट बैंक की सदस्यता विस्तार के मायने by विवेक ओझा

आपने ब्रिक्स का नाम तो सुना ही होगा । 5 उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं का समूह है ये , ऐसी अर्थव्यवस्थाएं जो विकासशील हैं और विकसित बनने का इरादा रखती हैं। इसलिए इन पांच देशों ने अपनी आर्थिक जरूरतों और साझे क्षेत्रीय विकास के लिए एक ब्रिक्स बैंक भी बनाया था जिसे बाद में ( वर्तमान में भी) न्यू डेवलपमेन्ट बैंक के नाम से जानते हैं। इस बैंक के बनने से लेकर अब तक इसमें 5 ही देश शामिल थे जो ब्रिक्स के पूर्ण सदस्य थे यानी ब्राज़ील , रूस , भारत , चीन और दक्षिण अफ्रीका। लेकिन अब पहली बार हाल ही में 3 अन्य देशों को नव विकास बैंक का पूर्ण सदस्य बनाया गया है। संयुक्त अरब अमीरात, उरुग्वे और बांग्लादेश को अपने पहले विस्तार अभियान में NDB के सदस्य देशों के रूप में स्वीकार किया गया है। रिपोर्ट्स बताते हैं कि पिछले साल से संभावित नए सदस्यों के साथ औपचारिक बातचीत शुरू की गई थी। नए सदस्य देश तीन अलग अलग क्षेत्रों से हैं । इससे पता चलता है कि ब्रिक्स अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में खाड़ी क्षेत्र , बिम्सटेक अथवा बंगाल की खाड़ी की उभरती अर्थव्यवस्थाओं और दक्षिण अमेरिका क्षेत्र से गठजोड़ की मंशा रखता है। NDB के अध्यक्ष मार्कोस ट्रॉयजो ने साफ तौर पर कहा है कि नए सदस्यों के पास NDB में बुनियादी ढांचे और सतत विकास में उनके सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच होगा। हम क्रमिक और संतुलित तरीके से बैंक की सदस्यता का विस्तार करना जारी रखेंगे।

गौरतलब है कि एनडीबी का उद्देश्य ब्रिक्स और अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं तथा विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे एवं सतत विकास परियोजनाओं के लिए व्‍यापक संसाधन जुटाना है, ताकि वैश्विक प्रगति व विकास के लिए बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा वर्तमान में किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाई जा सके। एनडीबी ने अब तक भारत की 14 परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें 4,183 मिलियन डॉलर की राशि निहित है।

भारत ने पिछले वर्ष ब्रिक्स देशों को लगभग 5 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता तेजी से उपलब्‍ध कराने के लिए एनडीबी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की थी  जिसमें कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए भारत को 1 अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता देना भी शामिल था। इसी क्रम में भारत की वित्त मंत्री ने यह सुझाव दिया था कि इस सुविधा के तहत सहायता राशि को बढ़ाकर 10 अरब डॉलर कर दिया जाना चाहिए।

वर्ष 2019-2020 में किस प्रकार सक्रिय रहा नव विकास बैंक :

वर्ष 2019 में भारत और न्यू डेवलपमेंट बैंक की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली में किया गया था जिसका उद्देश्य था भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के साथ एनडीबी से अधिक से अधिक जुड़ाव का अवसर देना जिससे विकास के लिए वित्तीयन  को बढ़ावा दिया जा सके । यह एक महत्वपूर्ण पहल थी क्योंकि विकासशील देशों में विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के वित्तीय जरूरतों को पूरा करना जरूरी हो गया है । इसके कुछ ही समय बाद  आंध्र प्रदेश की अवसंरचना परियोजनाओं के लिए  ब्रिक्स बैंक ने 646 मिलियन डॉलर के ऋण को मंजूरी दी थी। इससे राज्य में सड़क नेटवर्क मामलों में सुधार लाया जाएगा । ग़ौरतलब है कि विकास के लिए वैश्विक साझेदारी  वर्ष 2000 में अपनाए गए 8 सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों का 8 वां प्रमुख लक्ष्य था । वर्ष 2002 में मेक्सिको के मोंटेरी में विकास के लिए वित्तीयन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 2008 में कतर के दोहा में और 2015 में इथियोपिया के अदिस अबाबा में भी फाइनेंसिंग फॉर डेवलपमेंट के लिए वैश्विक आवाहन किया गया था । जब वर्ष 2015 में 17 सतत विकास लक्ष्यों वाले एजेंडा 2030 को संयुक्त राष्ट्र  ने अपनाया तो उसमें भी 17 वें लक्ष्य के रूप में लक्ष्य प्राप्ति के लिए सामूहिक साझेदारी को चुना गया है । ब्रिक्स का न्यू डेवलपमेंट बैंक विकास के लिए वित्तीयन के इसी आदर्श पर काम कर रहा है । 

