बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम - वैकल्पिक विषय "सिविल इंजीनियरिंग" (Bihar Public Service Commission (BPSC) Mains Exam Syllabus - Optional Subject "Civil Engineering"


बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम - वैकल्पिक विषय "सिविल इंजीनियरिंग" (Bihar Public Service Commission (BPSC) Mains Exam Syllabus - Optional Subject "Civil Engineering"


खण्ड- I (Section - I)

भाग (क) संरचनाओं के सिद्धांत तथा अभिकल्पन

(क) संरचनाओं के सिद्धांतः- ऊर्जा प्रमेय, कैस्ट्रिग्लिआनोऐनी प्रमेय 1 और 2, धरन तथा कील सम्बद्ध (पिन- ज्वाइंटिड) सादे ढांचों पर प्रयुक्त एकांक भार पद्धति तथा संगत विरूपन, अनिवार्य, धारनों तथा दृढ़ ढांचों के विश्लेषण के लिए प्रयुक्त ढाल विक्षेप, आधूर्णा वितरण तथा कानों की विधि।

गतिमान भार घरनों पर चलने वाले गतिमान भार तंत्र में अधिकतम अपरुपण बल तथा बंकन आघुर्ण निर्धारण के लिए निबंध, शुद्रालम्ब समतल पिनज्वांइटिड गर्डर के लिए प्रभाव रेखायें।

डाटः त्रिकोल, द्विकिल तथा आबद्ध डाटें-- पशु का लघुवन, तापमान प्रभाव, प्रभाव रेखाएँ। विश्लेषण की मैट्रिक्स विधियाँः बल विधि तथा विस्थापन विधि।

(ख) संरचनात्मक इस्पातः सूरक्षांक और भार के घटक विधि तनाव तथा संपीडन अवयन का अभिकल्प संघटित काट के घरणरिबेट लगे और बल्ड किए गए प्लेट गर्डर, गैटि गार्डर, बैटन तथा लेसिंग सहित स्थाणुक, स्लैब और संगम पट्टिका युक्त आधार। महामार्ग तथा रेलवे पुलों के अभिकल्प, अन्तवाही और पृष्ठवाही प्रकार के प्लेट गर्डर, बारेन गर्डर और प्रेट कैंची।

(ग) प्रबलित कंक्रीट, लिमिट स्टेट विधि अभिकल्प, भारतीय मानक (आई॰एल॰) कोडो की सिफारिश वन-वे ऐंड टू-वे स्लैब का डिजाईन, सोपान स्लैब, आयताकार, टी आर एल काट के शुद्धालम्ब तथा संतत धरण।
उत्केन्द्रता सहित अथवा रहित अक्र्षीय भार के अंतर्गत संपीडन अवयव।

प्रतिकारक भित्तियां, ठैकेदार तथा पुश्तेदार (काउन्ट फोर्ट) प्रकार की प्रतिधारक भित्तियां।

पूर्व प्रतिबलन की पद्धतियाँ और विधियाँ, स्थिरक, आनमन तथा पूर्व प्रतिबलन की हानि के लिए काट लें (सैक्शनस) का विश्लेषण एवं अभिकल्प।

भाग (ख) तरल यांत्रिकी

तरल गुण तथा तरल गति में उनकी भूमिका, समतल तथा वक्र धरातलों पर सक्रिय बलों सहित तरल स्थैनिकी तरल प्रवाह की गतिकी तथा शुद्धगतिकी बैग तथा स्वरण, प्रवाह रेखा सातत्य समीकरण, अधूर्णा तथा धूर्णा प्रवाह बैग विभव तथा धारा फलन, प्रवाह जाल तथा जाल को आरेखन विधियाँ सीत तथा गत्र्त पार्थक्य तथा प्रगतिरोध।

गति की ईमूलर की समीकरण, ऊर्जा तथा संवर्ग समीकरण तथा नलिका प्रवाह के लिए उनका अनुप्रयोग मुक्त तथा प्रणोदित प्रमिलता, तल तथा वक्रित, स्थिर और गतिमान पंखुड़िया, स्लम, गेट, वायरस आंपरिफ्सि मीटर तथा वेन्टुरी मापी। विमीज विश्लेषण तथा सादृष्य वर्किथं का पाई प्रमेय, समरूपतायें प्रतिरूप (मांडल) नियम अधिकृत तथा विकृत प्रतिरूप (मांडल) चल शक्या मांडल अंशशोधन।

स्तरीय प्रवाह- समान्तर स्थिर तथा गतिमान पट्टियों के बीच स्तरीय प्रवाह, नली से प्रवाह रनोशस प्रयोग एतेहन (तेल देने) के नियम।

