ब्लॉग : सॉफ्ट पॉवर का उपकरण बनती एक्ट ईस्ट पॉलिसी by विवेक ओझा

वर्ष 2022 में भारत और वियतनाम के कूटनीतिक संबंधों की 50 वीं वर्षगांठ पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत और वियतनाम ने यह निर्णय किया है कि वे इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडिया वियतनाम कल्चरल एंड सिविलाइजेशनल रिलेसंस प्रकाशित करेंगे । इस रूप में भारत ने अपने एक्ट ईस्ट पॉलिसी को सॉफ्ट पॉवर के एक उपकरण के रूप में देखा है । भारत वियतनाम वर्चुअल समिट में भारतीय प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि वियतनाम भारत के एक्ट ईस्ट पॉलिसी का प्रमुख स्तंभ है और साथ ही भारत के इंडो पैसिफिक विजन का भी। चाहे मेकांग गंगा कोऑपरेशन जैसा क्षेत्रीय पहल हो या फिर बिमस्टेक जैसे क्षेत्रीय संगठनों के जरिए दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और दक्षिण एशियाई देशों के अन्तर संपर्कों को मजबूती देने की बात हो , या फिर एशिया कोऑपरेशन डायलॉग के जरिए एशियाई देशों के मध्य विश्वास निर्माण के उपाय हों , इन सभी स्तरों पर भारत अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के जरिए अपने हितों को संरक्षित करने के प्रयासों में लगा है । वर्तमान समय में भारत सरकार का एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर विशेष जोर है।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी को पड़ोसी देशों और क्षेत्रों में मजबूती देने के प्रयास तो हो ही रहे हैं लेकिन इसके साथ ही भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को इस पॉलिसी को आत्मसात कराने के प्रयास भी जारी हैं। पिछले वर्ष
भारतीय प्रधानमंत्री ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए इस संस्थान को भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को अधिक परिणाम मूलक बनाने के लिए अपनी सशक्त भूमिका निभाने का आवाहन किया था । भारतीय प्रधानमंत्री ने था कि एक्ट ईस्ट पॉलिसी के भाग के रूप में अब भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संबंधों को मजबूती देने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। पूर्वोत्तर का ये क्षेत्र, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्र भी है। यही क्षेत्र, साउथ ईस्ट एशिया से भारत के संबंध का मुख्यद्वार भी है। इन देशों से संबंधों का मुख्य आधार, संस्कृति, व्यापार, अंतर्संपर्क और क्षमता रहा है और अब शिक्षा भी एक और नया माध्यम बनने जा रही है।

भारत की विदेश नीति में हाल के वर्षों में एक सबसे बड़ा परिवर्तन यह आया है कि यह हिन्द महासागर से एक कदम आगे एशिया प्रशांत केंद्रित हुई है । इसके लिए भारत ने पूर्व की ओर देखो की नीति से आगे एक्ट ईस्ट पॉलिसी को अपनाया है जो कि एशिया - प्रशांत क्षेत्र में भारत के सागरीय व्यापार के हितों और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के अलावा अन्य प्रशांत महासागरीय देशों को अपने सुरक्षा , व्यापार और विकास के लिए मजबूती से जोड़ने की नीति है । एक्ट ईस्ट पॉलिसी को मजबूती देने के लिए इसी क्रम में उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों को प्रतिबद्ध बनाने के उपाय किए गए हैं।

असम सरकार ने कुछ वर्ष पहले एक्ट ईस्ट पॉलिसी डिपार्टमेंट का गठन किया है और ऐसा करने वाला असम भारत का पहला राज्य है । उत्तर पूर्वी भारत की आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा की दृष्टि से मिनी भारत कहे जाने वाले असम की अति महत्वपूर्ण भूमिका है जिसकी पहचान भारत की विदेश नीति के स्तर पर की गई है । हाल के समय में विदेश नीति में राज्यों की सकारात्मक भूमिका को जिस तरह से तरजीह दी गई है, वो राज्यों के मनोबल को भी बढ़ाने वाला है और इस रूप में पैराडिप्लोमेसी ( विदेश नीति के संचालन में राज्यों की भूमिका ) को भी महत्ता मिलनी शुरू हुई है। जिन भारतीय राज्यों की पड़ोसी देशों के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सीमाएं साझा होती हैं , उनकी भूमिका विदेश नीति में बढ़ाने से महत्वपूर्ण परिणामों की प्राप्ति हो सकती है।

भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी :

भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी एशिया-प्रशांत क्षेत्र और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के विस्तारित पड़ोसी देशों पर केंद्रित है जिन्हें भारत अब एक्सटेंडेड नेबरहुड के रूप में देखने लगा है । इस नीति को मूल रूप से आर्थिक पहल के तौर पर शुरू किया गया था जिसमें वार्ता एवं सहयोग के लिए संस्थागत तंत्रों को स्थापित किए जाने के साथ ही राजनीतिक, रणनीतिक तथा सांस्कृतिक आयामों को भी शामिल किया गया हैं। इसमें दक्षिण पूर्वी एशिया , पूर्वी एशिया , दक्षिण एशिया और एशिया प्रशांत के देशों और उनके क्षेत्रीय संगठनों और संस्थाओं से गठजोड़ कर आर्थिक , सामरिक , कूटनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति पर बल दिया गया है। भारत ने आसियान, एआरएफ, ईएएस, बिमस्टेक, एसीडी, एमसीजी तथा आईओआरए जैसे संबंधित क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय संगठन के साथ घनिष्ठ सहभागिता विकसित करने का प्रयास जारी रखा है। परिवहन अवसंरचना निर्माण, इस क्षेत्र में संपर्क विकसित करने के लिए एयरलाइंस को प्रोत्साहित करना, शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक संस्थानों के बीच संपर्क सहित कई उपाय किए जा रहे हैं।

अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक मार्गों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की वकालत करने वाला देश है । सागर सुरक्षित है तो समृद्धि और स्थिरता सुरक्षित है , भारत इस सोच के साथ सागरीय नौगमन की स्वतंत्रता की बात करता है। 22 अगस्त , 2019 को भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर नौगमन की स्वतंत्रता के लिए संयुक्त वक्तव्य जारी किया और इस वक्तव्य में दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर विवाद का सीधे तौर पर जिक्र ना करते हुए एशिया पैसिफिक की सुरक्षा की बात की , जबकि इशारा दक्षिण चीन सागर और उसके द्वीप विवादों की तरफ ही था । इसके अलावा भारत ने समुद्री व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के प्रश्न को 3-4 सितंबर को इंडियन ओशन कॉन्फ्रेंस के मालदीव में आयोजित हुए चौथे संस्करण में प्राथमिकता के साथ रखा । इस अधिवेशन में भारत , श्रीलंका , सिंगापुर जैसे प्रमुख देशों ने अपनी सहभागिता दर्ज की । सागरीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के प्रश्न को एक कदम और बढ़ाते हुए भारत और रूस ने हाल ही में एक नया इंडो पैसिफिक मैरीटाइम रूट लॉन्च करने पर सहमति व्यक्त की है जो कि रूस के सुदूर पूर्व के बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक से बंगाल की खाड़ी के निकट चेन्नई तक विस्तृत होगा । इस प्रकार एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत के एशिया प्रशांत क्षेत्र , हिन्द प्रशांत क्षेत्र में संलग्न व्यावसायिक और रणनीतिक हितों को साधने का प्रभावी उपकरण है।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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