 वास्तव में वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर विकास की परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए आज कई डेवलपमेंट बैंक और वैश्विक आर्थिक संगठन काम कर रहे हैं । इसी क्रम में उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं यानि ब्रिक्स देशों में विकास को बढ़ावा देने में  न्यू डेवलपमेंट बैंक की भूमिका सराहनीय है । उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के हित में भारत चीन के नेतृत्व में न्यू डेवलपमेंट बैंक ने हाल में कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए हैं । अगस्त 2019 में  इसने  डॉलर फंडिंग से हटकर लोकल करेंसी लेंडिंग का निर्णय किया है। इस बैंक के अध्यक्ष के. वी. कामथ ने हाल ही में कहा है कि निकट भविष्य में इस बैंक की 50 प्रतिशत परियोजनाएं स्थानीय मुद्रा में वित्त पोषित की जाएंगी। इससे अमेरिका सहित यूरोपीय देशों के समक्ष यह संदेश जाएगा विकासशील देश भी अपने आर्थिक हितों के लिए सक्रिय हैं , और इससे इन देशों की विकसित देशों से सौदेबाजी की क्षमता में भी वृद्धि होगी । हाल के समय न्यू डेवलपमेंट बैंक उभरती अर्थव्यवस्थाओं के प्रगति के संवाहक के रूप में वैश्विक पहचान पा रहा है । जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने 20 अगस्त , 2019 को  ब्रिक्स को के AAA  के साथ वैश्विक स्तर पर   सर्वाधिक रेटिंग दी है । इसके अलावा  अगस्त 2019 में ही  न्यू डेवलपमेंट बैंक ( पूर्व में ब्रिक्स बैंक )  ने कहा है कि 10 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ रेट के साथ भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बन सकता है । इस विकास बैंक ने विकासशील देशों की आर्थिक क्षमता और उनकी संभावनाओं का उत्साह वर्धन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। 

न्यू डेवलपमेंट बैंक के गठन से जुड़े पहलू -

वर्ष 2012 में नई दिल्ली में  ब्रिक्स के चौथे समिट में ब्रिक्स देशों ने विकास परियोजनाएं और अवसंरचात्मक विकास के लिए एनडीबी जैसे बैंक के गठन की संभावना पर विचार किया था । इसके लिए ब्रिक्स देशों  के वित्त मंत्रियों द्वारा रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया गया और इस हेतु एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाकर ऐसे बैंक के गठन की व्यवहार्यता पर 2013 के समिट में रिपोर्ट देने को कहा गया । 2013 में डरबन  में पांचवें ब्रिक्स समिट में  वित्त मंत्रियों की रिपोर्ट के बाद एनडीबी को बनाने पर विचार शुरू हुआ । इसके बाद ब्राजील के  फोर्टालेजा में 2014 में ब्रिक्स के छठे समिट में न्यू डेवलपमेंट बैंक के गठन के लिए सदस्य देशों ने एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया । इस प्रकार फोर्टालेजा उद्घोषणा के साथ औपचारिक , आधिकारिक स्तर पर इस बैंक के गठन की घोषणा हुई ।

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इस उद्घोषणा में साफ किया गया कि यह वैश्विक स्तर के बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं के विकासात्मक कार्यों में सहयोगी और अनुपूरक का काम करेगा , इस प्रकार यह दक्षिण अमेरिकी संगठन यूनासुर की तरह वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ जैसी संस्थाओं को प्रतिद्वंदी मानने वाला बैंक नहीं है । 7 जुलाई , 2015 को रूस में ब्रिक्स के उफा समिट में न्यू डेवलपमेंट बैंक एक वैधानिक इकाई के रूप में  अस्तित्व में आ गया । चीन के साथ हेडक्वार्टर एग्रीमेंट करने के साथ ही 27 फरवरी , 2016 को यह बैंक पूर्ण रूप से कार्यशील हो गया ।  इसका मुख्यालय शंघाई में है । इसके अध्यक्ष के वी कामथ हैं । इसमें 4 वाइस प्रेसिडेंट , और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का प्रावधान किया गया है । बैंक की आरंभिक चुकता पूंजी 50 बिलियन डॉलर ( एक समान योगदान ) तय की गई थी , अब यह 100 बिलियन डॉलर राशि वाला बैंक हैं जिसमें सभी सदस्य देशों की भागीदारी 20 बिलियन डॉलर ( प्रत्येक सदस्य) है । इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का पहला अध्यक्ष रूस को बनाने का निर्णय हुआ था।  इस बैंक का पहला क्षेत्रीय केंद्र 2017 में जोहांसबर्ग में लॉन्च हुआ जो 2018 में कार्यशील हो गया है । इस बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का पहला चेयरमैन भी ब्राजील को बनाने का निर्णय लिया गया।