सीमान्त स्तर- जतटी प्लेट पर स्तरीय और विक्षुब्ध सीमान्त स्तर स्तरीय उपस्तर, विधकण तथा रूप सीमान्त कर्षण तथा उत्थापन। नलियों से विक्षुब्ध प्रवाह विक्षुब्ध प्रवाह के गुणाधर्म, बैग कंटन तथा धर्षण का विचरण द्रवीथ-ग्रेड रेसा तथा समग्र ऊर्जा रेसा, साइफन्स में प्रसार तथा संकुचन, पाईप जल, जल प्रग्राति आधात।

विद्युत् वाहिका प्रवाह- एक समान तथा असमान प्रवाह, विशिष्ट ऊर्जा तथा विशिष्ट बल, क्रांतिक गहराई, प्रतिरोध समीकरण तथा रूक्षता गुणांक का विचरण द्रुतगामी परिवत्र्ती, संकुचन में प्रवाह, आकस्मिक पात पर प्रवाह, जलीच्छाल तथा इसके अनुप्रयोग, हिल्लोल और तंरगें, शनै-शनै परिवत्र्ती प्रवाह, शनै-शनै परिवत्र्ती प्रवाह के लिए अवकल समीकरण, धरातल परिच्छेदिका (प्रोफाइल) का वर्गीकरण, नियंत्रण काट, परिवत्र्ती प्रवाह समीकरण के समाकलन की सोपानी विधि।

भाग (ग) मृदा यांत्रिकी तथा नींव इंजीनियरिंग।

मृदा संघठन, इंजीनियरी आचरण पर मुक्ति खनिज का प्रभाव, प्रभावी प्रतिबल नियम, जल प्रवाह परिस्थिति के कारण प्रभावी प्रतिक में परिवर्तन, स्थिर जल स्तर तथा अपरिवत्र्ती प्रवाह परिस्थितियां, मृदा की पारगम्यता तथा संपीडयता।

सामप्र्य आचरण, अशीय तथा त्रिअक्षीय परीक्षणों द्वारा सामथ्र्य निर्धारण, समग्र तथा प्रभावी प्रतिबल सामप्र्य पैरामीटर्स, समग्र तथा प्रभावी प्रतिबल पथ।

स्थल अन्वेषण की रीतियां, अद्यस्तल गर्वेक्षण कार्यक्रम की योजना, प्रतिबंधन प्रक्रियाएं तथा प्रतिदर्शी विक्षोम, प्रवेश परीक्षण या प्लेट लोड, परीक्षण और आंकड़ा निर्वचन।

नींवों के प्रकार तथा चयन, पाद, रेफ्ट स्थूण, प्लवमान नींव पादाकृति विमाओं विस्तार, अंतःस्थापना की गहराई, मार का झुकाव तथा भूमि जल स्तर का धारण क्षमता पर प्रभाव, तत्काल तथा संपीडन निषदन घटक, निषदनों के लिये संगणना समग्र तथा विभेदीनिष्दन की सीमाएं दृढ़त के लिए संशोधन।

गहरी नींव, गहरी नींवों का दर्शन स्थूण एकल तथा समूह क्षमता का आकलन, स्थिर तथा गतिक उपगम स्थूण भार पराक्षण, चर्म घर्षण तथा बिन्दु वायरिंग में अलगाव, अण्डररीमड स्थूणा, पुलों के लिए कूप नीवं तथा डिजाइन के पहलू।

मृदादाव प्लास्टिक साम्य की स्थिति, पाश्र्व प्रणोद का निर्धारण करने के लिए कुलमत्रस की कार्य विधि, स्थिरक बल तथा बेधन गहराई का निर्धारण प्रवलित मृदा प्रतिभारक भित्ति संकल्यना, सामग्री तथा अनुप्रयोग।
मशीनी नींवें, कम्पन के रूप प्राकृतिक आवृत्ति का निर्धारण, डिजाइन के लिए निष्कर्ष (मानदंड), मृदा पर कम्पन का प्रभाव, कम्पन का अलगाव।

भाग (घ) संगणक कार्यक्रम-

संगणक के प्रकार, संगणक के अवयव, इतिहास तथा विकास, विभिन्न भाषाएँ। फोर्टान (सूत्रानुवाद) मूल कार्यक्रम, अचर, चर व्यंजक अंक गणितीय कथन पुस्तकालय कार्य नियंत्रक कथन, अप्रतिबंधित गो-टू (Go-To) कथन, संगणित गोटू (Go-To) कथन, इफ (IF) तथा डू (Do) कथन, जारी रखें (CONTINUE) मंगाओ, (CALL) वापिस भेजो, (RETURN) रोको, (STOP) समाप्त करो (END) कथन, आई ओ (IO) कथन, फार्मेटस (FORMATS), क्षेत्रीय विनिर्देश।