न्यू डेवलपमेंट बैंक की विकासशील देशों में  भूमिका -

न्यू डेवलपमेंट बैंक एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका गठन सभी ब्रिक्स देशों ने मिलकर किया है । इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की हिस्सेदारी है । इस बैंक का आर्टिकल ऑफ एग्रीमेंट कहता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश एनडीबी के सदस्य बन सकते हैं लेकिन ब्रिक्स देशों का इस बैंक में शेयर ,  मताधिकार के 55 प्रतिशत से कम किसी भी हाल में नहीं होगा।  इस बैंक में सभी पांचों देशों की शेयरधारिता और मताधिकार 20 प्रतिशत है । 1 अप्रैल , 2019 को न्यू डेवलपमेंट बैंक की चौथी वार्षिक बैठक का आयोजन केपटाउन में  किया गया था । इस बैठक में कहा गया कि इस बैंक का मुख्य उद्देश्य सतत विकास को और विकास की सतत अवसंरचना को बढ़ावा देना है । इस बैठक में कहा गया कि क्रय शक्ति समता की दृष्टि से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में ब्रिक्स देशों का शेयर वर्ष 2010 के 30 प्रतिशत से बढ़कर अब 36 प्रतिशत हो गया है । इस बैठक में एनडीवी की उपलब्धियां बताते हुए कहा गया कि 2017 के अंत तक 3.4 बिलियन डॉलर के कुल 13 ऋण विविध परियोजनाओं के लिए दिए जा चुके हैं । 2018 में 17 ऋणों को स्वीकृति दी गई है जिसकी राशि 4.6 बिलियन है । इस प्रकार अब एनडीबीे के बैनर तले कुल 30 विकास परियोजना संबंधी ऋण ( कुल राशि 8 बिलियन डॉलर ) को मंजूरी दी गई है।

ब्रिक्स के आधिकारिक दस्तावेज बताते हैं कि ब्रिक्स बैंक ( अब एनडीबी) वर्तमान में दिए जाने वाले कुल ऋण का 60 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं के लिए देता है और इसमें परिवहन , स्वच्छ ऊर्जा , जल और स्वच्छता प्रबंधन और शहरी विकास को जोड़ दिया जाए तो यह 80 प्रतिशत से अधिक हो जाता है । इस प्रकार यह बैंक सतत विकास और एजेंडा 2030 के हिसाब से 17 सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में सक्रिय हो कर काम कर रहा है । 2018 में इस बैंक को एए प्लस इंटरनेशनल रेटिंग फिच और एस एंड पी ग्लोबल से भी मिल चुका  है जिससे अब इसकी पहुंच वैश्विक पूंजी बाज़ार तक अनुकूल शर्तों के साथ हो गई है । सतत विकास  के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाते हुए एनडीबी ने 2019 में अपने द्वारा दिए जाने वाले ऋण की मात्रा दोगुना यानि 16 बिलियन करने की घोषणा भी की है । इस बैंक ने चीनी इंटरबैंक बॉन्ड मार्केट से 3 बिलियन डॉलर मूल्य वाले रेनमिनबी का दूसरा बॉन्ड जारी किया है और दक्षिण अफ्रीका, भारत और रूस  में लोकल करेंसी बॉन्ड जारी करने की योजना भी बना रहा है । यह बैंक इक्विटी निवेश भी शुरू करने  और प्रोजेक्ट प्रिपरेशन फंड को कार्यशील बनाने की योजना पर काम कर रहा है । न्यू डेवलपमेंट बैंक के इन प्रयासों से निश्चित रूप से विकासशील देशों में कई चुनौतियों से निपटने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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