वादलिपि चर, ब्यूह बिमा (Dimension) कथन, फलन तथा उपनित्यक्रम उपकार्यक्रम, सिविल इंजीनियरी में प्रवाह-संचित्र सहित साधारण समस्याओं के लिए अनुप्रयोग।

खण्ड- II (Section - II)

उम्मीदवार निम्नांकित चार भागों में से किन्हीं दो भागों के प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं।

भाग क- भवन निर्माण।

निर्माण सामग्री के भौतिक तथा यांत्रिक गुण, चयन को प्रभावित करने वाले घटक, ईंट तथा मृतिक उत्पाद, चुना और सिमेंट, बहुलक सामग्री तथा विशेष उपयोग, आर्द्धता रोधी (साल रोधक) सामग्री।

दीवारों के लिए ईंट कार्य प्रकार, खोसला आई एस कोड के अनुसार ईंट की सिनई की दीवार का डिजाइन, सुरक्षांक उपयोग्यता तथा सामथ्र्य के लिए आवश्यक बातें, दीवारों तलों (फर्शों, छतों, अंतरछद के विवरण कार्य भवनों का परिष्कृति, प्लास्टर करने, टोप करने, प्रलेप करने की परिष्कृति।

भवन की प्रकार्यात्मक योजना, भवनों का दिकविन्यास, अग्निसह निर्माण के अवयव, क्षतिग्रस्त तथा दरार पड़े भवनों को मरम्मत, फेरो-सीमेंट का उपयोग, निर्माण में फाइवर प्रवति तथा बहुलक कंक्रीट का उपयोग, अल्प लागत आवास के लिए तकनीकें तथा सामग्री।

भवन आकलन तथा विशिष्टियाँ निर्माण का नियोजन, पी॰ई॰आर॰टी॰ तथा सी॰पी॰एम॰ पद्धतियाँ।

भाग- (ख) परिवहन इंजीनियरिंग-

मार्ग यातायात इंजीनियरी तथा यातायात सर्वेक्षण, चैराहे मार्ग चिह्न संकेत तथा चिह्न लगाना।

मार्गों का वर्गीकरण, योजना तथा ज्योमित्तीय डिजाइन।

सुनम्य तथा दृढ़ कुट्टियों के डिजाइन, परतों तथा डिजाइन पद्धतियों पर भारतीय मार्ग कांग्रेस द्वारा प्रस्तुत मार्गदर्शी रूप रेखाएँ।

भाग- (ग) जल संसाधन तथा सिंचाई इंजीनियरिंगः-

जल विज्ञानः जलीय चक्र अवशेषण, वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, अवनमन संचयन, अतः स्पदनजलारेस यूनिट जलारेस आवृत्ति विश्लेषण, बाढ़ आकलन।

भू-जल प्रवाह- विशिष्ट लब्धि, संचयन, गुणांक पारागम्यता का गुणांक परिरूद्ध तथा अपरिरूद्ध जल वाही स्त्तर परिरूद्ध तथा अपरिरूद्ध स्थितियों के अंतर्गत एक कूप के भीतर अरीय प्रवाह नल कूप, पम्पन तथा पुनज्ञप्ति परीक्षण भू-जल पोटेंशियल।

जल संसाधन योजना- भू तथा धरातल जल संसाधन एकल तथा बहुउद्देशीय परियोजनाएँ, जलाशयों की संचयन क्षमता, जलाशय हानियाँ, जलाशय अक्सादन, जलाशयों द्वारा बाढ़ मार्ग, जल संसाधन परियोजना का
अर्थशास्त्र।

फसलों के लिए जल की आवश्यकता- जला का क्षयी उपयोग, सिंचाई जल की गुणवत्ता, कृत्ति तथा डेल्टा, सिंचाई के तरीके तथा उनकी दक्षाएं।

नहरें- नहर सिंचाई के लिए आवंटन पद्धति, नहर क्षमता, नहर की हानियाँ, मुख्य तथा वितरिका- नहर का संरेक्षण काट अस्तरित वाहिस्का उनके डिजाइन रिजोम सिद्धांत, क्रांतिक अपरूपण प्रतिजल तल भार, स्थानीय तथा निलम्बित भार परिवहन तथा अस्तंरित अनास्त्रंरित नहरों की लागत का विश्लेषण, अस्तर के पीछे जल निकास।

जल ग्रस्तता- कारण तथा नियंत्रण,जल निकास-- पद्धति का डिजाइन, लवणता।

नहर संरचना, नियमन का डिजाइन कोस जल निकास तथा संचार कार्य कोस, नियंत्रक मुख नियामक, नहर प्रपात, जलवाही सेतु अवनलिका तथा नहरों निकास में मापन।

द्विक्परिवत्र्ती शीर्ष कार्य, पारगम्य तथा अपारगम्य नीवों पर वीयर के डिजाइन के सिद्धांत, खोसला का सिद्धांत, ऊर्जा क्षय, शमन, द्रोणी, साद अपवर्जन।

संजयन कार्य- बांधों की किस्में, दृढ गुरूत्व तथा भू-बांधों के डिजाइन सिद्धांत, स्थायित्व विश्लेषण, नीवों का उपचार जोड़ तथा दीर्घाएँ, निस्पंदन का नियंत्रण, निर्माण पद्धतियाँ तथा मशीनरी।

उत्पलव मार्ग, प्रकार, शिखिर, द्वार ऊर्जा क्षय।

नदी प्रशिक्षण- नदी प्रशिक्षण के उद्देश्य, नदी प्रशिक्षण के तरीके।

भाग- (घ) पर्यावरण इंजीनियरिंगः-

जल पूर्ति के स्रोंतों की प्रतिशतता का आकलन, भूमि तथा भूपृष्ठ जल, भूपृष्ठ जल द्रव-इंजीनियरी, जल मार्ग की प्रागुक्ति, जल की अशुद्धता तथा उनका महत्व, भौतिक, रासायनिक तथा जीवाणु-विज्ञान-सम्बन्धी विश्लेषण, जल से होने वाली बीमारियों, पेय जल के लिए मानक, जल अन्तग्र्रहण, पंपन तथा गुरुत्व योजनाएँ।

जल उपचार- सकंदन के सिद्धांत, उर्णन तथा सादन, मंददुत दाव, द्विप्रवाह एवं बहु-माध्यम फिल्टर, क्लोरीनीकरण मृदुकरण, स्वाद गन्ध तथा लवणता को दूर करना।

जल संग्रहण तथा वितरण- संग्रहण एवं संतुलन जलाशय- प्रकार, स्थान और क्षमता।

वितरण प्रणालियाँ- अभिन्यास, पाइप लाइनों की द्रव इंजीनियरी, पाइप फिटिंग निरोध तथा दाव कम करने वाले वाल्वों सहित अन्य वाल्व, मीटर हार्डी क्रास विधि का प्रयोग करते हुए वितरण, प्रणालियों का विश्लेषण, क्रास्ट हैडलास अनुपात मानदन्ड पर आधारित इष्टतम डिजाइन के सामान्य सिद्धांत, ध्यवन अभिज्ञान, वितरण प्रणालियों पंपन केन्द्रों का अनुरक्षण तथा उनका प्रचालन।

मल-व्यवस्था प्रणालियाँ- घरेलु और औद्योगिक अपशिष्ट, झंझावहित मल-पृथक् एवं संयुक्त प्रणालियों, सीवरों के जरिए वहाव, सीवरों का डिजाइन, सीवार उपस्करण मेन हाल प्रवेणिका, जंक्शन, साइफन।

वाहित मल लक्षण वर्णन- वी॰ओ॰डी॰सी॰ओ॰डी॰ ठोस पदार्थ व्यासूत आक्सीजन, नाइट्रोजन तथा टी॰ओ॰सी॰ सामान्य जल मार्ग तथा भूमि पर निस्तारण के मानक वाहित मल उपचार- कार्यकारी नियम इकाइयाँ, कोष्ठ, अवसादन टैंक, ध्वावी फिल्टर, ऑक्सीकरण ताल, उत्प्रेरित अवर्वक प्रक्रिया, सैप्टिक टैंक, अवपंक निस्तारण, अपशिष्ट जल का पुनः चालन।

ठोस अपशिष्ट- संग्रहण एवं निस्तारण।

पर्यावरणीय प्रदूषणः पारिस्थितिक संतुलन, जल प्रदूषण नियंत्रण एक्ट, रेडियोएक्टिव अपशिष्ट एवं निस्तारण, उष्मीय शक्ति संयंत्रों, खानों के लिए पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

स्वच्छता- भवनों का स्थान तथा पूर्वामिमुखीकरण संचालन तथा सीत प्रूफ रद्दे गृह जल निकास, अपशिष्ट निस्तारण की सफाई व्यवस्था एवं जलोढ़ प्रणाली। सफाई सम्बन्धी उपकरण, शौच घर तथा मुत्रालय, ग्रामीण
स्वच्छता।

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Courtesy: BPSC